




अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिए गए अपने “गाजा पीस भाषण” में दावा किया कि अमेरिका के पास दुनिया की सबसे ताकतवर सेना है। ट्रंप का यह बयान भले ही देशभक्ति की भावना से प्रेरित हो, लेकिन इसने एक बार फिर वैश्विक सैन्य शक्ति के समीकरणों पर नई बहस छेड़ दी है।
यह जानना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका अब भी दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य शक्ति केंद्र है या फिर रूस, चीन और भारत जैसी उभरती सेनाओं ने अब उसे टक्कर देना शुरू कर दिया है।
वैश्विक सैन्य परिदृश्य और ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025
हर साल की तरह इस साल भी Global Firepower Index 2025 ने अपनी रैंकिंग जारी की है, जिसमें देशों की सैन्य क्षमता को विभिन्न मानकों पर मापा जाता है — जैसे कुल सैनिकों की संख्या, वायुसेना और नौसेना की क्षमता, रक्षा बजट, हथियारों की तकनीक, भौगोलिक स्थिति और सामरिक शक्ति।
इस रिपोर्ट में अमेरिका, रूस, चीन, भारत और दक्षिण कोरिया को शीर्ष 5 में स्थान मिला है। वहीं, पाकिस्तान और तुर्की जैसी सेनाएं इस सूची में दसवें स्थान के बाद हैं।
1. अमेरिका – वैश्विक नेतृत्व और अत्याधुनिक तकनीक का संगम
अमेरिका आज भी अपनी विशाल रक्षा बजट और उन्नत हथियार प्रणालियों की वजह से सबसे आगे है। अमेरिकी सेना के पास दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायुसेना है, जिसमें F-35 स्टेल्थ फाइटर, B-2 स्पिरिट बॉम्बर, और USS Gerald R. Ford जैसे आधुनिक विमानवाहक पोत शामिल हैं।
अमेरिका हर साल करीब 850 बिलियन डॉलर से अधिक का रक्षा बजट खर्च करता है, जो किसी भी अन्य देश से कई गुना ज्यादा है। इसके अलावा, अमेरिका के पास NATO गठबंधन का भी लाभ है, जो उसे किसी भी वैश्विक संकट में रणनीतिक बढ़त देता है।
2. रूस – पारंपरिक शक्ति और परमाणु क्षमता का धनी
रूस की ताकत उसकी भारी-भरकम जमीनी सेना और विशाल परमाणु भंडार में छिपी है। रूस के पास S-400 मिसाइल सिस्टम, T-90 टैंक, और Su-35 लड़ाकू विमान जैसी शक्तिशाली हथियार प्रणालियाँ हैं।
हालांकि यूक्रेन युद्ध ने रूस की सैन्य प्रणाली की कुछ कमजोरियाँ उजागर की हैं, लेकिन इसके बावजूद उसकी वैश्विक सैन्य क्षमता अब भी शीर्ष पर बनी हुई है।
रूस के पास लगभग 12 लाख सक्रिय सैनिक, 10 हजार से अधिक टैंक और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नौसेना शक्ति है।
3. चीन – तकनीकी सुधार और तेजी से विस्तार करती शक्ति
चीन ने पिछले एक दशक में अपनी सेना को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया है। People’s Liberation Army (PLA) अब न केवल एशिया में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने की स्थिति में है।
चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइल, ड्रोन तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित युद्ध प्रणालियों पर भारी निवेश किया है।
वर्तमान में चीन के पास करीब 20 लाख सक्रिय सैनिक, 3,000 से अधिक विमान और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी नौसेना है।
4. भारत – आत्मनिर्भर और बहुआयामी रक्षा शक्ति
भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता को आत्मनिर्भरता और तकनीकी सुधारों के ज़रिए मजबूत कर रहा है। Make in India और Defence Corridor Projects के तहत देश अब स्वदेशी हथियार, मिसाइल और युद्धक विमान बना रहा है।
भारत की सेना के पास INS Vikrant, Tejas Fighter Jet, Agni-V Missile और Arihant Class Submarine जैसे हथियार हैं जो उसे “नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर” की स्थिति दिलाते हैं।
भारत का रक्षा बजट 90 बिलियन डॉलर के आसपास है और वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना के रूप में जानी जाती है।
भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी मानव शक्ति है — करीब 14 लाख सक्रिय सैनिक और लगभग इतने ही रिज़र्व सैनिकों की संख्या।
5. दक्षिण कोरिया – एशिया की उभरती शक्ति
दक्षिण कोरिया ने अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण एक मजबूत रक्षा प्रणाली विकसित की है। उत्तर कोरिया के खतरे को देखते हुए, उसने आधुनिक मिसाइल डिफेंस और साइबर वारफेयर तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया है।
उसकी सेना अत्यधिक प्रशिक्षित है और अमेरिका के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी उसे अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है।
अफगानिस्तान और कमजोर पड़ते विरोधी
ट्रंप के बयान के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा शुरू हुई। 2021 में तालिबान के काबिज होने के बाद अफगान सेना लगभग खत्म हो गई है। पश्चिमी देशों के सहयोग के बावजूद, अफगानिस्तान अपनी सैन्य संरचना को पुनर्जीवित नहीं कर पाया है।
इस वजह से भारत के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी देशों में कई अब उतने सशक्त नहीं रह गए हैं जितने पहले हुआ करते थे।
भारत की वैश्विक भूमिका और आने वाला दशक
भारत आने वाले वर्षों में न केवल एशिया बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख रक्षा शक्ति के रूप में उभर सकता है।
देश अपने परमाणु कार्यक्रम, अंतरिक्ष रक्षा, साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सैन्य तकनीक पर लगातार निवेश कर रहा है।
भारत अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों के साथ रक्षा सहयोग समझौतों के माध्यम से अपनी रणनीतिक गहराई बढ़ा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा कि अमेरिका के पास दुनिया की सबसे ताकतवर सेना है, तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं, लेकिन अधूरा जरूर है।
दुनिया की शक्ति व्यवस्था अब “एकध्रुवीय” नहीं रही — भारत, चीन और रूस जैसी उभरती ताकतें इस परिदृश्य को बदल रही हैं।
भारत का चौथा स्थान इस बात का संकेत है कि देश अब सिर्फ रक्षा नहीं बल्कि वैश्विक रणनीतिक स्थिरता में भी एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
21वीं सदी के मध्य तक भारत संभवतः दुनिया की शीर्ष तीन सैन्य शक्तियों में अपनी जगह पक्की कर लेगा — और यह गर्व की बात होगी कि यह उपलब्धि किसी युद्ध नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति से हासिल होगी।