




भारत के सबसे प्रतिष्ठित घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी 2025-26 का आगाज़ होते ही एक बड़ी खबर सुर्खियों में आ गई है। बिहार क्रिकेट टीम के युवा बल्लेबाज और नए उपकप्तान वैभव सूर्यवंशी इस सीजन की शुरुआत से ही विवादों में फंस गए हैं। उपकप्तानी का जिम्मा संभालने के तुरंत बाद उन्होंने ऐसा ब्लंडर कर दिया, जिससे टीम प्रबंधन और फैंस दोनों हैरान रह गए। यह मामला इतना बढ़ गया कि सोशल मीडिया पर भी लोग उन्हें ट्रोल करने लगे हैं।
दरअसल, वैभव सूर्यवंशी को इस बार रणजी ट्रॉफी में बिहार टीम का उपकप्तान बनाया गया था। उनसे उम्मीद थी कि वह न केवल अपने प्रदर्शन से टीम को मज़बूती देंगे, बल्कि कप्तान की रणनीतियों में अहम भूमिका निभाएंगे। लेकिन पहले ही मैच में उन्होंने जो किया, वह क्रिकेट के मूल सिद्धांतों के खिलाफ चला गया।
मैच की शुरुआत शानदार रही थी। बिहार टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। शुरुआती ओवरों में बल्लेबाजों ने कुछ तेज़ रन बटोरे। लेकिन जब वैभव सूर्यवंशी बल्लेबाजी करने आए, तब सब कुछ बदल गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूर्यवंशी ने पिच पर उतरते ही ऐसा आक्रामक रुख अपनाया, मानो वह रणजी ट्रॉफी नहीं बल्कि IPL का मैच खेल रहे हों। उन्होंने शुरुआती 10 गेंदों में ही तीन बड़े शॉट खेलने की कोशिश की और आखिरकार एक लापरवाह शॉट खेलकर आउट हो गए।
इस लापरवाही की वजह से न केवल टीम की लय टूटी, बल्कि कप्तान और कोच दोनों उनसे नाराज़ नजर आए। क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि सूर्यवंशी को स्थिति के अनुसार खेलना चाहिए था, क्योंकि उस वक्त टीम को साझेदारी की ज़रूरत थी। लेकिन उन्होंने बिना सोच-समझे बड़े शॉट खेलने की कोशिश कर टीम को मुश्किल में डाल दिया।
यहीं तक बात खत्म नहीं हुई। मैच के बाद जब उनसे पत्रकारों ने सवाल किया कि उन्होंने इतनी जल्दी जोखिम भरे शॉट क्यों खेले, तो वैभव ने जवाब दिया, “मैं पावरप्ले का फायदा उठाना चाहता था और टीम को तेज़ शुरुआत देना चाहता था।” उनके इस जवाब ने आलोचकों को और भड़काया। दरअसल, रणजी ट्रॉफी जैसे फर्स्ट-क्लास मैचों में पावरप्ले की अवधारणा नहीं होती। यह जवाब साफ दिखा रहा था कि वैभव सूर्यवंशी फॉर्मेट को लेकर भी पूरी तरह तैयार नहीं थे।
यही गलती अब उन्हें भारी पड़ रही है। बिहार क्रिकेट संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टीम मैनेजमेंट ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है। उन्होंने कहा, “रणजी ट्रॉफी टेस्ट फॉर्मेट का टूर्नामेंट है। यहां शॉट से ज्यादा धैर्य और तकनीक की जरूरत होती है। वैभव जैसे खिलाड़ियों को यह समझना होगा कि यह IPL नहीं है, बल्कि भारतीय टेस्ट टीम का रास्ता है।”
क्रिकेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह गलती सिर्फ एक शॉट की नहीं बल्कि मानसिकता की है। भारतीय क्रिकेट में जहां युवा खिलाड़ी IPL की चमक-दमक में उलझे रहते हैं, वहीं घरेलू टूर्नामेंट जैसे रणजी ट्रॉफी में परफॉर्म करना ही वास्तविक टेस्ट टीम तक पहुंचने का रास्ता है। वैभव सूर्यवंशी जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी अगर सही दिशा में न सोचें, तो उनका करियर खतरे में पड़ सकता है।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज वसीम जाफर ने भी इस पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, “रणजी ट्रॉफी में बल्लेबाजी धैर्य की परीक्षा होती है। वैभव जैसे खिलाड़ी अगर जल्दबाजी दिखाएंगे, तो टीम को नुकसान होगा और खुद उनका आत्मविश्वास भी गिर जाएगा। उन्हें सीखना चाहिए कि यहां हर रन मेहनत से बनता है।”
हालांकि, यह भी सच है कि वैभव सूर्यवंशी एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और उन्होंने अतीत में बिहार के लिए कई यादगार पारियां खेली हैं। पिछले सीजन में उन्होंने तीन अर्धशतक और एक शतक जड़ा था। उनकी स्ट्राइक रेट अच्छी रही है, लेकिन इस बार उन्होंने गलत समय पर गलत अंदाज में खेल दिखा दिया।
बिहार टीम मैनेजमेंट अब वैभव को मानसिक रूप से तैयार करने पर जोर दे रहा है। कोचिंग स्टाफ ने उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगला मैच उनके लिए “प्रूव योरसेल्फ” मोमेंट होगा। वहीं, सोशल मीडिया पर भी कई फैंस ने उन्हें सलाह दी है कि वह अपने खेल पर ध्यान दें और फॉर्मेट के हिसाब से अपनी रणनीति बदलें।
वैभव सूर्यवंशी के इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारतीय घरेलू क्रिकेट में युवा खिलाड़ियों का फोकस अब पारंपरिक क्रिकेट से हटकर टी20 की ओर ज्यादा झुक गया है? रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंटों का असली मकसद भारतीय टेस्ट टीम के लिए खिलाड़ियों को तैयार करना है, लेकिन अगर खिलाड़ी इसे सिर्फ “IPL की प्रैक्टिस ग्राउंड” समझने लगें, तो यह चिंता की बात है।
अब देखना यह होगा कि वैभव सूर्यवंशी अपनी गलती से क्या सीख लेते हैं और अगले मुकाबले में टीम के लिए जिम्मेदारी भरी पारी खेल पाते हैं या नहीं। क्योंकि क्रिकेट में एक गलत फैसला खिलाड़ी को सुर्खियों में ला सकता है, लेकिन एक सही इनिंग वही सुर्खियां सम्मान में बदल सकती है।