




छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया के खिलाफ ईओडब्ल्यू (अपराध शाखा) ने बड़ा एक्शन लिया है। आय से अधिक संपत्ति मामले में ईओडब्ल्यू ने सौम्या चौरसिया के खिलाफ 8000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले में कुल 50 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जो प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार मामला माना जा रहा है।
आय से अधिक संपत्ति का आरोप एक गंभीर मामला है, जिसमें सरकारी अधिकारियों या कर्मचारियों के पास उनकी घोषित आय से कहीं अधिक संपत्ति होने पर जांच की जाती है। सौम्या चौरसिया के खिलाफ यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को लेकर कड़े कदम उठाने का संकल्प लिया है।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में लंबी और विस्तृत जांच की है, जिसमें सौम्या चौरसिया की संपत्ति, बैंक खाते, निवेश और अन्य वित्तीय लेन-देन का विस्तृत ऑडिट किया गया। चार्जशीट में कई ऐसे दस्तावेज शामिल हैं जो सौम्या के वित्तीय लेन-देन और उनकी संपत्ति के स्रोतों को उजागर करते हैं। ईओडब्ल्यू ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच में पाया गया कि सौम्या चौरसिया के पास उनकी घोषित आय से कई गुना अधिक संपत्ति है।
छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदमों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई से न केवल भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ स्पष्ट संदेश जाएगा, बल्कि जनता में विश्वास भी बढ़ेगा कि सरकार और जांच एजेंसियां पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए गंभीर हैं।
सौम्या चौरसिया के खिलाफ की गई कार्रवाई में 50 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है। इसमें बैंक खाते, अचल संपत्ति और निवेश शामिल हैं। ईओडब्ल्यू ने कहा कि जब्त की गई संपत्ति को आगे कानूनी प्रक्रिया के तहत सुरक्षित रखा जाएगा और अगर दोष साबित होता है तो संबंधित संपत्ति को सरकार के खजाने में शामिल किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले की लंबाई और चार्जशीट की विस्तृत सामग्री यह दर्शाती है कि ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच में कोई कमी नहीं छोड़ी है। 8000 पेज की चार्जशीट इस बात का सबूत है कि सौम्या चौरसिया के वित्तीय लेन-देन का विश्लेषण बड़े पैमाने पर किया गया है और हर पहलू को प्रमाणों के साथ दर्ज किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सौम्या चौरसिया का नाम भूपेश बघेल की उप सचिव के रूप में जुड़ा होने के कारण यह मामला ज्यादा सुर्खियों में आया है। हालांकि, ईओडब्ल्यू ने स्पष्ट किया है कि कार्रवाई केवल सबूतों और जांच के आधार पर की गई है, और किसी राजनीतिक दबाव या प्राथमिकता से नहीं।
इस मामले के बाद प्रदेश में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ सतर्कता बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। जनता और प्रशासन दोनों ही इस कार्रवाई को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं। यह मामला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कार्रवाई का प्रतीक बन गया है।
सौम्या चौरसिया के वकील ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे चार्जशीट की जाँच कर रहे हैं और अदालत में सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनका क्लाइंट न्याय प्रक्रिया में पूरी तरह से सहयोग कर रहा है और अदालत में अपना पक्ष रखेगा।
प्रदेश के बड़े भ्रष्टाचार मामलों में यह कदम भविष्य के लिए एक मिसाल साबित होगा। इससे स्पष्ट होता है कि जांच एजेंसियां बिना किसी भेदभाव के अपने दायित्व का पालन कर रही हैं और किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को कानून के दायरे से बाहर नहीं रखा जाएगा।