




पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी और नागरिक अधिकारों के प्रखर पैरोकार कन्नन गोपीनाथन ने सोमवार को आधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल और पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा की उपस्थिति में उन्होंने पार्टी में प्रवेश किया।
उनकी यह राजनीतिक पारी की शुरुआत ऐसे समय में हुई है जब देश में लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संस्थागत पारदर्शिता को लेकर तीव्र बहस चल रही है।
कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने दादरा एवं नगर हवेली और मिजोरम जैसे क्षेत्रों में अपनी सेवा दी। वे 2019 में उस समय चर्चा में आए जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में सेवा से इस्तीफा दे दिया था।
उनका मानना था कि कश्मीर में इंटरनेट बंदी, प्रेस पर प्रतिबंध और लोगों के मौलिक अधिकारों का दमन एक लोकतांत्रिक देश में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने तब कहा था:
“जब सरकार नागरिकों से उनका अधिकार छीन रही हो, तब एक IAS अधिकारी का मौन रहना उसकी भूमिका के साथ विश्वासघात है।”
कांग्रेस में शामिल होने के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए गोपीनाथन ने स्पष्ट किया कि वे राजनीति में करियर नहीं, बल्कि बदलाव लाने आए हैं।
उन्होंने कहा:
“मैंने बाहर से विरोध किया, लेख लिखे, भाषण दिए, लेकिन अब यह महसूस हुआ कि बदलाव लाने के लिए राजनीतिक मंच पर आकर ही व्यवस्था के भीतर हस्तक्षेप किया जा सकता है।”
उन्होंने कांग्रेस को एकमात्र राष्ट्रीय दल बताया जो संवैधानिक मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता की रक्षा कर रहा है।
के. सी. वेणुगोपाल ने कहा कि:
“कन्नन गोपीनाथन जैसे ईमानदार और वैचारिक व्यक्ति का कांग्रेस में शामिल होना लोकतांत्रिक भारत के लिए शुभ संकेत है। ऐसे लोग पार्टी में न केवल नैतिक बल लाते हैं बल्कि जनता का विश्वास भी।”
पवन खेड़ा ने उन्हें “नए भारत की आवाज़” बताते हुए कहा कि कांग्रेस उन्हें पार्टी के वैचारिक विमर्श और जन सरोकारों से जुड़ी जिम्मेदारियों में शामिल करेगी।
कन्नन गोपीनाथन की छवि एक ईमानदार, वैचारिक रूप से स्पष्ट और जन आंदोलनों से जुड़े व्यक्ति की रही है। उनका कांग्रेस में शामिल होना उस वर्ग को राजनीति से जोड़ने का संकेत है जो अब तक ‘सिस्टम से बाहर रहकर’ विरोध करता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
“कन्नन जैसे लोग राजनीति में नई ऊर्जा, नैतिकता और वैचारिक स्पष्टता लाते हैं। उनका होना कांग्रेस को शहरी युवाओं और उदारवादियों के बीच मजबूत कर सकता है।”
जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि क्या वे आगामी चुनाव लड़ेंगे, उन्होंने स्पष्ट कहा:
“अगर पार्टी मुझे कोई ज़िम्मेदारी देती है, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। लेकिन मेरा लक्ष्य किसी पद की प्राप्ति नहीं, बल्कि जनसरोकारों के लिए राजनीति को एक माध्यम बनाना है।”
उनकी कांग्रेस जॉइनिंग के बाद ट्विटर पर #KannanGopinathan ट्रेंड करने लगा।
जहां एक वर्ग ने इसे “लोकतंत्र के लिए सकारात्मक कदम” बताया, वहीं कुछ विरोधियों ने इसे “राजनीतिक स्टंट” करार दिया।
युवा कांग्रेस के अध्यक्ष ने ट्वीट किया:
“स्वागत है कन्नन! अब लोकतंत्र की लड़ाई और मज़बूती से लड़ी जाएगी।”
कन्नन गोपीनाथन का कांग्रेस में आना सिर्फ एक प्रशासनिक अधिकारी की राजनीति में एंट्री नहीं, बल्कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और वैचारिक राजनीति की वापसी का संकेत है।