




मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 24 से अधिक बच्चों की मौत ने पूरे देश में चिंता की लहर पैदा कर दी है। छिंदवाड़ा जिले में अकेले 21 बच्चों की मौत हुई है और कई अन्य बच्चे गंभीर हालत में अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। इस मामले की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि सिर्फ कोल्ड्रिफ ही नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में और भी कफ सिरप जहरीले पाए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग की जांच में तीन कफ सिरप ब्रांड्स को जानलेवा बताया गया है। इन सिरप में ऐसे हानिकारक रसायन पाए गए हैं, जो बच्चों और वयस्कों दोनों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। यह सिरप बच्चों में श्वसन समस्याओं को ठीक करने के बजाय उनकी जान के लिए खतरा बन रहे थे।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने इन तीन कफ सिरप ब्रांड्स की बिक्री, वितरण और उपयोग पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों, मेडिकल स्टोरों और फार्मासिस्टों को निर्देश दिया है कि वे इन सिरप ब्रांड्स को तुरंत जब्त करें और जनता को चेतावनी जारी करें। इसके अलावा, लोगों से अपील की गई है कि यदि उनके पास इन सिरप ब्रांड्स हैं तो उन्हें तुरंत न इस्तेमाल करें और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या फार्मेसी में लौटाएं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में कोल्ड्रिफ या अन्य जहरीले सिरप का सेवन गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। जहर मिले सिरप का प्रभाव त्वरित हो सकता है और इससे श्वसन प्रणाली, किडनी और लीवर सहित कई अंगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों ने माता-पिता और अभिभावकों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा कि किसी भी कफ या सर्दी-खांसी की दवा को केवल योग्य डॉक्टर की सलाह के बाद ही बच्चों को दें।
मध्य प्रदेश में हुए मामले के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस घटना की गंभीरता को देखते हुए पूरे देश में सभी कफ सिरप ब्रांड्स की समीक्षा शुरू कर दी है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से दवा निर्माण और वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी की आवश्यकता सामने आती है।
जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि जांच में पाया गया कि तीन ब्रांड्स में शामिल हानिकारक रसायन सीमाओं से अधिक मात्रा में पाए गए थे। यह सीधे तौर पर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक थे। विभाग ने इन सिरप के निर्माण और आपूर्ति करने वाले निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और दोषियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत सजा दिलाने की तैयारी है।
इस घटना ने देशभर में जनता और अभिभावकों में दवा सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ा दी है। लोग अब यह जानने लगे हैं कि केवल बाजार में उपलब्ध दवा को भरोसेमंद नहीं माना जा सकता और हमेशा सरकारी मंजूरी और डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि बच्चों की दवाओं में मिलावट या जहरीले तत्व का पता लगाना कठिन होता है, इसलिए केवल प्रमाणित और मान्य दवाओं का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में लगाए गए बैन के बाद स्वास्थ्य विभाग लगातार मेडिकल स्टोर्स और फार्मेसियों की निगरानी कर रहा है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों के माता-पिता और आम जनता को जागरूक किया जाए और किसी भी जहरीले सिरप के इस्तेमाल से बचाया जा सके।
इस घटना ने देश में दवा सुरक्षा और बच्चों के स्वास्थ्य के महत्व को दोबारा उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल जागरूकता ही नहीं, बल्कि निर्माण और वितरण प्रणाली में सुधार और निगरानी भी अनिवार्य है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के लिए दवाओं का चुनाव बेहद सावधानी से करें और केवल प्रमाणित दवा ही खरीदें।