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    एयर इंडिया दुर्घटना की न्यायिक जांच की मांग: मृत पायलट के पिता और फेडरेशन ऑफ पायलट्स ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार

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    एयर इंडिया की अहमदाबाद विमान दुर्घटना (AI171) में जान गंवाने वाले पायलट कैप्टन सुमीत सबरवाल के पिता पुष्कराज सबरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने केंद्र सरकार और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की ओर से जारी जांच को “पक्षपातपूर्ण और तकनीकी रूप से कमजोर” करार देते हुए, न्यायिक निगरानी में स्वतंत्र जांच आयोग बनाने की मांग की है।

    याचिका 10 अक्टूबर को AP&J Chambers के माध्यम से दायर की गई, जिसकी सुनवाई दीवाली अवकाश के बाद होने की संभावना है।

    याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि:

    • दुर्घटना की जांच एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में की जाए,

    • तकनीकी और विमानन विशेषज्ञों की टीम बनाई जाए जो स्वतंत्र रूप से सभी पहलुओं की जांच करे,

    • मौजूदा AAIB जांच को बंद कर दिया जाए क्योंकि वह पारदर्शिता और निष्पक्षता की कसौटी पर खरी नहीं उतरती।

    याचिका में कहा गया है कि हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट में दोनों इंजनों के अचानक बंद हो जाने की घटना को महज़ पायलट की गलती बताकर मामले को समाप्त करने की कोशिश की गई है, जबकि इसके पीछे तकनीकी खामियां या सिस्टम फेल्योर भी हो सकते हैं।

    दुर्घटना 12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर टेक-ऑफ के कुछ मिनटों बाद हुई थी, जिसमें विमान के दोनों इंजन बंद हो गए और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 260 यात्रियों और क्रू सदस्यों की मौत हो गई थी।

    AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया कि फ्यूल कंट्रोल स्विच एक साथ “RUN” से “CUTOFF” में शिफ्ट हो गए। यह आमतौर पर पायलट के मैनुअल हस्तक्षेप के बिना नहीं हो सकता। रिपोर्ट में को-पायलट द्वारा पूछे गए सवाल का उल्लेख किया गया – “तुमने स्विच क्यों बंद किया?” – जिसके उत्तर में कहा गया, “मैंने नहीं किया।”

    याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यदि पायलटों ने स्विच बंद नहीं किए, तो यह सिस्टम फेल्योर या software glitch हो सकता है, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया है।

    याचिका में यह भी कहा गया कि AAIB की रिपोर्ट आने से पहले ही पायलट की मानसिक स्थिति और निर्णय क्षमता पर सवाल उठाते हुए मीडिया में लीक जानकारियां दी गईं। इससे मृत पायलट और उनके परिवार की छवि धूमिल हुई है।

    FIP ने आरोप लगाया कि जांच में सिस्टमिक एरर, एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर की भूमिका, और मेंटेनेंस से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है।

    • यह हादसा भारत की सबसे बड़ी विमान दुर्घटनाओं में से एक था।

    • 260 लोगों की मौत के बावजूद जांच पारदर्शी नहीं रही।

    • अगर फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) से मिली जानकारी को सार्वजनिक किया गया होता, तो परिवारों को विश्वास होता कि सच्चाई सामने आएगी।

    • न्यायिक निगरानी में आयोग से जनता का भरोसा, विमानन उद्योग में सुरक्षा, और मृतकों के परिवारों को न्याय मिल सकेगा।

    नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पहले ही कहा था कि AAIB स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है और जांच निष्पक्ष है। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट्स को गुप्त रखा गया, मीडिया लीक जानबूझकर की गईं और दुर्घटना को जल्दबाज़ी में “पायलट की गलती” बताकर बंद करने की कोशिश हो रही है।

    यह पहली बार नहीं है जब किसी विमान दुर्घटना की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई हो। इससे पहले भी Mangalore Crash (2010) और Air India Express Crash (2020) में परिवारों ने न्यायिक जांच की मांग की थी।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका स्वीकार करने के बाद संभव है कि:

    • केंद्र और AAIB से जवाब मांगा जाए,

    • पूर्व न्यायाधीश की अगुवाई में आयोग गठित किया जाए,

    • विमानन क्षेत्र की जांच प्रक्रियाओं में सुधार के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएं।

    पायलट के परिवार और फेडरेशन ऑफ पायलट्स द्वारा दायर यह याचिका केवल एक व्यक्तिगत न्याय की मांग नहीं है, बल्कि पूरे विमानन क्षेत्र की पारदर्शिता और सुरक्षा मानकों को लेकर सवाल उठाती है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को स्वीकारता है, तो यह भारत में विमान दुर्घटनाओं की जांच प्रणाली में एक नया मानक स्थापित कर सकता है।

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