




मुंबई पुलिस ने हाल ही में एक बड़े ज्योति नामक फर्जी गुरु का खुलासा किया है। जांच के दौरान, पुलिस ने एक बांग्लादेशी ट्रांसजेंडर अयान खान को हिरासत में लिया, जो भारत में ‘गुरु मां’ के नाम से प्रसिद्ध था। अयान खान के पास से फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य पहचान पत्र भी बरामद किए गए हैं।
पुलिस के अनुसार, अयान खान ने मुंबई में कई लोगों को अपने अनुयायी बना रखा था, जो उन्हें ‘गुरु मां’ कहकर पुकारते थे। उसके अनुयायियों में विभिन्न पेशे और उम्र के लोग शामिल थे, और उन्होंने अयान खान को आर्थिक और मानसिक रूप से पूरी तरह मान्यता दी थी। अयान खान ने इस विश्वास और आस्था का उपयोग अपने फायदे के लिए किया।
जांच में यह भी पता चला कि अयान खान मुंबई में 20 से अधिक प्रॉपर्टी का मालिक है। यह संपत्ति उसके फर्जी दस्तावेजों और अनुयायियों के सहयोग से हासिल की गई थी। पुलिस का मानना है कि अयान खान ने फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति में निवेश किया।
मुंबई पुलिस की टीम ने कहा कि यह मामला केवल एक फर्जी पहचान और संपत्ति हड़पने का मामला नहीं है। अयान खान के अनुयायी उसके आदेशों और उपदेशों का पालन करते थे, और कभी-कभी उन्होंने आर्थिक और मानसिक दबाव के तहत उसके निर्देशों का पालन किया। पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कितने लोगों को अयान खान के प्रभाव में रखा गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अयान खान के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आरोप तय हैं। इसके अलावा, संपत्ति संबंधित मामलों की भी जांच की जा रही है। यह स्पष्ट है कि अयान खान ने लंबे समय तक अपने अनुयायियों और फर्जी कागजात के जरिए भारत में रहकर आर्थिक लाभ कमाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामले यह दिखाते हैं कि समाज में आस्था और विश्वास का दुरुपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। ट्रांसजेंडर होने के कारण अयान खान ने अपने अनुयायियों का विश्वास और सहानुभूति हासिल की और इसे संपत्ति और आर्थिक लाभ के लिए प्रयोग किया।
पुलिस ने बताया कि अयान खान को हिरासत में लेकर सवाल जवाब और फर्जी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि उसने कई फर्जी पहचान पत्र बनवाकर बैंक खाते खोले, प्रॉपर्टी में निवेश किया और अनुयायियों से आर्थिक लाभ लिया।
मुंबई पुलिस का कहना है कि इस प्रकार के मामलों में जनता को सतर्क रहना चाहिए। किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक नेता के प्रति अंध विश्वास और आर्थिक सहयोग देना हमेशा जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे मामलों से पता चलता है कि आस्था का दुरुपयोग किस तरह किया जा सकता है।