




भारत और कनाडा के बीच बीते समय में तनावपूर्ण रहे संबंधों को एक बार फिर पटरी पर लाने की कोशिश शुरू हो गई है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद के बीच सोमवार को द्विपक्षीय बैठक हुई। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर आपसी सहयोग को पुनः स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई।
बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने न केवल पुरानी गलतफहमियों को दूर करने की इच्छा जाहिर की, बल्कि कुछ ठोस कदमों की घोषणा भी की, जिनके तहत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को फिर से शुरू किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब भारत-कनाडा संबंध कूटनीतिक तनाव के दौर से गुजर रहे थे।
विदेश मंत्री जयशंकर और कनाडाई मंत्री अनिता आनंद के बीच हुई यह मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक और निर्णायक मानी जा रही है। कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद इस समय भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं और यह उनकी भारत यात्रा का अहम पड़ाव रहा।
दोनों नेताओं ने यह माना कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ घटनाओं ने आपसी विश्वास को प्रभावित किया है, लेकिन अब समय आ गया है कि आपसी सम्मान, सहयोग और साझा हितों के आधार पर एक नई शुरुआत की जाए।
बैठक के बाद जो संयुक्त बयान जारी किया गया, उसमें कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को दोबारा शुरू करने की घोषणा की गई:
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मंत्री स्तरीय ऊर्जा संवाद (Ministerial Energy Dialogue) को पुनः शुरू किया जाएगा। इस मंच पर स्वच्छ ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, अक्षय ऊर्जा, और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर सहयोग किया जाएगा।
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संयुक्त विज्ञान और तकनीकी सहयोग समिति (Joint Science and Technology Cooperation Committee) को फिर से सक्रिय किया जाएगा। इसका उद्देश्य अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में साझा कार्य करना है।
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व्यापार और निवेश के स्तर पर सहयोग को नया स्वरूप देने की योजना बनाई गई है। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत फिर से शुरू करने का संकेत भी दिया है।
बैठक के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा ऐसे संबंधों का पक्षधर रहा है, जो परस्पर सम्मान, संप्रभुता की मान्यता और शांतिपूर्ण संवाद पर आधारित हों। उन्होंने कहा:
“हमने कई मुद्दों पर स्पष्ट और रचनात्मक बातचीत की। हमारी प्राथमिकता यह है कि भारत और कनाडा एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं को समझें और एक मजबूत साझेदारी की ओर बढ़ें।”
कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद ने कहा कि कनाडा भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के पास साझा लोकतांत्रिक मूल्य और रणनीतिक हित हैं, जिन्हें एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाना आवश्यक है।
“भारत जैसे उभरते वैश्विक शक्ति के साथ हमारी साझेदारी न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।”
भारत और कनाडा के बीच बीते वर्षों में कई ऐसे घटनाक्रम हुए, जिन्होंने संबंधों को प्रभावित किया। इनमें प्रमुख था कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंता और कनाडा द्वारा कुछ भारतीय अधिकारियों पर लगाए गए आरोप। इन घटनाओं के बाद राजनयिक संवाद ठप पड़ गया था और दोनों देशों ने एक-दूसरे के अधिकारियों को निष्कासित तक कर दिया था।
हालांकि, इस ताजा बैठक ने यह संकेत दिया है कि दोनों देश अब पूर्व विवादों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहते हैं।
भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार हर वर्ष $10 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है। भारत कनाडा के लिए एक प्रमुख बाजार है और दोनों देश कई क्षेत्रों में विनियोजित पूंजी साझा कर रहे हैं।
इसके अलावा, कनाडा में भारतीय मूल के लाखों नागरिक रहते हैं और हजारों भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में दोनों देशों के संबंधों में सुधार का सीधा लाभ इन समुदायों को मिलेगा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कनाडाई विदेश मंत्री अनिता आनंद की यह बैठक भारत-कनाडा संबंधों में जमी बर्फ पिघलने का पहला संकेत बनकर उभरी है। साझा बयान में उठाए गए ठोस कदम यह दर्शाते हैं कि अब दोनों देश आपसी मतभेदों को पीछे छोड़कर सहयोग, विकास और शांतिपूर्ण कूटनीति की ओर लौटना चाहते हैं।