




पुडुचेरी पुलिस विभाग ने अपने ही विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी इंस्पेक्टर बी. सी. कीर्ती को गंभीर रिश्वतखोरी और पेशेवर कदाचार के आरोपों के चलते निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई एक आंतरिक अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अंतर्गत की गई है, जो पुलिस विभाग की साख और पारदर्शिता को बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, इंस्पेक्टर कीर्ती पर यह आरोप है कि उन्होंने एक चालू आपराधिक जांच से संबंधित पक्षों से रिश्वत की मांग की थी। प्रारंभिक रिपोर्टों में दावा किया गया है कि रिश्वत की राशि कई लाख रुपये थी, हालांकि पुलिस ने अब तक सार्वजनिक रूप से राशि की पुष्टि नहीं की है।
इस घटना को उस समय और भी गंभीरता से लिया गया जब सामने आया कि अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग कर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया। विभाग ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है।
पुडुचेरी पुलिस विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है:
“इंस्पेक्टर बी. सी. कीर्ती को अनुशासनात्मक कारणों से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। उनके विरुद्ध विभागीय जांच चल रही है और यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
विभाग का यह भी कहना है कि वह “जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन” की नीति पर काम कर रहा है, और किसी भी तरह की अनैतिकता या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब विभाग के पास कुछ शिकायतें और आंतरिक खुफिया सूचना प्राप्त हुई, जिनमें बताया गया कि अधिकारी ने जांच में पक्षपात दिखाया और निजी लाभ के लिए पक्षों से लेनदेन किया। शिकायत की पुष्टि होने के बाद विभागीय सतर्कता इकाई (Vigilance Unit) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए निलंबन की सिफारिश की।
इस घटना ने जनता में रोष पैदा किया है। आम नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस बात पर चिंता जताई है कि यदि न्याय के रक्षक ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएँगे, तो आम जनता किस पर भरोसा करेगी?
एक स्थानीय नागरिक अधिकार कार्यकर्ता ने कहा:
“यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के ऐसे गंभीर आरोप लगे हैं। यह न्याय व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है। हम मांग करते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष और तेज़ जांच हो।”
यह कोई पहला मामला नहीं है जब पुडुचेरी पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार या अनुशासनहीनता के आरोप लगे हों। इससे पहले:
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जुलाई 2025 में दो सब-इंस्पेक्टरों को अलग-अलग मामलों में रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित किया गया था।
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अगस्त 2025 में एक पुलिस कांस्टेबल को आपराधिक जांच में सबूत छिपाने के लिए पैसे लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इन सभी मामलों ने यह सवाल उठाया है कि क्या विभाग में आंतरिक निगरानी और जवाबदेही तंत्र पर्याप्त रूप से प्रभावी हैं।
अधिकारियों के अनुसार, विभागीय जांच पूरी होने के बाद:
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यदि आरोप सही पाए गए तो इंस्पेक्टर कीर्ती के खिलाफ स्थाई बर्खास्तगी, आपराधिक मामला दर्ज करने और वेतन बंद करने जैसी कड़ी सजा दी जा सकती है।
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पुलिस मुख्यालय ने मामले से संबंधित सभी दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को जब्त कर लिया है।
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मामले की निगरानी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी कर रहे हैं।
इंस्पेक्टर बी. सी. कीर्ती का निलंबन न केवल उनके लिए व्यक्तिगत झटका है, बल्कि यह पुलिस विभाग की साख और जवाबदेही प्रणाली पर एक परीक्षण भी है। विभाग ने जो तत्काल कार्रवाई की है, वह सराहनीय है, लेकिन अब ज़रूरत है पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की।