




बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक बार फिर शोक की लहर दौड़ गई है। अभिनेता पंकज धीर की मौत से अभी सिनेमा जगत पूरी तरह संभल भी नहीं पाया था कि अब एक और बुरी खबर सामने आई है। हिंदी सिनेमा की मशहूर डांसर और एक्ट्रेस मधुमति का 87 साल की उम्र में निधन हो गया। मधुमति ने 50 और 60 के दशक में कई यादगार फिल्मों में काम किया और अपनी नृत्य कला से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी।
मधुमति अपने समय की उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में से थीं जिन्होंने अभिनय के साथ-साथ डांस को भी नए आयाम दिए। उनकी नृत्य शैली शास्त्रीयता और फिल्मी अभिव्यक्ति का अद्भुत मेल थी। उन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड की मुख्यधारा फिल्मों में अपनी पहचान बनाई बल्कि साउथ सिनेमा में भी कई फिल्मों में काम किया। उस दौर में मधुमति को “डांसिंग क्वीन ऑफ बॉलीवुड” कहा जाता था।
उनके निधन की खबर मिलते ही बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर सितारों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अभिनेता अक्षय कुमार ने इंस्टाग्राम पर मधुमति के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए लिखा –
“मधुमति जी, आपने मुझे डांस की असली आत्मा सिखाई। मैं जो भी जानता हूं, वो सब आपसे सीखा है। आपका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। आपकी आत्मा को शांति मिले।”
अक्षय कुमार और मधुमति ने साथ में शुरुआती दौर में कुछ डांस वर्कशॉप्स में काम किया था, जहां मधुमति बतौर मेंटर और डांस कोच थीं। उन्होंने कई कलाकारों को प्रशिक्षित किया, जिनमें गोविंदा, जैकी श्रॉफ और माधुरी दीक्षित जैसे सितारे शामिल हैं। उनके सिखाए नृत्य के गुर आज भी कई पीढ़ियां अपनाती हैं।
मधुमति ने अपने करियर की शुरुआत 1950 के दशक में फिल्म “मंगला” से की थी। उसके बाद उन्होंने “एक ही रास्ता”, “राजा और रंक”, “नौ दो ग्यारह”, और “दिल दिया दर्द लिया” जैसी फिल्मों में अपने डांस और अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कई संगीत निर्देशकों जैसे शंकर-जयकिशन, ओ.पी. नैयर और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ काम किया था।
उनका नृत्य न केवल सुंदरता का प्रतीक था, बल्कि उस दौर की भारतीय सांस्कृतिक आत्मा को दर्शाता था। फिल्म “मुसाफिरखाना” के एक गाने में उनका प्रदर्शन आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवंत है। उनकी भाव-भंगिमाएं और लयबद्ध प्रस्तुति उन्हें बाकी अभिनेत्रियों से अलग बनाती थीं।
फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मधुमति जैसी कलाकार बार-बार जन्म नहीं लेती। कोरियोग्राफर सरोज खान के परिवार ने भी उन्हें याद करते हुए कहा कि मधुमति ने भारतीय सिनेमा में नृत्य की जो विरासत छोड़ी है, उसे भुलाया नहीं जा सकता।
उनके परिवार के सूत्रों के अनुसार, मधुमति लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। हाल ही में उन्हें मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां बुधवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। गुरुवार को उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार विले पार्ले श्मशान घाट में किया जाएगा।
सिनेमा प्रेमियों के लिए मधुमति का निधन एक युग के अंत जैसा है। वो उन कलाकारों में थीं जिन्होंने अपने हुनर से महिला कलाकारों के लिए नए रास्ते खोले। उन्होंने उस दौर में भी काम किया जब महिलाओं के लिए फिल्म इंडस्ट्री में सीमित अवसर होते थे, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई।
उनके साथ काम करने वाले निर्देशक सुभाष घई ने ट्वीट किया –
“मधुमति जी सिर्फ एक डांसर नहीं, बल्कि इंस्पिरेशन थीं। उन्होंने हर सीन को एक परफॉर्मेंस की तरह जिया। उनका योगदान बॉलीवुड के इतिहास में अमर रहेगा।”
मधुमति के निधन से भारतीय सिनेमा ने एक ऐसी हस्ती खो दी है, जिसने डांस और अभिनय दोनों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनके जाने से सिनेमा जगत में एक ऐसा खालीपन आ गया है जिसे भर पाना आसान नहीं होगा।
उनका जीवन और करियर इस बात का प्रमाण है कि समर्पण और जुनून के साथ किया गया काम अमर हो जाता है। मधुमति अब भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके गीतों की धुन, उनके डांस की लय और उनके चेहरे की मुस्कान हमेशा भारतीय सिनेमा के सुनहरे इतिहास में दर्ज रहेगी।