




मुंबई कांग्रेस में आगामी BMC चुनाव 2025 को लेकर सियासी माहौल पहले से ही गर्म है। ऐसे में पार्टी ने हाल ही में अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा की, जिससे विवाद और घमासान की स्थिति उत्पन्न हो गई है। राजनीतिक मामलों की समिति की मंजूरी से मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी और जिला इकाई के लिए पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई। यह कदम स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी के तहत उठाया गया है, लेकिन नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच प्रतिक्रिया मिश्रित रही।
नई कार्यकारिणी के ऐलान के तुरंत बाद पार्टी के अंदर विभिन्न गुटों में असंतोष की लहर देखने को मिली। कई वरिष्ठ नेताओं ने आरोप लगाया कि नियुक्तियाँ निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई हैं और कुछ नये चेहरे तथा वरिष्ठ नेताओं के बीच असंतुलन बना हुआ है। इस असंतोष ने मुंबई कांग्रेस के भीतर विवाद को हवा दे दी है, जिससे आगामी BMC चुनाव की रणनीति पर भी असर पड़ सकता है।
कार्यकारिणी का उद्देश्य और रणनीति
पार्टी नेतृत्व का कहना है कि नई कार्यकारिणी का मुख्य उद्देश्य स्थानीय चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना है। इसे मुंबई के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों और नगरसेवक क्षेत्रों में संगठनात्मक सुधार के लिए तैयार किया गया है। कांग्रेस का मानना है कि समय पर नियुक्तियों और मजबूत नेतृत्व के माध्यम से पार्टी अपने वोट बैंक को सक्रिय कर सकेगी और चुनावी रणनीति को सशक्त बनाएगी।
हालांकि, पदाधिकारियों की नियुक्तियों के ऐलान के बाद कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सवाल उठाए कि निर्णय पारदर्शिता और अनुभव के आधार पर नहीं लिए गए। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कुछ पुराने नेताओं ने नई कार्यकारिणी में अपने समर्थकों के लिए स्थान नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है। वहीं, युवा नेताओं ने इसे बदलाव और नए नेतृत्व को अवसर देने का संकेत माना है।
भविष्य की रणनीति पर प्रभाव
मुंबई कांग्रेस के भीतर इस विवाद का असर BMC चुनाव 2025 की तैयारियों पर पड़ सकता है। पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि विवाद के बावजूद कार्यकर्ता और नेता एकजुट होकर चुनाव प्रचार में जुटें। पार्टी की अंदरूनी असहमति का विपक्ष द्वारा चुनावी लाभ उठाने की संभावना भी जताई जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के लिए संगठनात्मक मजबूती और नेतृत्व की एकरूपता बेहद जरूरी है। यदि पार्टी अंदरूनी संघर्ष को नियंत्रित नहीं कर पाई, तो उसका सीधा प्रभाव मतदाताओं की धारणा पर पड़ सकता है।
नेताओं और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
नई कार्यकारिणी के ऐलान के बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया के माध्यम से अपनी राय व्यक्त की। कुछ नेताओं ने कहा कि पार्टी ने चुनाव से पहले संगठनात्मक पुनर्गठन करके सही कदम उठाया है, लेकिन कुछ ने इसे असंतोषजनक और विवादास्पद बताया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनावी माहौल में पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर नियुक्तियाँ होनी चाहिए।
इसके अलावा, कुछ युवा नेताओं ने इस ऐलान को अवसर मानते हुए कहा कि नए चेहरे और सक्रिय युवा नेतृत्व पार्टी के लिए लाभकारी साबित होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि चुनाव में संगठन के अंदरूनी मतभेद के बावजूद सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर पार्टी की रणनीति को सफल बनाएंगे।