




गाज़ा में जारी संघर्षविराम के बीच, इस्राइल द्वारा गिरफ्तार किए गए कई चिकित्सा कर्मियों की रिहाई की गई है। इनमें डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स को शामिल किया गया है जिन्हें युद्ध के दौरान अस्पतालों पर छापेमारी के समय हिरासत में लिया गया था। हालांकि इस राहत भरी खबर के साथ ही एक विवादित मुद्दा भी सामने आया है—कमाल अदवान अस्पताल के निदेशक डॉ. हॉसम अबू सफिया अब भी इस्राइली जेल में बंद हैं।
इस्राइल और गाज़ा के बीच हुए संघर्षविराम समझौते के तहत, इस्राइल ने कुछ दर्जन चिकित्सा कर्मियों को रिहा किया है। बताया जा रहा है कि इनमें करीब 55 स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं जिनमें 31 डॉक्टर और नर्सें भी हैं। ये सभी ऐसे अस्पतालों से जुड़े थे जो युद्ध के समय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
रिहा किए गए स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि उन्हें हिरासत के दौरान मानसिक और शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ा। जेलों में भोजन, स्वास्थ्य सेवाओं और नींद तक की सुविधा नहीं थी। कई लोगों को बिना किसी आरोप के महीनों तक रखा गया।
डॉ. हॉसम अबू सफिया, जो गाज़ा के उत्तर में स्थित कमाल अदवान अस्पताल के प्रमुख हैं, संघर्ष के दौरान मानवता की सेवा का प्रतीक बनकर उभरे थे। बमबारी, घेराबंदी और मेडिकल संसाधनों की भारी कमी के बावजूद उन्होंने अस्पताल नहीं छोड़ा।
उन्होंने मीडिया को दिए गए बयानों और वीडियो के माध्यम से अस्पताल की स्थिति और मरीजों की दुर्दशा को दुनिया के सामने रखा था। जब इस्राइली सेना ने 27 दिसंबर को उनके अस्पताल पर छापा मारा, तब भी उन्होंने अस्पताल खाली करने से इनकार कर दिया और मरीजों के साथ डटे रहे।
छापेमारी के बाद डॉ. अबू सफिया को हिरासत में ले लिया गया। अब तक उनके खिलाफ कोई औपचारिक आरोप नहीं लगाया गया है। हालांकि इस्राइली सेना का कहना है कि उन्हें हमास से संबंध रखने के संदेह में गिरफ्तार किया गया है और जांच जारी है।
मानवाधिकार संगठनों और चिकित्सा संघों ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन है। चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मियों को युद्ध में सुरक्षा मिलनी चाहिए, उन्हें निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
रिपोर्टों के अनुसार, डॉ. अबू सफिया को इस्राइल की जेलों में कई बार स्थानांतरित किया गया है। उन्हें एकांत कारावास में रखा गया, जहाँ उन्हें उचित इलाज तक नहीं मिला। वह दिल की बीमारी और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं, लेकिन उनके इलाज के कोई विशेष प्रबंध नहीं किए गए।
उनके वकीलों और परिवार ने कई बार आग्रह किया कि उन्हें कम से कम मानवीय आधार पर इलाज की सुविधा दी जाए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य संगठनों, डॉक्टरों के वैश्विक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने डॉ. अबू सफिया की तत्काल रिहाई की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उन पर कोई आरोप हैं तो उन्हें निष्पक्ष सुनवाई के लिए न्यायालय में पेश किया जाना चाहिए।
इस मुद्दे को लेकर पश्चिमी देशों में भी बहस छिड़ी हुई है, जहाँ कई सांसदों और संगठनों ने इस्राइल से पारदर्शिता की मांग की है।
स्वास्थ्य कर्मियों की गिरफ्तारी और अस्पतालों पर हमले गाज़ा की पहले से ही चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा असर डाल रहे हैं। कई अस्पताल अब भी बंद पड़े हैं, जबकि जिनमें सेवाएं चालू हैं वहाँ उपकरणों और स्टाफ की भारी कमी है।
रिहा किए गए डॉक्टरों और नर्सों के लौटने से राहत जरूर मिली है, लेकिन जब तक डॉ. अबू सफिया जैसे वरिष्ठ और अनुभवी डॉक्टर हिरासत में हैं, तब तक यह राहत अधूरी मानी जा रही है।
गाज़ा संघर्षविराम के तहत चिकित्सा कर्मियों की रिहाई एक सकारात्मक कदम जरूर है, लेकिन जब तक सभी निर्दोष स्वास्थ्यकर्मियों को रिहा नहीं किया जाता और उनके साथ मानवीय व्यवहार नहीं किया जाता, तब तक यह प्रक्रिया अधूरी है।
डॉ. हॉसम अबू सफिया की रिहाई केवल एक व्यक्ति की मुक्ति नहीं होगी, बल्कि यह युद्ध की विभीषिका में इंसानियत और चिकित्सा सेवा के सम्मान की भी बहाली होगी।