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    आयुष्मान भारत योजना से अब तक 45 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिला मुफ्त इलाज, एनएचए की रिपोर्ट में खुलासा — स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि

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    भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat – PMJAY)’ ने देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority – NHA) की हालिया वार्षिक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि योजना के तहत अब तक 45 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिकों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिला है।

    यह योजना 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के गरीब और कमजोर वर्गों को आर्थिक रूप से सुरक्षित स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना था। पांच साल से अधिक के इस सफर में ‘आयुष्मान भारत’ ने न केवल करोड़ों लोगों को इलाज का सहारा दिया, बल्कि कई परिवारों को कर्ज और गरीबी के जाल में फंसने से भी बचाया।

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, योजना के तहत अब तक देशभर में 5.3 करोड़ से ज्यादा अस्पतालों में उपचार पैकेजों को स्वीकृति दी गई है। वहीं, 10 लाख से अधिक मरीजों को गंभीर बीमारियों जैसे हृदय रोग, कैंसर, किडनी फेल्योर और ऑर्थोपेडिक सर्जरी जैसी जटिल स्थितियों में इलाज मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना अब देश के सेकेंडरी और टर्शियरी हेल्थ केयर सेक्टर का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।

    रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में लगभग 28,000 से अधिक अस्पताल इस योजना से जुड़े हुए हैं, जिनमें सरकारी और निजी दोनों संस्थान शामिल हैं। इनमें से करीब 50% अस्पताल निजी क्षेत्र के हैं, जो गरीब वर्गों को बिना किसी शुल्क के आधुनिक चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहे हैं।

    ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के लोगों के लिए राहत का बड़ा माध्यम बनकर काम किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस योजना से लाभान्वित होने वालों में करीब 68% लोग ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। इनमें ऐसे परिवार भी शामिल हैं जो पहले कभी अस्पताल के खर्च के कारण इलाज नहीं करा पाते थे।

    एक उदाहरण उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की सीमा देवी का है, जिन्होंने बताया कि उनके पति को हृदय संबंधी बीमारी के लिए लखनऊ में 1.8 लाख रुपये का इलाज मुफ्त मिला। सीमा देवी कहती हैं, “अगर आयुष्मान कार्ड न होता तो हमें घर बेचकर इलाज कराना पड़ता।” ऐसे लाखों परिवारों की कहानियां इस योजना की सफलता को बयान करती हैं।

    एनएचए की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM)’ के आने के बाद से योजना की कार्यक्षमता और पारदर्शिता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। अब हर मरीज का अयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA ID) बनाया जा रहा है, जिसके जरिए उसकी मेडिकल हिस्ट्री और इलाज से जुड़ी जानकारी डिजिटल रूप में सुरक्षित रहती है। इससे मरीजों को बार-बार मेडिकल रिकॉर्ड लेकर अस्पतालों में भटकना नहीं पड़ता।

    वर्तमान में देश में 38 करोड़ से अधिक लोगों ने अपना ABHA ID बना लिया है। डिजिटल हेल्थ नेटवर्क के माध्यम से अब अस्पतालों, डॉक्टरों और मरीजों के बीच की दूरी घट रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं अधिक सुलभ और पारदर्शी बन रही हैं।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में इस योजना के दायरे को और व्यापक बनाना है। वर्तमान में योजना के तहत 10.74 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया है, लेकिन सरकार अब “यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज” की दिशा में आगे बढ़ रही है, ताकि हर भारतीय नागरिक को आर्थिक रूप से सुरक्षित इलाज की सुविधा मिल सके।

    स्वास्थ्य मंत्री मंसुख मांडविया ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “आयुष्मान भारत सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो हर नागरिक को यह भरोसा दिलाता है कि बीमारी आने पर अब उसे आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।” उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही “आयुष्मान भारत 2.0” के तहत नई स्वास्थ्य नीतियों की घोषणा करेगी, जिसमें बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए विशेष प्रावधान शामिल होंगे।

    ‘आयुष्मान भारत’ योजना को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं ने भी “वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना” बताया है। कई विकासशील देश भारत के इस मॉडल को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

    WHO की एक रिपोर्ट में कहा गया कि आयुष्मान भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में “Equity and Access” के सिद्धांत को मजबूत किया है और यह अन्य देशों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

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