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मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल ही में बच्चों की मौतों की जो घटनाएँ सामने आई हैं, उन्होंने स्वास्थ्य जगत और आम जनता में हड़कंप मचा दिया है। इन मौतों का संबंध ‘कोलड्रिफ’ नामक कफ सिरप से जोड़ा जा रहा है, जिसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रसायन पाया गया है। यह रसायन गुर्दे की गंभीर क्षति का कारण बन सकता है, जिससे बच्चों की जान जाने की घटनाएँ सामने आई हैं।
मध्यप्रदेश और राजस्थान में मौतों की घटनाएँ
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अगस्त के अंत में बच्चों की मौतों की शुरुआत हुई। शुरुआत में हल्की सर्दी और बुखार के लक्षण दिखने पर बच्चों को ‘कोलड्रिफ’ कफ सिरप दी गई। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई और किडनी फेल होने से उनकी मौत हो गई। अब तक इस सिरप के सेवन से 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में भी इसी सिरप के सेवन से 3 बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है।
जांच में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की पुष्टि
मध्यप्रदेश राज्य औषधि प्रशासन द्वारा भेजे गए नमूनों की जांच में सिरप में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा पाई गई। यह रसायन औद्योगिक सॉल्वेंट के रूप में उपयोग होता है और दवाओं में इसका उपयोग खतरनाक हो सकता है। इस विषाक्तता के कारण बच्चों की किडनी फेल होने की घटनाएँ सामने आई हैं।
श्रीसन फार्मास्युटिकल्स पर कार्रवाई की सिफारिश
जांच में सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की अत्यधिक मात्रा पाए जाने के बाद, तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। राज्य औषधि नियंत्रण विभाग ने कंपनी के लाइसेंस को निलंबित करने की सिफारिश की है और सभी स्टॉक जब्त करने के आदेश दिए हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों की कार्रवाई
केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को कफ सिरप न देने की सलाह दी है, क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चों में रसायनों का सही तरीके से मेटाबोलिज्म नहीं हो पाता, जिससे विषाक्तता का खतरा बढ़ जाता है।
राज्य सरकारों ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए ‘कोलड्रिफ’ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने इस सिरप पर प्रतिबंध लगाया है और सभी संबंधित स्टॉक जब्त करने के आदेश दिए हैं।
वैश्विक संदर्भ और WHO की चेतावनी
यह पहली बार नहीं है कि दूषित कफ सिरप के कारण बच्चों की मौतें हुई हैं। इससे पहले गाम्बिया और उज़्बेकिस्तान में भी इसी तरह की घटनाएँ सामने आई थीं, जहाँ दूषित कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन घटनाओं के बाद चेतावनी जारी की थी और देशों से दवाओं की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखने की अपील की थी।
भविष्य के लिए दिशा-निर्देश
इस घटना ने दवा सुरक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर किया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
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दवा निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता: दवा निर्माण कंपनियों को अपनी उत्पादन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए और गुणवत्ता मानकों का पालन करना चाहिए।
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नियमित निरीक्षण और परीक्षण: दवाओं के नमूनों का नियमित रूप से निरीक्षण और परीक्षण किया जाना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की विषाक्तता का पता चल सके।
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सार्वजनिक जागरूकता अभियान: जनता को दवाओं के सही उपयोग और संभावित खतरों के बारे में जागरूक करना चाहिए, ताकि वे किसी भी संदिग्ध दवा के सेवन से बच सकें।
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कड़े कानूनी प्रावधान: दवा निर्माताओं और विक्रेताओं के लिए कड़े कानूनी प्रावधान होने चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही या धोखाधड़ी के लिए उन्हें सजा दी जा सके।
‘कोलड्रिफ’ कफ सिरप से बच्चों की मौतों की घटनाएँ न केवल एक स्वास्थ्य संकट को दर्शाती हैं, बल्कि यह दवा सुरक्षा प्रणाली की खामियों को भी उजागर करती हैं। यह समय की मांग है कि सरकारें, दवा निर्माता कंपनियाँ और जनता मिलकर दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सर्वोपरि है, और इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।








