




भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी दूसरी सूची जारी की है। इस सूची में कुल 12 नामों को केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा अनुमोदन मिला है। पहली सूची में पहले ही 71 उम्मीदवार घोषित किए गए थे, और अब नई सूची के साथ भाजपा ने अपनी रणनीति को और ठोस रूप देना शुरू किया है। इस सूची से पार्टी ने कई नए चेहरे मैदान में उतारे हैं, साथ ही कुछ रणनीतिक बदलाव भी किए हैं।
इस दूसरी सूची का सबसे चर्चित नाम मैथिली ठाकुर का है, जिन्हें अलीनगर सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया है। मैथिली ठाकुर, जो एक प्रसिद्ध लोक गायिका हैं, उन्होंने हाल ही में बीजेपी में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा है। उन्हें चुनाव मैदान में उतारना भाजपा की कोशिश है कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान वाले उम्मीदवारों को लेकर जनता को आकर्षित करें।
दूसरी ओर, आनंद मिश्रा, जो एक पूर्व IPS अधिकारी हैं, को बक्सर सीट से भाजपा उम्मीदवार बनाया गया है। मिश्रा कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुए थे और अब पार्टी ने उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपकर यह संदेश देना चाहा है कि वे नए नेतृत्व को अवसर देने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
इन दोनों नामों के अलावा सूची में अन्य 10 उम्मीदवारों पर भी पार्टी ने मुहर लगाई है। इस सूची में उन सीटों पर स्थानीय रुझान, सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय रणनीति को ध्यान में रखकर नाम चुने गए हैं। सूची में शामिल कई अन्य क्षेत्रों से उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका प्रभाव स्थानीय स्तर पर है और जिनसे भाजपा की उम्मीदें इस क्षेत्र में लाभ की हैं।
राजनीतिक पटल पर इस सूची को कई मायनों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है — यह भाजपा का प्रयास है कि नए चेहरों और विविध पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों से पार्टी का जनाधार और मजबूत हो। इस सूची के बाद कुल भाजपा उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 83 हो गई है, जिसमें पहली सूची और दूसरी सूची दोनों मिलकर शामिल हैं।
चुनाव की तारीखों की बात करें तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 दो चरणों में आयोजित होंगे — 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 14 नवंबर को होगी। इस चुनाव की महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि भाजपा ने ऐसे उम्मीदवारों का चुनाव किया है, जो अपनी अलग पहचान और प्रभाव के आधार पर अपनी सीट पर टिक सके।
विश्लेषकों का मानना है कि मैथिली ठाकुर का नामांकन भाजपा के लिए एक रणनीतिक कदम है। उनकी लोकप्रियता और सांस्कृतिक पहचान ऐसे मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है जो पारंपरिक राजनैतिक दलों से दूरी बनाए हुए हैं। दूसरी ओर, आनंद मिश्रा की पृष्ठभूमि और प्रशासनिक अनुभव उन्हें मजबूत दावेदार बनाते हैं। यदि वे सफल होते हैं, तो भाजपा को इन सीटों पर प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अब यह देखने की बात होगी कि पार्टी अपनी इन घोषणाओं को किस तरह से चुनावी अभियान में उतारती है और जनता पर इसका कितना असर होता है। भाजपा ने इस सूची के जरिए यह संकेत देने की कोशिश की है कि वे पुरानी राजनीति से हटकर नई रणनीति अपनाने को तैयार हैं और जनता के सामने बदलाव का चेहरा पेश करना चाहती है।