




बिहार के शिवहर जिले के रहने वाले नीरज सिंह की जीवन कहानी संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास का अनूठा उदाहरण है। कभी दिल्ली की सड़कों पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले नीरज सिंह आज 400 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं। और अब, वह अपने जीवन का एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं — राजनीति में कदम रखकर।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने नीरज सिंह को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में शिवहर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। यह ऐलान न केवल बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है कि मेहनत और लगन से कोई भी व्यक्ति सफलता के शीर्ष तक पहुंच सकता है।
नीरज सिंह का जन्म बिहार के एक साधारण परिवार में हुआ। आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी, इसलिए उन्हें बहुत कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारियां उठानी पड़ीं। दिल्ली जाकर उन्होंने एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। छोटी सी सैलरी में गुजारा मुश्किल था, लेकिन उनके अंदर कुछ बड़ा करने की चाह हमेशा जीवित रही।
नीरज ने अपनी नौकरी के दौरान यह महसूस किया कि जिंदगी बदलने के लिए जोखिम उठाना जरूरी है। उन्होंने धीरे-धीरे सेविंग्स जमा की और छोटे स्तर पर अपना व्यवसाय शुरू किया। शुरुआती दिनों में असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मेहनत और रणनीति के बल पर उन्होंने धीरे-धीरे कारोबार को खड़ा किया और आज उनकी कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 400 करोड़ रुपये से अधिक है।
उनकी कंपनी आज भारत के कई राज्यों में काम कर रही है और हजारों लोगों को रोजगार दे रही है। नीरज सिंह कहते हैं —
“मैंने गरीबी देखी है, संघर्ष देखा है, इसलिए मैं जानता हूं कि आम आदमी किन मुश्किलों से गुजरता है। राजनीति में आने का मेरा मकसद लोगों की उन मुश्किलों को कम करना है।”
जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने नीरज सिंह के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि यह पार्टी केवल राजनीति करने नहीं, बल्कि समाज को बदलने का उद्देश्य लेकर आई है। उन्होंने कहा कि नीरज सिंह जैसे लोग ही नई राजनीति का चेहरा हैं — जो न किसी परिवार से राजनीति में आए हैं, न धनबल या जातिगत समीकरणों पर निर्भर हैं, बल्कि अपनी मेहनत से मुकाम तक पहुंचे हैं।
नीरज सिंह की उम्मीदवारी ने शिवहर में नई हलचल मचा दी है। यहां अब तक राजनीति पारंपरिक चेहरों और जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन नीरज की एंट्री ने स्थानीय राजनीति में नई हवा दी है। युवाओं में उनके लिए उत्साह देखा जा रहा है, खासकर उनके संघर्ष की कहानी से प्रेरित होकर कई युवा सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में अभियान चला रहे हैं।
नीरज सिंह का कहना है कि राजनीति उनके लिए कोई “करियर मूव” नहीं, बल्कि “सेवा का माध्यम” है। उन्होंने कहा —
“मैंने अपनी आंखों से देखा है कि बिहार के युवाओं को रोजगार के लिए कितनी कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। मैं चाहता हूं कि जिस तरह मैंने संघर्ष करके अपनी जिंदगी बदली, वैसे ही हर युवा को अवसर मिले।”
उनकी कंपनी में आज बिहार और उत्तर भारत के हजारों युवा कार्यरत हैं। नीरज सिंह का कहना है कि वह राजनीति में आने के बाद उद्योग और रोजगार सृजन पर फोकस करना चाहते हैं ताकि लोग पलायन करने को मजबूर न हों।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीरज सिंह का राजनीति में आना बिहार के सामाजिक-राजनीतिक ढांचे में एक बदलाव की शुरुआत हो सकता है। जन सुराज पार्टी पहले ही युवाओं और समाज के निचले तबके के लोगों को टिकट देकर “नई राजनीति” की दिशा में बढ़ रही है। नीरज सिंह की उम्मीदवारी इसी दृष्टिकोण को मजबूत करती है।
नीरज सिंह के समर्थक उन्हें “बिहार का नया चेहरा” कह रहे हैं। वहीं, उनके विरोधी मानते हैं कि राजनीति में कदम रखना उनके लिए आसान नहीं होगा क्योंकि शिवहर जैसी सीटों पर पारंपरिक दलों की जड़ें गहरी हैं।
फिलहाल नीरज सिंह का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। लोग उन्हें “Real Life Hero” और “Self Made Leader” कहकर संबोधित कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि अगर बिहार की राजनीति में ऐसे लोग आगे आएंगे, तो यह राज्य के विकास के लिए शुभ संकेत होगा।
नीरज सिंह का सफर इस बात का प्रमाण है कि मेहनत, संघर्ष और ईमानदारी से ‘असंभव’ भी संभव बन सकता है। एक सिक्योरिटी गार्ड से उद्योगपति और अब जन प्रतिनिधि बनने की यह यात्रा न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के युवाओं को प्रेरित करने वाली है।