




छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक बार फिर जंगली हाथियों का आतंक देखने को मिला है। करतला वन परिक्षेत्र के रामपुर गांव में गुरुवार की सुबह हाथियों के एक झुंड ने ग्रामीणों पर हमला कर दिया, जिसमें एक मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है, वहीं वन विभाग ने आसपास के गांवों में सतर्कता की अपील की है।
जानकारी के अनुसार, करतला ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले रामपुर गांव के पास के जंगल में लगभग 12 हाथियों का झुंड पिछले कुछ दिनों से घूम रहा था। वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को पहले ही सतर्क कर दिया था, लेकिन गुरुवार की सुबह अचानक यह झुंड गांव के पास पहुंच गया। बताया जा रहा है कि मृतक व्यक्ति अक्सर गांव से बाहर जंगल की ओर घूमने जाता था। उसी दौरान वह हाथियों के झुंड के संपर्क में आ गया और हाथियों ने उसे कुचलकर मार डाला।
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ग्रामीणों ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी, जिसके बाद करतला वन परिक्षेत्र के अधिकारी दल के साथ मौके पर पहुंचे। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
हाथियों के झुंड से दहशत में ग्रामीण
घटना के बाद से रामपुर, गोविंदपुर, अमरपुर और सरईटोला जैसे आसपास के गांवों में दहशत फैल गई है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से हाथियों के झुंड को गांव के आसपास देखा जा रहा था, लेकिन अब वे गांवों में घुसने लगे हैं। रात के समय खेतों और घरों के पास हाथियों की आवाजें सुनाई देती हैं, जिससे लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं।
वन विभाग ने जारी की चेतावनी
वन विभाग ने इलाके के सभी ग्रामीणों को जंगल की ओर न जाने, फसल की रखवाली रात में न करने और हाथियों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। करतला वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया कि “हाथियों का यह झुंड ओडिशा के जंगलों से भटककर कोरबा की सीमा में पहुंचा है। फिलहाल हम लगातार उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं और वनकर्मियों की टीम को मौके पर तैनात किया गया है।”
विभाग ने हाथियों की मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए ड्रोन कैमरों और जीपीएस आधारित सर्वेक्षण प्रणाली का भी उपयोग शुरू किया है। ग्रामीणों को सायरन और लाउडस्पीकर के जरिए चेतावनी दी जा रही है ताकि वे किसी भी प्रकार के खतरे से पहले सतर्क हो सकें।
हर साल बढ़ रहा है मानव-हाथी संघर्ष
कोरबा और सरगुजा संभाग के कई इलाकों में जंगली हाथियों के हमले पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जंगलों में भोजन और पानी की कमी के कारण हाथी अब बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। खेतों में लगी फसलों, खासकर धान और मक्का की महक से आकर्षित होकर हाथी गांवों में घुस आते हैं। कई बार वे घरों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे जनहानि और संपत्ति का भारी नुकसान होता है।
केवल इस वर्ष में अब तक छत्तीसगढ़ में हाथियों के हमले से 25 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरबा, सूरजपुर, रायगढ़ और जशपुर जिलों में यह समस्या लगातार गंभीर रूप ले रही है। राज्य सरकार और वन विभाग ने इसके समाधान के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें “हाथी मित्र” कार्यक्रम और “मानव-हाथी सहअस्तित्व” योजना प्रमुख हैं। इन योजनाओं के तहत ग्रामीणों को जागरूक किया जाता है कि वे हाथियों से दूरी बनाए रखें और किसी भी खतरे की सूचना तत्काल वन विभाग को दें।
स्थानीय प्रशासन की पहल
कोरबा के जिलाधिकारी ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभावित परिवार को राज्य सरकार की मुआवजा नीति के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिया है कि हाथियों की निगरानी बढ़ाई जाए और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, गांवों में रात के समय पेट्रोलिंग बढ़ाने और हाथियों की संभावित गतिविधियों पर निगरानी रखने के आदेश दिए गए हैं।
ग्रामीणों में गुस्सा और भय दोनों
घटना के बाद से स्थानीय लोगों में प्रशासन और वन विभाग के प्रति नाराजगी भी देखने को मिल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पहले से जानकारी दी गई थी, लेकिन समुचित सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि हाथियों का झुंड कई दिनों से गांव के पास डेरा डाले हुए था, लेकिन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
प्राकृतिक संतुलन पर सवाल
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के अतिक्रमण और लगातार पेड़ों की कटाई के कारण हाथियों के प्राकृतिक मार्ग (माइग्रेशन कॉरिडोर) बाधित हो गए हैं। यही कारण है कि हाथी अब मानव बस्तियों में भटक कर आ रहे हैं। यदि इस समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में मानव-हाथी संघर्ष और भी गंभीर रूप ले सकता है।`