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    पालतू कुत्ते के साथ 780 दिन की अंतरराष्ट्रीय साइकिल यात्रा पर निकले चित्रदुर्गा के युवा सुदर्शन थिप्पेस्वामी

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    कहते हैं कि यात्रा केवल दूरी तय करने का नाम नहीं, बल्कि आत्मा को जानने और दुनिया को समझने की प्रक्रिया है। कर्नाटक के चित्रदुर्गा जिले से आने वाले सुदर्शन डोड्डामल्लाज्जर थिप्पेस्वामी ने इस कहावत को अपने जीवन में साकार किया है। वे एक 780 दिनों की अंतरराष्ट्रीय साइकिल यात्रा पर निकल पड़े हैं — और साथ में हैं उनके सबसे भरोसेमंद साथी — उनका पालतू कुत्ता

    सुदर्शन की यह यात्रा पारंपरिक साइकिल यात्राओं से अलग है। वे इस यात्रा को एक “आत्म-खोज की प्रक्रिया” मानते हैं, जिसमें वे न केवल अलग-अलग देशों की संस्कृति और जीवनशैली से परिचित होंगे, बल्कि अपने भीतर झाँकने का भी प्रयास करेंगे।

    यात्रा की कुल अवधि 780 दिन की होगी, जिसमें वे एशिया, यूरोप और संभवतः अफ्रीका तक की सीमाएं पार करेंगे। सुदर्शन ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य है — विश्व स्तर पर शांति, पर्यावरण संरक्षण और मानवता का संदेश देना।

    इस रोमांचक यात्रा में सबसे खास बात यह है कि सुदर्शन अपने पालतू कुत्ते को भी साथ लेकर निकले हैं। उनका मानना है कि एक सच्चा साथी यात्रा को न केवल आसान बनाता है, बल्कि मानसिक सुकून भी देता है।

    “जब आप अकेले लंबी यात्राओं पर होते हैं, तो भावनात्मक समर्थन की बहुत जरूरत होती है। मेरा कुत्ता मेरी ताकत है,” — सुदर्शन कहते हैं।

    पालतू कुत्ते के लिए उन्होंने खास सुरक्षा इंतज़ाम, आरामदायक सीट, भोजन और स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक वस्तुओं का प्रबंध किया है।

    सुदर्शन की यात्रा भारत से शुरू होकर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार होते हुए थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिर पश्चिम एशिया और यूरोप की ओर जाएगी। हर देश में वे कुछ दिनों का प्रवास करेंगे और स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करेंगे।

    उन्होंने लगभग दो साल से इस यात्रा की तैयारी की थी। इसमें शामिल हैं:

    • साइकिल के लिए तकनीकी अपग्रेड

    • GPS और सुरक्षा ट्रैकिंग डिवाइस

    • वीजा और ट्रैवल डॉक्युमेंट्स

    • मेडिकल और फिटनेस प्रशिक्षण

    • यात्रा बीमा और पशु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र

    सुदर्शन का यह कदम केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है। वे इसे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनाना चाहते हैं। उनका कहना है कि आज के दौर में तकनीक के बावजूद, सहज मानवीय संपर्क और प्रकृति से जुड़ाव की आवश्यकता और अधिक है।

    “मैं दिखाना चाहता हूँ कि बिना लक्ज़री और सुविधाओं के भी जीवन को अर्थपूर्ण और समृद्ध बनाया जा सकता है।”

    वे हर शहर और गांव में जाकर पर्यावरण जागरूकता, मानवाधिकार, और मानवता की सार्वभौमिकता के संदेश को साझा करेंगे।

    इस यात्रा के दौरान सुदर्शन अपनी कहानियों और अनुभवों को सोशल मीडिया, ब्लॉग और यूट्यूब चैनल के माध्यम से साझा करेंगे। वे अपने फॉलोअर्स को बताना चाहते हैं कि यह यात्रा सिर्फ पेडलिंग नहीं, बल्कि आत्म-संवाद और दुनिया से जुड़ाव का माध्यम है।

    उनकी योजना है कि वे इस यात्रा को डॉक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में भी प्रस्तुत करें, जिसमें हर देश, हर रास्ता और हर भावना को शामिल किया जाएगा।

    चित्रदुर्गा और कर्नाटक के कई युवा, सामाजिक संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ता इस यात्रा को लेकर उत्साहित हैं। सोशल मीडिया पर #CycleWithCompanion और #SudharshanOnWheels जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

    राज्य सरकार और कुछ अंतरराष्ट्रीय NGO ने भी इस यात्रा को नैतिक और सामग्री समर्थन देने का संकेत दिया है।

    सुदर्शन थिप्पेस्वामी की यह 780 दिन की यात्रा बताती है कि जोश, योजना और उद्देश्य से कोई भी सपना साकार हो सकता है। यह यात्रा हमें सिखाती है कि:

    • सीमाएँ इंसानी कल्पना से बड़ी नहीं होतीं।

    • सहयोग और संवेदनशीलता हर राह को आसान बनाते हैं।

    • यात्रा जीवन को समझने का सबसे सुंदर माध्यम है।

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