




सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर में दीपावली के दौरान ग्रीन फायरक्रैकर्स यानी हरे पटाखों के उपयोग की अनुमति दिए जाने के बाद, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस निर्णय का जोरदार स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल जनता की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का सम्मान करता है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा:
“हम सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं। यह निर्णय दीपावली के अवसर पर दिल्लीवासियों की आस्था और परंपरा को मान्यता देता है। साथ ही यह बताता है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर भी सजग हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने निर्देश में स्पष्ट किया कि केवल हरे पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी जाएगी, वह भी सख्त शर्तों के साथ। मुख्य शर्तें इस प्रकार हैं:
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पटाखे जलाने की समयसीमा रात 8 बजे से 10 बजे तक होगी।
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केवल CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित हरे पटाखों का उपयोग किया जा सकता है।
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गैर-हरे पटाखों की बिक्री, भंडारण या जलाना प्रतिबंधित रहेगा।
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आदेश का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली सरकार के विशेष अनुरोध पर सुनवाई के बाद जारी किया। सरकार ने अदालत से यह आग्रह किया था कि धार्मिक त्योहारों पर आम जनता की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाए।
हरे पटाखे (Green Firecrackers) ऐसे आतिशबाज़ी उत्पाद होते हैं जिन्हें CSIR-NEERI ने पारंपरिक पटाखों के स्थान पर पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में विकसित किया है। इनकी खासियतें:
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पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30-40% कम वायु प्रदूषण
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कम ध्वनि प्रदूषण, 125 डेसिबल से नीचे
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सल्फर, पोटैशियम नाइट्रेट और एल्युमीनियम की मात्रा नियंत्रित
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स्वास्थ्य पर कम प्रभाव
इस निर्णय के पीछे मुख्य उद्देश्य यही है कि लोग त्योहार मना सकें, परंतु स्वास्थ्य और पर्यावरण से समझौता किए बिना।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने लोगों से अपील की कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन करें। उन्होंने कहा:
“यह त्योहार आनंद का है, लेकिन हमें अपने बच्चों, बुजुर्गों और पर्यावरण का भी ध्यान रखना है। ग्रीन पटाखों का उपयोग ही करें और तय समय के भीतर ही पटाखे जलाएं।”
उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने ‘ग्रीन दीवाली, क्लीन दीवाली’ अभियान के तहत व्यापक जन-जागरूकता अभियान शुरू किया है।
दिल्ली सरकार और पुलिस प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं कि आदेश का पालन हो। प्रमुख उपाय:
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केवल लाइसेंस प्राप्त दुकानों पर ही हरे पटाखों की बिक्री की अनुमति
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जिला स्तर पर टास्क फोर्स का गठन
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गैर-हरे पटाखों की पहचान और जब्ती हेतु विशेष अभियान
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सोशल मीडिया और बाजार में निगरानी
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नागरिकों को हेल्पलाइन और WhatsApp नंबर उपलब्ध कराए गए हैं
दिल्ली पुलिस ने भी चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिबंधित पटाखों का उपयोग करता है, तो उस पर NGT और IPC के तहत कार्रवाई की जाएगी।
दीपावली भारत का सबसे बड़ा पर्व है, जो रौशनी, उल्लास और आस्था का प्रतीक है। परंतु बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य में अब यह आवश्यक हो गया है कि त्योहार की परंपराओं को जिम्मेदारी के साथ मनाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक मिसाल है कि परंपरा और पर्यावरण, दोनों का सम्मान किया जा सकता है — बशर्ते नियमन और संयम हो।
रेखा गुप्ता और पर्यावरण विशेषज्ञों ने आम नागरिकों से ये आग्रह किए:
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केवल CSIR–प्रमाणित ग्रीन पटाखों का ही प्रयोग करें।
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निर्धारित समय सीमा (8 PM – 10 PM) का पालन करें।
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बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
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पर्यावरण की रक्षा को एक सामाजिक जिम्मेदारी मानें।
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वैकल्पिक रूप से दीयों, सजावट और संगीत के साथ त्योहार को सुंदर बनाएं।
दिल्ली सरकार और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने एक ऐसा रास्ता चुना है जो न तो त्योहारों की आस्था को ठेस पहुँचाता है और न ही पर्यावरण की अनदेखी करता है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का यह बयान स्पष्ट करता है कि अब समय आ गया है जब हर नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी।