




महाकुंभ 2025 के दौरान हुए भगदड़ मामले ने फिर से राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की रामकली बाई के पति मोहनलाल अहिरवार की मौत मौनी अमावस्या स्नान पर्व के दौरान मेला क्षेत्र में मची भगदड़ में हुई थी। इस घटना ने न केवल परिवार को गहरा आघात पहुंचाया, बल्कि समाज में सुरक्षा व्यवस्था और आयोजकों की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और सरकार तथा संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया है कि पीड़ित परिवार को तुरंत मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मृतक के परिवार को होने वाले नुकसान की भरपाई में कोई देरी अस्वीकार्य है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक लापरवाही या अनावश्यक देरी पीड़ितों के प्रति अन्याय है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
मध्य प्रदेश सरकार ने पहले मृतक के परिवार के लिए मुआवजे की घोषणा की थी। हालांकि, कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि मुआवजा राशि तत्काल प्रभाव से प्रदान की जाए और किसी भी प्रकार की प्रक्रियात्मक देरी की अनुमति न दी जाए। कोर्ट ने इस मामले में संबंधित मेल अधिकारियों और मेला प्रबंधकों से भी स्पष्टीकरण मांगा है कि सुरक्षा व्यवस्थाओं में कहां चूक हुई और कैसे ऐसी त्रासदी को रोका जा सकता था।
विशेषज्ञों का कहना है कि महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। भगदड़ जैसी घटनाएं केवल अनियंत्रित भीड़ के कारण नहीं होतीं, बल्कि इसके पीछे सुरक्षा व्यवस्था की कमी और आयोजकों की लापरवाही भी मुख्य कारण होती है। कोर्ट का यह निर्देश एक स्पष्ट संदेश है कि प्रशासन को पीड़ितों के अधिकारों और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए।
पीड़ित परिवार ने भी कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। रामकली बाई ने कहा कि उनकी उम्मीद है कि मुआवजा जल्दी मिलेगा और वे अपने जीवन को धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में ला सकेंगी। उन्होंने प्रशासन और न्यायपालिका के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने उनके दर्द को समझा और शीघ्र राहत की दिशा में कदम उठाया।
महाकुंभ 2025 भगदड़ घटना ने पूरे देश में धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया। प्रशासनिक और न्यायिक कदमों से यह स्पष्ट हुआ कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े उपाय किए जाएंगे। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मेला प्रबंधकों को आगंतुकों की संख्या नियंत्रित करनी चाहिए, आपातकालीन निकासी मार्ग सुनिश्चित करने चाहिए और प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त तैनाती करनी चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस आदेश से अन्य राज्यों और आयोजकों को भी सुरक्षा व्यवस्था के प्रति सजग होने का संदेश मिलेगा। यह घटना यह भी दिखाती है कि न्यायपालिका समय पर हस्तक्षेप करके पीड़ितों को राहत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
इस आदेश के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि मुआवजा जल्दी उपलब्ध होगा और पीड़ित परिवार अपने जीवन में आर्थिक और मानसिक संतुलन पा सकेगा। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की सरकारी देरी या अनदेखी भविष्य में गंभीर कानूनी परिणाम ला सकती है।
महाकुंभ 2025 भगदड़ की यह घटना एक चेतावनी भी है कि धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रशासनिक, न्यायिक और समाजिक जिम्मेदारी के संयोजन से ही ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकता है। कोर्ट का यह कदम पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण मिसाल है।