• Create News
  • Nominate Now

    सोना-चांदी के दामों में रिकॉर्ड उछाल के बावजूद बढ़ी मांग, आपूर्ति पर भारी खरीदारी – जानिए क्यों नहीं थम रहा लोगों का क्रेज

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    भारत में कीमती धातुओं की कीमतें सोमवार को ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गईं, लेकिन इसके बावजूद लोगों के खरीदने का जोश कम नहीं हुआ। जहां चांदी ₹1,75,325 प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, वहीं सोना भी ₹1,24,155 प्रति 10 ग्राम तक चढ़ गया (निर्माण शुल्क और जीएसटी को छोड़कर)। यह दोनों ही कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर मानी जा रही हैं। इसके बावजूद देशभर में बाजारों में खरीदारों की भीड़ बनी हुई है।

    शादी और त्योहारों का मौसम आने से पहले भारत के सर्राफा बाजारों में रौनक लौट आई है। दिल्ली के करोल बाग, मुंबई के झावेरी बाजार, जयपुर, सूरत, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे प्रमुख ज्वेलरी बाजारों में खरीदारों की भीड़ यह साबित कर रही है कि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सोना और चांदी केवल निवेश का साधन नहीं, बल्कि परंपरा और विश्वास का प्रतीक हैं।

    बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतों में तेजी के बावजूद लोगों की खरीदारी की आदतों में खास बदलाव नहीं आया है। “भारत में सोने और चांदी की मांग भाव से नहीं, अवसर से तय होती है,” दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया। “शादी या दिवाली जैसे त्योहारों में चाहे सोने की कीमत कितनी भी क्यों न हो, लोग खरीदना नहीं छोड़ते।”

    चांदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद, औद्योगिक और घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल और ऑटोमोबाइल उद्योग में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिससे वैश्विक स्तर पर सप्लाई पर दबाव बना हुआ है। भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देशों में इस वजह से आयात लागत भी बढ़ गई है।

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं। अमेरिका और यूरोप की आर्थिक स्थिति, भू-राजनीतिक तनाव, और डॉलर की कमजोरी ने निवेशकों को “सेफ हेवन” यानी सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर आकर्षित किया है। वहीं, चांदी की मांग औद्योगिक सेक्टर में बढ़ती जा रही है, जिससे दोनों धातुएं निवेशकों के लिए और आकर्षक बन गई हैं।

    सोना जहां पारंपरिक रूप से भारतीय परिवारों की आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, वहीं अब यह निवेश पोर्टफोलियो का भी अहम हिस्सा बन चुका है। युवा निवेशक अब फिजिकल गोल्ड के बजाय गोल्ड बॉन्ड, ईटीएफ (Exchange Traded Funds) और डिजिटल गोल्ड जैसे आधुनिक विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।

    मुंबई स्थित एक प्रमुख निवेश सलाहकार फर्म के निदेशक ने कहा, “गोल्ड अब सिर्फ गहनों की बात नहीं है। इसे अब एक सुरक्षित और दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखा जा रहा है। शेयर बाजार में अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक संकट की आशंका के बीच सोने की मांग में स्वाभाविक वृद्धि हो रही है।”

    हालांकि, बढ़ती कीमतों ने ज्वेलरी उद्योग की सप्लाई चेन पर असर डाला है। कई ज्वेलर्स ने बताया कि आयात में देरी और ऊंचे दामों की वजह से स्टॉक सीमित हो गया है। थोक विक्रेताओं का कहना है कि पिछले एक महीने में सोने के आयात में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि मांग उसी रफ्तार से बढ़ रही है।

    दिल्ली के एक ज्वेलर ने बताया कि, “हमारे पास आर्डर्स की भरमार है, लेकिन सोने और चांदी की आपूर्ति समय पर नहीं मिल पा रही। कीमतें बढ़ने के बावजूद ग्राहक बुकिंग करा रहे हैं, ताकि वे त्योहारों से पहले अपनी ज्वेलरी डिलीवरी ले सकें।”

    सूरत और जयपुर जैसे शहरों में ज्वेलर्स का कहना है कि इस सीजन में चांदी की बिक्री में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। शादी के सीजन में लोग उपहार के तौर पर चांदी के सिक्के, बर्तन और छोटे ज्वेलरी पीस खरीदना पसंद कर रहे हैं।

    वहीं, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस समय कीमतों में उछाल वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के कारण अस्थायी हो सकता है। लेकिन जब तक अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरों में स्थिरता नहीं आती, तब तक सोने और चांदी की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं।

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने का रुख इस समय 2,600 डॉलर प्रति औंस के आसपास है, जो 2020 की तुलना में लगभग 40% अधिक है। वहीं, चांदी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी 32 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच चुकी हैं।

    भारत में निवेशकों के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) और गोल्ड ईटीएफ की लोकप्रियता बढ़ी है। आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस तिमाही में गोल्ड बॉन्ड में निवेश पिछले साल की तुलना में 35% अधिक रहा है।

    इस बीच, उपभोक्ता वर्ग का रुझान यह भी दर्शाता है कि सोना अब “भावनात्मक” और “आर्थिक” दोनों स्तरों पर स्थायित्व का प्रतीक बन गया है। चाहे वह पारंपरिक शादी के गहने हों या डिजिटल निवेश, भारतीय परिवार इसे भविष्य की सुरक्षा से जोड़कर देखते हैं।

    अहमदाबाद बुलियन मार्केट के एक वरिष्ठ व्यापारी ने कहा, “कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन सोने की चमक नहीं घटी है। भारतीय उपभोक्ता के लिए सोना केवल धातु नहीं, बल्कि स्थायित्व और सुरक्षा का प्रतीक है।”

    फिलहाल बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक माहौल में तनाव बना रहा, तो अगले कुछ हफ्तों में सोने की कीमत ₹1,30,000 प्रति 10 ग्राम और चांदी ₹1,80,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है।

    बढ़ती कीमतों और आपूर्ति संकट के बावजूद, भारत के बाजारों में सोना-चांदी की चमक बरकरार है। यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक निवेश का भी प्रतिबिंब है — जो भारतीय संस्कृति और परंपरा में सदियों से रचा-बसा है।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    सोने के दामों में तेजी से एडवांस डिपॉजिट स्कीम में भारी गिरावट, ग्राहक डिजिटल गोल्ड की ओर

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। सोने के दामों में लगातार तेजी के कारण भारतीय निवेशकों की आदतों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। इस…

    Continue reading
    सोने का सुनहरा रुख: 14 अक्टूबर 2025 को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची कीमतें, जानें आगे क्या रहेगा रुझान

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारत में सोने की चमक 14 अक्टूबर 2025 को एक बार फिर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *