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  • मील का पत्थर: राजनाथ सिंह ने स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम को बताया देश के लिए गर्व का पल

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    भारतीय रक्षा मंत्रालय और DRDO ने देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम की सराहना की और इसे देश के लिए गर्व का पल बताया। उन्होंने कहा कि यह विकास भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है।

    स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम को विशेष रूप से भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इस प्रणाली का उद्देश्य सैनिकों को किसी भी युद्ध या संकट के दौरान सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से जमीन पर उतारना है। इसके विकास में आधुनिक तकनीक, उच्च गुणवत्ता वाले मटीरियल और भारतीय वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता का उपयोग किया गया है।

    रक्षा मंत्री ने कहा कि DRDO का यह प्रयास न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि देश की रणनीतिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए भी अहम है। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताया। राजनाथ सिंह ने कहा, “यह न केवल हमारी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियरों की क्षमताओं को भी उजागर करता है। यह देश के लिए गर्व का क्षण है।”

    स्वदेशी पैराशूट सिस्टम का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है। इसे विभिन्न मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों में लागू करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी खासियत यह है कि यह हल्का, मजबूत और अत्यधिक नियंत्रित है, जिससे सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सिस्टम भारतीय सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल क्षमता और त्वरित प्रतिक्रिया समय को भी बढ़ाएगा।

    DRDO के वैज्ञानिकों ने इस परियोजना पर कई वर्षों तक मेहनत की है। उन्होंने पैराशूट की निर्माण प्रक्रिया, नियंत्रण तकनीक और सामग्री विज्ञान में नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल किया। रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि की विशेष रूप से सराहना की और कहा कि यह साबित करता है कि भारतीय तकनीक में उच्च स्तरीय नवाचार और वैश्विक मानकों के अनुरूप तकनीकी क्षमता है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम केवल भारतीय सेना के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य में रक्षा निर्यात और वैश्विक साझेदारी के लिए भी संभावनाओं के द्वार खोलेगा। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उत्पादन और तकनीकी विकास में तेजी से प्रगति की है, और इस परियोजना को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है।

    रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि आत्मनिर्भर भारत की नीति के तहत DRDO और अन्य रक्षा संस्थानों को स्थानीय संसाधनों और नवाचार का अधिकतम उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस सिस्टम के विकास ने यह दर्शाया कि देश की सुरक्षा तकनीक में विदेशी निर्भरता को कम किया जा सकता है और पूरी तरह भारतीय प्रतिभा और संसाधनों के दम पर आधुनिक हथियार और उपकरण विकसित किए जा सकते हैं।

    मिलिट्री विशेषज्ञों का मानना है कि स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम भारतीय सशस्त्र बलों के लिए रणनीतिक बढ़त और संचालन की सुविधा प्रदान करेगा। इससे विशेष ऑपरेशन्स, वॉरफेयर मिशन्स और आपातकालीन परिस्थिति में सैनिकों की सुरक्षा और कुशल उतार-चढ़ाव की क्षमता में सुधार होगा।

    कुल मिलाकर, यह स्वदेशी प्रणाली न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की रक्षा क्षमता, आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक नवाचार का प्रतीक भी है। राजनाथ सिंह द्वारा इसे देश के लिए गर्व का पल और मील का पत्थर बताना इस उपलब्धि की महत्वता को और बढ़ाता है।

    आगे यह उम्मीद की जा रही है कि DRDO और भारतीय रक्षा संस्थान ऐसे और कई तकनीकी नवाचार करेंगे, जो भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए देश की सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेंगे। स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम इस दिशा में एक बड़ी सफलता और भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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