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    रील बनाती हर्षिता दवे बनीं 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर, पीसीएस 2024 में महिला वर्ग में टॉप

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    इंदौर की 22 वर्षीय हर्षिता दवे की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए यह उदाहरण भी पेश करती है कि जुनून और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हर्षिता, जो सोशल मीडिया पर रील्स बनाने का शौक रखती हैं, ने MPPSC PCS 2024 परीक्षा में महिला वर्ग में टॉप करके पांचवीं रैंक हासिल की और जल्द ही डिप्टी कलेक्टर बनने जा रही हैं।

    हर्षिता का यह सफर किसी कहानी से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ रील्स बनाना उनके लिए एक तरह का स्ट्रेस बस्टर और क्रिएटिव आउटलेट रहा। हालांकि शुरुआत में उनके परिवार और दोस्त सोशल मीडिया में समय बिताने को लेकर चिंतित थे, लेकिन हर्षिता ने इसे अपने करियर की तैयारी में ऊर्जा और आत्मविश्वास के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया।

    MPPSC PCS 2024 परीक्षा के लिए हर्षिता ने लंबी और कठोर तैयारी की। उन्होंने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा और नियमित रूप से मॉक टेस्ट और रिवीजन पर फोकस किया। उनका कहना है कि समय प्रबंधन और अनुशासन उनके सफलता के सबसे बड़े कारक रहे।

    हर्षिता के अनुसार, सोशल मीडिया और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने बताया कि रील्स बनाना उन्हें मानसिक ताजगी और ऊर्जा देता था, जिससे वे कठिन विषयों को भी आसानी से समझ पाती थीं। यह दिखाता है कि युवा पीढ़ी के लिए क्रिएटिव शौक और पेशेवर सफलता साथ-साथ संभव हैं।

    हर्षिता ने यह भी साझा किया कि परीक्षा की तैयारी के दौरान कठिनाईयां आईं, जैसे समय की कमी, मानसिक दबाव और विषयों की जटिलता। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी रणनीति को लगातार अपडेट किया। उनके गुरुओं और कोच ने भी उन्हें मार्गदर्शन और प्रेरणा दी, जिससे उनका आत्मविश्वास बना रहा।

    हर्षिता दवे की कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने समाज में महिलाओं की भूमिका और युवा प्रतिभाओं की क्षमता को स्पष्ट रूप से दिखाया है। 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने का लक्ष्य केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा है कि कठिन परिश्रम और सही दिशा में मेहनत करने से असंभव लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं।

    उनकी इस सफलता से यह भी स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया का उपयोग केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक ताजगी और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। हर्षिता ने दिखाया कि यदि उद्देश्य स्पष्ट हो और रणनीति ठोस हो, तो व्यक्तिगत शौक और पेशेवर सफलता दोनों को संतुलित किया जा सकता है।

    हर्षिता की कहानी ने यह भी साबित किया है कि युवा पीढ़ी में नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमताएं मौजूद हैं, जो सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर शानदार प्रदर्शन कर सकती हैं। उनका यह सफर न केवल इंदौर या मध्य प्रदेश के लिए गर्व का कारण है, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

    22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने की तैयारी कर रही हर्षिता दवे ने यह भी कहा कि उनके लिए यह सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि समाज और देश की सेवा करने का अवसर भी है। उनका यह दृष्टिकोण युवा पीढ़ी में सरकारी सेवा के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने में मदद करेगा।

    हर्षिता दवे की कहानी साबित करती है कि उम्र, शौक या समय की कमी किसी भी लक्ष्य को रोक नहीं सकती। सही दिशा, मेहनत और संतुलित दृष्टिकोण से कोई भी युवा अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। हर्षिता ने यह दिखाया कि आधुनिक युवाओं के लिए पेशेवर सफलता और क्रिएटिव शौक साथ-साथ संभव हैं, और यही बात उनकी कहानी को सबसे अलग और प्रेरणादायक बनाती है।

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