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    गुवाहाटी हाई कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ निचली अदालत का आदेश किया खारिज, मानहानि मामले में मिली राहत

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    कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को एक महत्वपूर्ण कानूनी राहत मिली है, जब गुवाहाटी हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे नौ साल पुराने मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए आदेश को अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया

    यह मामला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े एक कार्यकर्ता द्वारा दर्ज किया गया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने 2015 में बरपेटा (असम) में दिए एक बयान में RSS की छवि को धूमिल किया था।

    यह मामला 2015 से चला आ रहा है, जब राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि “RSS ने मुझे एक मंदिर में प्रवेश करने से रोका।” इस टिप्पणी को लेकर RSS कार्यकर्ता अंजन बोरा ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी।

    मामला कामरूप मेट्रोपॉलिटन की एक ट्रायल कोर्ट में लंबित था, जहाँ पहले ही प्रारंभिक गवाहों की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। बाद में शिकायतकर्ता ने तीन अतिरिक्त गवाहों को शामिल करने की याचिका दाखिल की, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था।

    लेकिन इसके खिलाफ शिकायतकर्ता ने एडिशनल सेशंस जज के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की और उन्हें अनुमति मिल गई — जिस आदेश को अब गुवाहाटी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण देव चौधरी की एकल पीठ ने क्रिमिनल रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

    हाई कोर्ट ने कहा कि:

    • एडिशनल सेशंस जज का आदेश “कानूनी प्रक्रिया और न्यायिक विवेक का उल्लंघन” है।

    • पहले से ही गवाहों की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, ऐसे में नए गवाहों को जोड़ना प्रक्रियागत अनुशासन का उल्लंघन है।

    • अतिरिक्त गवाहों को जोड़ने की मांग स्पष्ट कारणों और औचित्य के बिना की गई थी।

    इसलिए, अदालत ने 22 सितंबर 2023 को एडिशनल सेशंस जज द्वारा दिए गए आदेश को रद्द कर दिया।

    न्यायमूर्ति अरुण देव चौधरी ने अपने आदेश में कहा:

    “सत्र न्यायालय ने गवाहों को शामिल करने की अनुमति बिना उचित आधार के दी, जबकि ट्रायल कोर्ट पहले ही उस याचिका को अस्वीकार कर चुका था। रिवीजन पावर का उपयोग इस तरह नहीं किया जाना चाहिए।”

    यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि न्यायालय प्रक्रिया का पालन करते हुए निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

    इस फैसले को कांग्रेस ने “सच्चाई की जीत” बताया है, जबकि कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह एक महत्वपूर्ण राहत है, लेकिन केस अब भी जारी रहेगा।

    अब ट्रायल कोर्ट में पहले से दर्ज गवाहियों के आधार पर ही मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि राहुल गांधी एक लोकसभा सांसद हैं, इसलिए यह मामला शीघ्रता से निपटाया जाए।

    राहुल गांधी पर इससे पहले भी कई बार मानहानि के मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। पिछले वर्षों में:

    • मोदी उपनाम मामले में गुजरात की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था,

    • और उसके बाद उनकी संसद सदस्यता भी अस्थायी रूप से रद्द हुई थी,

    • हालांकि बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी।

    इस केस में राहत मिलने से उन्हें एक और कानूनी जटिलता से बाहर निकलने का रास्ता मिला है।

    गुवाहाटी हाई कोर्ट का यह निर्णय न केवल राहुल गांधी के लिए एक कानूनी जीत है, बल्कि यह निचली अदालतों में प्रक्रिया और विवेक के सही प्रयोग की याद दिलाता है।

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