• Create News
  • Nominate Now

    रेवेन्यू दोगुना, मुनाफा तिगुना! टाटा ग्रुप ने बदली अपनी पॉलिसी, एन. चंद्रशेखरन को मिला तीसरा कार्यकाल

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    भारत के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित औद्योगिक समूहों में से एक टाटा ग्रुप ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। समूह ने अपने चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को तीसरा कार्यकाल देने की तैयारी पूरी कर ली है। यह कदम न केवल उनके नेतृत्व पर भरोसे को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि टाटा समूह एक स्थिर और दूरदर्शी प्रबंधन नीति के तहत आगे बढ़ रहा है।

    चंद्रशेखरन के कार्यकाल के दौरान टाटा ग्रुप ने जिस तरह से विकास की नई इबारत लिखी है, उसने देश और दुनिया के कॉर्पोरेट जगत में चर्चा पैदा कर दी है। रेवेन्यू दोगुना और मुनाफा तिगुना होने के साथ-साथ एयर इंडिया जैसी ऐतिहासिक वापसी, टाटा इलेक्ट्रिक वाहनों की सफलता और टाटा डिजिटल की लॉन्चिंग ने समूह को नई दिशा दी है।

    टाटा की परंपरा में बड़ा बदलाव

    टाटा समूह अपनी सख्त नीतियों और पारदर्शी गवर्नेंस के लिए जाना जाता है। समूह में अब तक की नीति के अनुसार, कोई भी शीर्ष अधिकारी 65 वर्ष की आयु के बाद एग्जीक्यूटिव पद पर नहीं रह सकता था। लेकिन एन. चंद्रशेखरन के मामले में समूह ने यह परंपरा तोड़ दी है।

    सूत्रों के मुताबिक, टाटा संस बोर्ड ने रिटायरमेंट पॉलिसी में बदलाव करते हुए फैसला लिया कि चंद्रशेखरन को उनके बेहतरीन प्रदर्शन और दूरदर्शिता को देखते हुए तीसरा कार्यकाल दिया जाएगा। यह निर्णय रतन टाटा की सहमति से हुआ है, जो समूह के एमेरिटस चेयरमैन हैं।

    कौन हैं एन. चंद्रशेखरन?

    एनटरप्राइज से शुरू हुई उनकी यात्रा आज भारत के सबसे बड़े औद्योगिक साम्राज्य के शीर्ष तक पहुंच गई है। तमिलनाडु के छोटे शहर में जन्मे एन. चंद्रशेखरन ने अपनी करियर की शुरुआत टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में की थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और टेक्नोलॉजी के प्रति गहरी समझ ने TCS को एक ग्लोबल IT पॉवरहाउस बना दिया।

    2017 में जब उन्हें टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया, उस समय समूह एक कठिन दौर से गुजर रहा था। सायरस मिस्त्री विवाद के बाद स्थिरता बहाल करना और निवेशकों का भरोसा वापस लाना बड़ी चुनौती थी। चंद्रशेखरन ने यह काम न केवल सफलतापूर्वक किया बल्कि टाटा ग्रुप को अगले स्तर पर पहुंचा दिया।

    रेवेन्यू और मुनाफे की रिकॉर्ड उड़ान

    2017 में टाटा ग्रुप का कुल रेवेन्यू लगभग ₹7 लाख करोड़ था, जो 2025 तक बढ़कर ₹14 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है। समूह का शुद्ध लाभ (Net Profit) भी तीन गुना बढ़ा है। इस दौरान TCS, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पावर और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया।

    टाटा मोटर्स ने जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भारत में सबसे मजबूत स्थिति हासिल की, वहीं टाटा स्टील ने यूरोप में अपने ऑपरेशंस को पुनर्गठित कर मुनाफा बढ़ाया। TCS लगातार दुनिया की टॉप IT कंपनियों में शामिल रही है और इसका मार्केट कैप ₹15 लाख करोड़ से अधिक हो गया है।

    एयर इंडिया की ऐतिहासिक वापसी

    एन. चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टाटा समूह ने 2022 में एयर इंडिया को वापस हासिल किया — यह सौदा देश के कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है। एयर इंडिया को निजी क्षेत्र में फिर से प्रतिस्पर्धी और लाभदायक बनाने की दिशा में उन्होंने तेज़ी से कदम उठाए।

    उन्होंने एयर इंडिया की रीब्रांडिंग की, नए विमानों का ऑर्डर दिया, डिजिटल सिस्टम में सुधार किए और सेवा गुणवत्ता को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने की रणनीति बनाई। आज एयर इंडिया दुनिया की अग्रणी एयरलाइंस के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है।

    डिजिटल और टेक्नोलॉजी में बड़ा निवेश

    चंद्रशेखरन का विजन सिर्फ परंपरागत कारोबार तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने टाटा ग्रुप को डिजिटल युग में आगे बढ़ाने की रणनीति अपनाई। टाटा डिजिटल के ज़रिए समूह ने उपभोक्ताओं तक सीधी पहुंच बनाने की दिशा में काम किया।

    “टाटा न्यो” (Tata Neu) सुपर ऐप की लॉन्चिंग ने समूह को रिटेल, फाइनेंस, ट्रैवल और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में एकीकृत उपस्थिति दिलाई। हालांकि शुरुआती दौर में इस ऐप को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब कंपनी इसके अनुभव और सर्विस में निरंतर सुधार कर रही है।

    ग्रीन एनर्जी और सतत विकास की ओर कदम

    चंद्रशेखरन की एक और बड़ी प्राथमिकता सस्टेनेबिलिटी (Sustainability) रही है। उन्होंने टाटा पावर और टाटा मोटर्स के जरिए ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर विशेष फोकस किया। आज टाटा पावर देश की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों में शामिल है।

    उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन लक्ष्य तय किया है, जिसे 2045 तक हासिल करने की दिशा में काम जारी है।

    क्यों जरूरी था तीसरा कार्यकाल?

    विश्लेषकों का कहना है कि एन. चंद्रशेखरन को तीसरा कार्यकाल देना टाटा समूह के लिए एक रणनीतिक फैसला है। उन्होंने समूह को आधुनिक तकनीक, डिजिटलीकरण और स्थिर वित्तीय संरचना की दिशा में ले जाया है।

    बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समूह को अगले दशक में ग्लोबल ब्रांड के रूप में स्थापित होना है, तो निरंतरता और नेतृत्व स्थिरता आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने यह फैसला लिया।

    रतन टाटा का भरोसा और समूह का भविष्य

    रतन टाटा ने खुद चंद्रशेखरन की कार्यशैली और विजन की प्रशंसा की है। उनका मानना है कि “एन. चंद्रशेखरन ने टाटा के मूल मूल्यों को बनाए रखते हुए आधुनिक कारोबारी दृष्टिकोण अपनाया है।”

    टाटा समूह आने वाले वर्षों में AI, EVs, डिजिटल कॉमर्स और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में विस्तार करने की तैयारी में है। चंद्रशेखरन की अगुवाई में यह रणनीति और मजबूत होगी।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    श्रीलंका में भारत बनाएगा 65,000 घर: बंदरवेला में शुरू हुआ प्रोजेक्ट का नया चरण, तमिल समुदाय को मिलेगा बड़ा लाभ

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारत और श्रीलंका के बीच दोस्ती और विकास का रिश्ता एक बार फिर मजबूत हुआ है। दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय…

    Continue reading
    जहानाबाद: 79 वर्षीय बुजुर्ग की ईंट-पत्थर से पीटकर हत्या, जमीनी विवाद बना कारण

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। रणजीत कुमार | जहानाबाद, बिहार | समाचार वाणी न्यूज़जहानाबाद जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत सिकरिया थाना क्षेत्र के लुतफुल्लाह चक…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *