




जहानाबाद जिले के घोसी विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक माहौल इन दिनों बेहद गरमाया हुआ है। भाकपा (माले) के विधायक रामबली सिंह यादव के खिलाफ स्थानीय लोगों ने खुलकर विरोध प्रदर्शन किया है। यह विरोध किसी विपक्षी पार्टी की ओर से नहीं, बल्कि उसी संगठन के कार्यक्रम में देखने को मिला, जिससे विधायक स्वयं जुड़े हैं।
दरअसल, भाकपा (माले) ने घोसी में विधायक रामबली सिंह यादव के पांच वर्षों के कार्यकाल का ‘रिपोर्ट कार्ड’ जारी करने के लिए एक जनसभा आयोजित की थी। इस कार्यक्रम में पार्टी के शीर्ष नेता दीपांकर भट्टाचार्य भी मौजूद थे। लेकिन जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, वहां उपस्थित स्थानीय लोगों ने हाथों में तख्तियां उठाकर नारेबाजी शुरू कर दी। “बाहरी हटाओ, घोसी बचाओ” और “भ्रष्टाचार बंद करो” जैसे नारे कार्यक्रम स्थल पर गूंज उठे।
लोगों का आरोप था कि विधायक रामबली सिंह यादव ने पिछले पांच वर्षों में घोसी के विकास के लिए कोई ठोस काम नहीं किया है। स्थानीय निवासी और राजद नेता रामदीप यादव ने कहा कि विधायक ने जनता के विश्वास को तोड़ा है और विकास के नाम पर केवल आश्वासन दिए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधायक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी की गई है।
कार्यक्रम के दौरान स्थिति कुछ समय के लिए तनावपूर्ण हो गई, लेकिन भाकपा माले के वरिष्ठ नेताओं ने किसी तरह माहौल को शांत कराया। स्थानीय नागरिकों का कहना था कि दीपांकर भट्टाचार्य को आगामी चुनाव के लिए घोसी में नया प्रत्याशी घोषित करना चाहिए, क्योंकि मौजूदा विधायक से जनता का भरोसा उठ चुका है।
कई ग्रामीणों ने कहा कि विधायक का क्षेत्र से जुड़ाव कमजोर है और जनता की समस्याओं पर वे कभी गंभीर नहीं रहे। “विकास कार्य तो दूर, सड़कों और बिजली की स्थिति भी जस की तस बनी हुई है,” एक स्थानीय व्यापारी ने कहा।
विधायक का पक्ष:
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक रामबली सिंह यादव ने कहा कि यह विरोध राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में घोसी में कई विकास योजनाएं पूरी की हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें विधायक निधि के रूप में 16 करोड़ रुपये मिले थे, जिनका उपयोग सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी परियोजनाओं में किया गया।
विधायक ने कहा, “मैंने हर गांव में काम किया है, किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। विरोध करने वाले वे लोग हैं जो विकास की राजनीति नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए माहौल बिगाड़ना चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि जनता के बीच जो रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है, उसमें सभी योजनाओं का ब्यौरा पारदर्शी रूप से दर्ज है।
महागठबंधन के लिए चुनौती:
घोसी ही नहीं, बल्कि जहानाबाद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन के विधायकों को जनता के असंतोष का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कई कार्यकर्ता और समर्थक आगामी चुनाव में प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे हैं। कुछ लोग भाकपा माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से नए उम्मीदवार की घोषणा की अपील कर रहे हैं, जबकि कुछ लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से भी आग्रह कर रहे हैं कि महागठबंधन अपने उम्मीदवारों पर पुनर्विचार करे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विरोध आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के लिए चेतावनी का संकेत है। अगर स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ता गया, तो इसका सीधा असर चुनावी परिणामों पर पड़ सकता है।
जनता की नाराजगी का कारण:
घोसी के लोगों का कहना है कि विधायक ने पांच वर्षों में क्षेत्र की जमीनी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। सिंचाई की व्यवस्था, बेरोजगारी, और खराब सड़कों जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। कई युवाओं ने आरोप लगाया कि स्थानीय योजनाओं में पक्षपात किया गया और ठेकेदारी में भ्रष्टाचार हुआ।
वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि भाकपा माले ने जिन आदर्शों के नाम पर राजनीति शुरू की थी, अब वही पार्टी जनता से दूर होती जा रही है। “जनता ने उम्मीद की थी कि माले का विधायक पारदर्शी होगा, लेकिन अब वही नेता विकास की जगह लाभ की राजनीति करने लगे हैं,” एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा।
दीपांकर भट्टाचार्य की प्रतिक्रिया:
कार्यक्रम में मौजूद भाकपा माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने विरोध प्रदर्शन पर कहा कि पार्टी जनता की आवाज का सम्मान करती है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए जनता का मत सर्वोपरि है। अगर लोगों को लगता है कि बदलाव की जरूरत है, तो पार्टी उस पर गंभीरता से विचार करेगी।”
भट्टाचार्य ने यह भी जोड़ा कि रिपोर्ट कार्ड का उद्देश्य यही था कि जनता यह तय करे कि विधायक का प्रदर्शन कैसा रहा। “अगर कोई कमी रह गई है, तो हम उसे स्वीकार करेंगे और सुधार की दिशा में कदम बढ़ाएंगे,” उन्होंने कहा।