




भारतीय शिक्षा जगत के लिए गर्व का क्षण तब आया जब जेएसएस एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च (JSS AHER), मैसूर ने मॉरीशस में अपने नए स्कूल ऑफ मेडिसिन (School of Medicine) का उद्घाटन किया। यह कदम न केवल भारत की चिकित्सा शिक्षा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि भारत-मॉरीशस के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
जेएसएस एकेडमी ने यह नया संस्थान मॉरीशस सरकार के सहयोग से स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय मेडिकल शिक्षा प्रणाली के अनुभव, गुणवत्ता और विशेषज्ञता को अंतरराष्ट्रीय छात्रों तक पहुंचाना है। यह संस्थान मॉरीशस और अफ्रीका के छात्रों को उच्चस्तरीय चिकित्सा प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करेगा।
उद्घाटन समारोह में मौजूद रहे कई गणमान्य व्यक्ति
मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित इस समारोह में कई प्रतिष्ठित भारतीय और मॉरीशस सरकार के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम में भारत के उच्चायुक्त, मॉरीशस के शिक्षा मंत्री, जेएसएस महाविद्यालय के कुलपति, और कई वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हुए। सभी ने इस पहल को शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण बताया।
जेएसएस एकेडमी, मैसूर के चांसलर स्वामी महा श्री शिवरात्रिदेशिकेंद्र महास्वामीजी ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हम चिकित्सा शिक्षा को केवल भारत तक सीमित न रखें, बल्कि इसे विश्वभर के विद्यार्थियों तक पहुंचाएं। मॉरीशस में यह संस्थान भारतीय चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता का प्रतीक बनेगा और वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग को मजबूत करेगा।”
आधुनिक सुविधाओं से लैस मेडिकल कैंपस
मॉरीशस में स्थापित यह नया मेडिकल कैंपस आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त है। यहां अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, डिजिटल क्लासरूम, अनुसंधान केंद्र और सिमुलेशन लैब्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा छात्रों को क्लिनिकल ट्रेनिंग के लिए स्थानीय अस्पतालों और हेल्थकेयर संस्थानों में भी अवसर दिए जाएंगे।
संस्थान का कोर्स स्ट्रक्चर भारतीय मेडिकल काउंसिल (NMC) के दिशा-निर्देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है, जिससे स्नातक (MBBS) और स्नातकोत्तर (MD/MS) दोनों स्तरों पर अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
भारतीय छात्रों के लिए बड़ा अवसर
इस संस्थान के खुलने से भारतीय छात्रों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। जो छात्र विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन वहां की उच्च फीस और कठिन प्रवेश प्रक्रियाओं के कारण पीछे रह जाते हैं, उनके लिए मॉरीशस का यह संस्थान एक उत्कृष्ट विकल्प होगा।
यहां पढ़ाई भारतीय शैक्षणिक मानकों के अनुरूप होगी और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय exposure भी मिलेगा। इसके साथ ही, मॉरीशस की सांस्कृतिक और भाषाई समानता भारतीय छात्रों के लिए इसे और भी अनुकूल बनाती है।
मॉरीशस सरकार का सहयोग और दृष्टिकोण
मॉरीशस सरकार ने इस परियोजना का स्वागत करते हुए कहा कि यह देश के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। मॉरीशस के शिक्षा मंत्री ने कहा, “जेएसएस जैसे प्रतिष्ठित भारतीय संस्थान का यहां आना मॉरीशस के छात्रों के लिए आशीर्वाद है। यह संस्थान हमारे युवाओं को विश्वस्तरीय चिकित्सा प्रशिक्षण और शोध का अवसर देगा।”
वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग की दिशा में कदम
जेएसएस एकेडमी का यह विस्तार केवल शिक्षा के क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य अनुसंधान और चिकित्सा नवाचार में भी सहयोग बढ़ाएगा। संस्थान का उद्देश्य है कि भारत और अफ्रीका के बीच स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों पर संयुक्त शोध हो, जिससे नए समाधान विकसित किए जा सकें।
संस्थान में टेलीमेडिसिन, क्लिनिकल रिसर्च और डिजिटल हेल्थ जैसे क्षेत्रों में भी विशेष कार्यक्रम शुरू करने की योजना है। जेएसएस विश्वविद्यालय का कहना है कि आने वाले समय में वे मॉरीशस से आगे बढ़कर अफ्रीका और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कदम रखेंगे।
शैक्षणिक गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
जेएसएस स्कूल ऑफ मेडिसिन में विश्वस्तरीय फैकल्टी नियुक्त की गई है, जिसमें भारत, मॉरीशस और अन्य देशों के अनुभवी डॉक्टर और प्रोफेसर शामिल हैं। इसके अलावा छात्रों को रिसर्च-आधारित लर्निंग और इंटरनेशनल इंटर्नशिप के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे।
संस्थान का लक्ष्य है कि मेडिकल शिक्षा को केवल सैद्धांतिक न रखा जाए, बल्कि व्यावहारिक अनुभव और सामाजिक स्वास्थ्य सेवा से भी जोड़ा जाए। इस दिशा में संस्थान ग्रामीण स्वास्थ्य अभियानों, सामुदायिक चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य परियोजनाओं में भी भागीदारी करेगा।
भारत-मॉरीशस संबंधों को नई मजबूती
मॉरीशस और भारत के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध पहले से ही गहरे हैं। जेएसएस की यह पहल दोनों देशों के बीच सहयोग को और सुदृढ़ करेगी। यह संस्थान न केवल छात्रों को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच चिकित्सा अनुसंधान, तकनीकी आदान-प्रदान और मानव संसाधन विकास में भी योगदान देगा।
संस्थान का भविष्य दृष्टिकोण
जेएसएस एकेडमी की योजना है कि अगले पांच वर्षों में मॉरीशस कैंपस को एक पूर्ण विकसित चिकित्सा अनुसंधान केंद्र बनाया जाए, जहां मेडिकल टेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मेसी और पब्लिक हेल्थ के क्षेत्र में वैश्विक शोध परियोजनाएं चलाई जाएं।