




दिवाली के अवसर पर गरीब और अल्पसंख्यक बच्चों को सशक्त बनाने के लिए एक अनूठा अभियान चलाया गया। इस पहल में बच्चों ने न केवल दिवाली की खुशियों को महसूस किया बल्कि अपने हाथों से दीपक पेंटिंग कर अपने भीतर की रचनात्मकता और आत्मविश्वास को जगाया। इस आयोजन का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा, कला और समाज के प्रति जागरूक करना था।
अधिकारियों और आयोजकों ने बताया कि यह कार्यक्रम मुख्य रूप से उन बच्चों के लिए था जो आर्थिक या सामाजिक कारणों से अवसरों से वंचित हैं। इस अभियान में बच्चों ने अपनी कल्पना और प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए रंग-बिरंगे दीपक तैयार किए। दीपक केवल सजावट का माध्यम नहीं थे, बल्कि यह उनके उज्जवल भविष्य और उम्मीदों का प्रतीक बन गए।
बच्चों ने न केवल दीपक पेंट किए बल्कि इस प्रक्रिया में टीम वर्क, धैर्य और सृजनात्मक सोच को भी सीखा। आयोजकों ने कहा कि कला के माध्यम से बच्चों में आत्मविश्वास, स्वतंत्र सोच और समस्या-समाधान क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। बच्चों ने रंगों और डिज़ाइनों के माध्यम से अपने भावनाओं और सपनों को व्यक्त किया।
इस अभियान में बच्चों के साथ शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवक भी जुड़े। उन्होंने बच्चों को पेंटिंग के तरीके सिखाए और उनके प्रयासों की सराहना की। आयोजकों का कहना है कि ऐसे आयोजनों से बच्चे न केवल कला में माहिर होते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व में निखार और सकारात्मक सोच भी आती है।
बच्चों ने दीपक बनाते समय सृजनात्मकता और रंगों के महत्व को समझा। यह अनुभव उनके लिए एक नया अवसर था, जिसमें उन्होंने न केवल कला का आनंद लिया बल्कि अपने भीतर की प्रतिभा को भी पहचाना। आयोजकों ने बताया कि यह कार्यक्रम बच्चों को यह संदेश देता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, मेहनत और रचनात्मकता से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
अभियान में शामिल बच्चों ने बताया कि उन्हें इस अनुभव से खुशी, आत्मविश्वास और नई उम्मीदें मिली हैं। उन्होंने कहा कि दीपक बनाना सिर्फ कला नहीं, बल्कि उनके जीवन में रोशनी और प्रेरणा का प्रतीक बन गया। कई बच्चों ने कहा कि अब वे पढ़ाई और कला के माध्यम से अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को समाज से जोड़ने और उन्हें सशक्त बनाने में मदद करते हैं। बच्चों को यह महसूस होता है कि उनकी प्रतिभा और मेहनत की कद्र की जाती है। यह पहल बच्चों को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करने के साथ-साथ उनके सपनों को आकार देने में भी सहायक है।
इस आयोजन का एक और उद्देश्य सामाजिक जागरूकता फैलाना भी था। बच्चों ने न केवल दीपक पेंट किए, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया गया कि कला और शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। यह कार्यक्रम उनके लिए स्वयं की पहचान और समाज में योगदान का माध्यम भी साबित हुआ।
अंत में आयोजकों ने कहा कि भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें गरीब और अल्पसंख्यक बच्चों को अवसर दिए जाएंगे कि वे अपनी प्रतिभा दिखा सकें और समाज में अपनी पहचान बना सकें। यह पहल बच्चों के सशक्तिकरण और उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।