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    दक्षिण कोरिया ने छात्र की हत्या के बाद कंबोडिया के कुछ हिस्सों की यात्रा पर लगाया प्रतिबंध

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    दक्षिण कोरिया की सरकार ने कंबोडिया के कुछ हिस्सों में यात्रा पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह फैसला उस दर्दनाक घटना के बाद लिया गया है, जिसमें एक कोरियाई कॉलेज छात्र की कंबोडिया में यातना देकर हत्या कर दी गई।

    यह प्रतिबंध कंबोडिया के उन क्षेत्रों पर लागू होगा, जो हाल के वर्षों में फर्जी जॉब स्कैम, साइबर अपराध, और मानव तस्करी जैसे संगठित अपराधों के लिए बदनाम रहे हैं।

    यह मामला तब प्रकाश में आया जब एक दक्षिण कोरियाई छात्र, जिसकी पहचान पार्क मिन-हो (21 वर्ष) के रूप में हुई है, को कंबोडिया में फर्जी नौकरी के झांसे में फंसाकर वहां बुलाया गया।

    वहां पहुंचने के बाद उसे एक “स्कैम सेंटर” में बंधक बनाकर मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं। कई दिनों तक उसे बंदी बनाकर रखा गया और आखिरकार उसकी हत्या कर दी गई। अगस्त में उसका शव बोकॉर पर्वत (Bokor Mountain) क्षेत्र में एक ट्रक में पाया गया।

    पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि पीड़ित को अत्यधिक यातनाएं दी गई थीं और उसे दो महीने तक फ्रीजर में रखा गया था।

    दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्रालय ने निम्नलिखित कंबोडियाई क्षेत्रों को “यात्रा निषिद्ध क्षेत्र” (Travel Ban Zone) घोषित किया है:

    • बोकॉर माउंटेन (Bokor Mountain) — कंपॉट प्रांत

    • बोवेट (Bavet) — वियतनाम सीमा से सटा इलाका

    • पोइपेट (Poipet) — थाईलैंड सीमा के पास स्थित क्षेत्र

    इन क्षेत्रों को अब “स्तर 4” यात्रा चेतावनी के तहत रखा गया है, जिसका अर्थ है कि यहां की यात्रा पूरी तरह प्रतिबंधित है। इस चेतावनी का उल्लंघन करने वालों पर पासपोर्ट कानून और संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

    दक्षिण कोरिया की सरकार को यह कदम तब उठाना पड़ा जब बीते कुछ महीनों में कंबोडिया में फर्जी नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसे में लेकर बंधक बनाने और उनसे जबरन साइबर अपराध करवाने की घटनाएं तेजी से बढ़ीं।

    सरकार ने माना है कि यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि एक संगठित अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क की भयावह तस्वीर है, जो युवाओं को शिकार बना रहा है।

    सरकार ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच टीम (Special Task Force) को बुधवार को कंबोडिया भेजने की तैयारी कर ली है।

    इस टीम में शामिल होंगे:

    • विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी

    • पुलिस और साइबर अपराध विशेषज्ञ

    • नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस (NIS) के प्रतिनिधि

    इस टीम का मुख्य उद्देश्य होगा — कंबोडियाई अधिकारियों के साथ मिलकर मामले की तह तक जाना, फर्जी नौकरी गिरोहों की पहचान करना और वहां फंसे कोरियाई नागरिकों को वापस लाना।

    हालिया रिपोर्टों के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व एशिया, विशेषकर कंबोडिया, म्यांमार, और लाओस में स्कैम सेंटर तेजी से बढ़े हैं। इन केंद्रों में युवाओं को जबरन रखकर उनसे फिशिंग, क्रिप्टो धोखाधड़ी, और ऑनलाइन घोटाले कराए जाते हैं।

    ऐसी ही एक रिपोर्ट में बताया गया कि 1000 से अधिक दक्षिण कोरियाई नागरिक इन केंद्रों में फंसे हुए हैं। इनमें से कई को बंधक बनाकर काम करवाया जा रहा है।

    कंबोडिया के प्रशासन ने इस मामले पर शोक व्यक्त करते हुए तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जो कि चीनी नागरिक बताए जा रहे हैं। उन पर हत्या, बंधक बनाना, और साइबर अपराध से जुड़े आरोप लगे हैं।

    हालांकि, दक्षिण कोरियाई सरकार और जनता दोनों कंबोडिया से अधिक कठोर कार्रवाई और सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं।

    सियोल सरकार ने कंबोडियाई राजदूत को तलब कर इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई है और द्विपक्षीय संबंधों पर पुनर्विचार की चेतावनी दी है।

    साथ ही, देश के विदेश मंत्री ने कहा:

    “हम अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे। यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।”

    इस घटना के बाद दक्षिण कोरिया में सोशल मीडिया पर ‘Justice for Park Min-ho’ जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
    टीवी डिबेट्स, अखबारों और विश्वविद्यालयों में इस घटना को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है।

    दक्षिण कोरिया का यह निर्णय न केवल उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक एहतियाती कदम है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय चेतावनी भी है कि साइबर और मानव तस्करी अपराध अब वैश्विक चुनौती बन चुके हैं।

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