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केंद्र सरकार ने हाल ही में सभी राज्यों को कफ सिरप को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इस चेतावनी में स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-सर्दी की दवाएं, विशेषकर कफ सिरप, नहीं दी जाएं। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, छोटे बच्चों के श्वसन तंत्र की संवेदनशीलता के कारण कफ सिरप का उपयोग उनके लिए हानिकारक हो सकता है। विशेष रूप से दो साल से कम उम्र के बच्चों में दवा के साइड इफेक्ट्स गंभीर हो सकते हैं, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई, एलर्जी, नींद में समस्या, और कभी-कभी पेट या दिल से जुड़ी जटिलताएं।
इस एडवाइजरी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छोटे बच्चों की देखभाल में माता-पिता और देखभाल करने वाले लोग दवाओं के सेवन में सतर्क रहें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बच्चों में खांसी और सर्दी आमतौर पर वायरल संक्रमण की वजह से होती है, और अधिकतर मामलों में यह स्वयं ही ठीक हो जाती है।
मंत्रालय ने माता-पिता को सुझाव दिया है कि वे घरेलू उपचार और प्राकृतिक तरीकों का सहारा लें, जैसे कि पर्याप्त पानी पिलाना, कमरे में उचित नमी बनाए रखना, और हल्के गर्म पेय या सूप देना। साथ ही डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन न कराएं।
विशेषज्ञों के अनुसार, कफ सिरप में मौजूद एक्टिव इंग्रेडिएंट्स छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं होते, क्योंकि उनका शरीर और मेटाबॉलिज्म विकसित नहीं हुआ होता। इसके परिणामस्वरूप ओवरडोज़ या गंभीर रिएक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की यह एडवाइजरी विशेष रूप से गोपनीय रूप से अस्पतालों, क्लिनिक, और फार्मासियों को भी भेजी गई है, ताकि वे छोटे बच्चों के लिए कफ सिरप न बेचें और डॉक्टरों को भी इस दिशा में सतर्क किया गया है।
सरकार ने यह भी बताया कि अगर किसी बच्चे को खांसी या सर्दी की गंभीर समस्या हो, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या योग्य डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। घर पर दवा देने से बच्चों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इस एडवाइजरी के बाद माता-पिता में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग अखबारों, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अभियान चला रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य यह है कि परिवार यह समझें कि छोटे बच्चों की खांसी-सर्दी को बिना डॉक्टर की सलाह के दवा से इलाज करना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि खांसी और सर्दी से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में यह सामान्य वायरल संक्रमण के कारण होती है और समय के साथ स्वतः ठीक हो जाती है। लेकिन माता-पिता को यह जानना आवश्यक है कि छोटे बच्चों में श्वसन संबंधी जटिलताएं जल्दी विकसित हो सकती हैं, इसलिए उचित देखभाल और डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है।
कुल मिलाकर, स्वास्थ्य मंत्रालय की यह एडवाइजरी बच्चों की सुरक्षा और उनकी सेहत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। माता-पिता, अभिभावक, और देखभाल करने वाले लोग इसे गंभीरता से लें और बिना चिकित्सक की सलाह के कफ सिरप या अन्य खांसी-सर्दी की दवाएं छोटे बच्चों को न दें।
इस कदम से बच्चों में अनावश्यक दवा के दुष्प्रभाव को रोका जा सकेगा और उनकी सेहत सुरक्षित बनी रहेगी। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि बच्चा लगातार खांसी या सांस लेने में कठिनाई दिखा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।








