




प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना में एक बार फिर बड़ा घोटाला सामने आया है। केंद्र सरकार ने 31 लाख से अधिक ऐसे लाभार्थियों की पहचान की है, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए एक ही परिवार से पति-पत्नी दोनों के नाम पर योजना का लाभ उठाया। यह गड़बड़ी ऐसे समय में उजागर हुई है जब सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता और लाभार्थी सत्यापन पर जोर दे रही है।
कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों को पत्र लिखकर 15 अक्टूबर 2025 तक जांच पूरी करने और गलत लाभार्थियों को सूची से हटाने के निर्देश दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 19 लाख मामलों की जांच पूरी की जा चुकी है और उनमें से लगभग 94 प्रतिशत मामलों में अनियमितताएँ पाई गई हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह जांच डिजिटल डेटाबेस और आधार-लिंक्ड सत्यापन के माध्यम से की जा रही है। अब तक की जांच में पाया गया कि कई जिलों में एक ही परिवार के पति और पत्नी, दोनों ने अलग-अलग किसान आईडी या खातों से इस योजना का लाभ लिया है। पीएम किसान योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, लेकिन अब इस योजना का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर सामने आया है।
कृषि मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह गड़बड़ी मुख्यतः 2020 और 2023 के बीच की अवधि में हुई, जब कई लाभार्थियों ने आधार और बैंक खाते के विवरण में विसंगतियों का फायदा उठाया। मंत्रालय ने कहा कि “जो भी लाभार्थी योजना के पात्र नहीं हैं, उन्हें सूची से हटाया जाएगा और उनसे प्राप्त की गई राशि की वसूली की जाएगी।”
जानकारी के अनुसार, पीएम किसान पोर्टल से जुड़ी ई-केवाईसी और आधार सत्यापन प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। जिन किसानों के रिकॉर्ड में गड़बड़ी पाई गई है, उनके भुगतान अस्थायी रूप से रोक दिए गए हैं। मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे जिला स्तर पर विशेष जांच टीमें गठित करें और सभी मामलों की फील्ड वेरिफिकेशन रिपोर्ट तैयार करें।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना 2019 में शुरू की गई थी, जिसके तहत योग्य किसानों को हर वर्ष 6,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है। यह राशि तीन समान किस्तों में सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाना है।
अब जब इस योजना के तहत ऐसे बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं, तो केंद्र सरकार ने इसे सख्ती से निपटाने का निर्णय लिया है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा — “यह सिर्फ आर्थिक अनियमितता नहीं, बल्कि उन करोड़ों वास्तविक किसानों के अधिकारों पर चोट है, जो इस योजना के वास्तविक लाभार्थी हैं। ऐसे में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या फर्जी लाभ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
सूत्रों का कहना है कि जांच के बाद केंद्र सरकार “एक राष्ट्र, एक लाभार्थी” (One Beneficiary Policy) मॉडल लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत एक ही परिवार या पते से केवल एक सदस्य को योजना का लाभ मिलेगा। इसके लिए लाभार्थी डेटा को आधार, राशन कार्ड और भूमि रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा, जिससे भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों की गुंजाइश न रहे।
कुछ राज्यों में पहले से ही ऐसे फर्जी लाभार्थियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अब तक सबसे अधिक फर्जी लाभार्थी पाए गए हैं। बिहार के कुछ जिलों में तो एक ही परिवार के चार सदस्यों तक ने योजना का लाभ लिया था। वहीं, महाराष्ट्र में कई ऐसे मामले मिले हैं, जहां पति-पत्नी ने अलग-अलग गांवों में फर्जी पंजीकरण करवाए थे।
केंद्र सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि जिन लाभार्थियों ने गलत तरीके से योजना का लाभ उठाया है, उनसे न केवल राशि वापस ली जाएगी बल्कि भविष्य में किसी भी सरकारी योजना के लाभ से भी वंचित किया जा सकता है। कृषि मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि “ईमानदार किसानों को किसी भी स्थिति में नुकसान नहीं होगा, लेकिन फर्जी लाभार्थियों के खिलाफ कार्रवाई निश्चित रूप से होगी।”
नीति आयोग और वित्त मंत्रालय ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम को और मजबूत करने का सुझाव दिया है। अब भविष्य में प्रत्येक किस्त के भुगतान से पहले लाभार्थियों के डाटा की स्वचालित जांच की जाएगी। इसके अलावा, “सिंगल फैमिली आईडी” मॉडल पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि एक ही परिवार के सभी सदस्यों की पहचान एक साथ सुनिश्चित हो सके।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सरकार के लिए एक बड़ा सबक है। पीएम किसान जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता देना एक सराहनीय कदम है, लेकिन साथ ही डेटा की सटीकता और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है। यदि यह सुधारात्मक कदम सफल होते हैं, तो यह देशभर के कृषि कल्याण कार्यक्रमों की पारदर्शिता को नया आयाम दे सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले संबोधन में कहा था कि “सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों तक हर सहायता पारदर्शिता के साथ पहुँचे। जो लोग योजनाओं का गलत फायदा उठा रहे हैं, वे गरीब किसानों के हक पर डाका डाल रहे हैं।”
अब केंद्र सरकार इस दिशा में निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है। उम्मीद है कि आने वाले महीनों में पीएम किसान योजना से जुड़े फर्जी लाभार्थियों पर बड़ी कार्रवाई देखने को मिलेगी। इससे न केवल योजना की साख बहाल होगी, बल्कि वास्तविक किसानों का विश्वास भी और मजबूत होगा — जो इस योजना का असली लक्ष्य है।