




नई दिल्ली में सोमवार को भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और फ्रांस के सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक ने भारत-फ्रांस के रणनीतिक रक्षा संबंधों को एक नई दिशा दी है। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब भारत आगामी संयुक्त राष्ट्र शांति सेना प्रमुखों के सम्मेलन (UN Chiefs of Defence Conference) की मेजबानी करने जा रहा है। इस सम्मेलन से पहले हुई यह बैठक न केवल द्विपक्षीय संबंधों की पुष्टि करती है, बल्कि दोनों देशों के बीच गहराते सामरिक सहयोग का भी संकेत देती है।
बैठक का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच रक्षा प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग, और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाना था। फ्रांसीसी सेना प्रमुख का यह भारत दौरा दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा रिश्तों का प्रमाण माना जा रहा है। इस मुलाकात के दौरान, भारत और फ्रांस ने संयुक्त अभ्यास, शांति मिशन अभियानों में सहयोग, तथा भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।
जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने बैठक के दौरान कहा कि “भारत और फ्रांस के बीच दशकों से चले आ रहे रक्षा सहयोग को अब नई ऊंचाइयों पर ले जाने की आवश्यकता है। दोनों देश वैश्विक शांति, स्थिरता और सामरिक संतुलन के साझा लक्ष्य पर विश्वास रखते हैं।”
फ्रांसीसी सेना प्रमुख जनरल पियरे शिल ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत आज न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार है। उन्होंने कहा कि “भारत के साथ हमारा सहयोग सिर्फ सैन्य स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तकनीकी नवाचार, मानवीय सहायता और वैश्विक शांति अभियानों में भी सक्रिय है।”
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और फ्रांस रक्षा क्षेत्र में कई संयुक्त पहल पर काम कर रहे हैं — जैसे कि ‘वरुण’ नौसैनिक अभ्यास, ‘गरुड़’ वायुसेना अभ्यास, और थलसेना के बीच साझा प्रशिक्षण कार्यक्रम। इसके अलावा, फ्रांस भारत को कई उन्नत रक्षा प्रणालियाँ, जैसे राफेल फाइटर जेट्स, स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ और मिसाइल सिस्टम, पहले ही उपलब्ध करा चुका है।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना अभियानों (UN Peacekeeping Operations) में योगदान को लेकर भी चर्चा की। भारत विश्व का सबसे बड़ा शांति सेना योगदानकर्ता देश है, जबकि फ्रांस भी इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाता है। आगामी सम्मेलन में दोनों देश अपने अनुभव और रणनीतिक विचार साझा करेंगे।
इस सम्मेलन की मेजबानी भारत द्वारा किए जाने को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना अभियानों में भारत की भूमिका हमेशा से सराहनीय रही है — 1950 के दशक से लेकर अब तक भारतीय सेना ने 49 से अधिक शांति मिशनों में भाग लिया है, और 2 लाख से अधिक भारतीय सैनिक इन अभियानों में योगदान दे चुके हैं।
भारतीय सेना प्रमुख ने फ्रांस के अपने समकक्ष को भारत के रक्षा नवाचार केंद्र, थलसेना प्रशिक्षण संस्थान और दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का भी दौरा कराया। इस दौरान दोनों देशों के अधिकारियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि “भारत और फ्रांस के बीच सहयोग विश्व शांति की दिशा में एक साझा प्रयास है। हमारा उद्देश्य है कि आने वाले समय में दोनों सेनाएँ संयुक्त अभियानों और अभ्यासों में और अधिक सक्रिय रूप से हिस्सा लें।”
दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह संबंध और गहराते गए हैं। फ्रांस, यूरोपीय संघ का वह देश है जिसने भारत के साथ लगातार रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) और रक्षा आत्मनिर्भरता (Defence Self-Reliance) के विचारों का समर्थन किया है।
भारत-फ्रांस की यह साझेदारी न केवल हथियारों के सौदे तक सीमित है, बल्कि इसमें रक्षा अनुसंधान (Defence R&D), औद्योगिक उत्पादन, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष रक्षा (Space Defence) जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग शामिल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि फ्रांस का यह दौरा भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को भी दर्शाता है। भारत न केवल संयुक्त राष्ट्र में एक अहम आवाज के रूप में उभरा है, बल्कि इंडो-पैसिफिक रणनीति में भी एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। फ्रांस इस क्षेत्र में भारत को एक प्रमुख सहयोगी मानता है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के संदर्भ में।
बैठक के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि दोनों देशों की सेनाएँ भविष्य में संयुक्त युद्धाभ्यास और रक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अपने सहयोग को और गहराएँगी। दोनों देश UN Peacekeeping Operations में तकनीकी आधुनिकीकरण, सैनिकों की सुरक्षा और ऑपरेशनल प्रभावशीलता बढ़ाने पर मिलकर काम करेंगे।
इस बैठक को भारत की विदेश नीति और रक्षा रणनीति के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। यह भारत की “विश्व शांति में योगदान” की नीति के अनुरूप है। आने वाले दिनों में जब नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना प्रमुखों का सम्मेलन आयोजित होगा, तो भारत-फ्रांस की यह साझेदारी उस आयोजन का केंद्र बिंदु बनेगी।
जनरल द्विवेदी ने अंत में कहा — “भारत और फ्रांस के बीच संबंध केवल रक्षा साझेदारी नहीं हैं, बल्कि यह आपसी विश्वास और साझा मूल्यों पर आधारित हैं। हमारा सहयोग वैश्विक स्थिरता और मानवीय सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है।”
इस मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत न केवल एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, बल्कि वह अब दुनिया की शांति और सुरक्षा के निर्माण में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है — और फ्रांस जैसे विश्वसनीय साझेदारों के साथ मिलकर, यह प्रयास और भी मजबूत होता जा रहा है।