




कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियंक खड़गे को कथित तौर पर धमकी भरे और अभद्र कॉल करने के आरोप में महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक सेल्स एग्जीक्यूटिव को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी को पूछताछ के लिए बेंगलुरु लाया गया है।
यह मामला तब सामने आया जब मंत्री प्रियंक खड़गे ने सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सार्वजनिक गतिविधियों पर प्रतिबंध की मांग की थी। इस बयान के बाद उन्हें कई अज्ञात नंबरों से कॉल और धमकियाँ मिलने लगीं। इनमें से एक कॉल traced (ट्रेस) कर Sadashivanagar पुलिस ने आरोपी की पहचान की और तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार व्यक्ति एक निजी कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में कार्यरत है और वह मूल रूप से महाराष्ट्र के सोलापुर जिले का निवासी है।
मंत्री खड़गे को मिली कॉल्स में न केवल गाली-गलौज की गई थी, बल्कि उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकियाँ भी दी गई थीं। खड़गे ने स्वयं सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप साझा की थी जिसमें एक व्यक्ति उन्हें खुलेआम धमका रहा था और खुद को आरएसएस समर्थक बता रहा था।
बेंगलुरु के सदाशिव नगर थाना पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR), टावर लोकेशन और मोबाइल नंबर की जांच करते हुए आरोपी की पहचान की।
इसके बाद एक विशेष पुलिस टीम को सोलापुर भेजा गया, जहां से आरोपी को हिरासत में लेकर बेंगलुरु लाया गया। पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने यह स्वीकार किया है कि वह मंत्री खड़गे के बयान से नाराज़ था और गुस्से में उसने यह कॉल की थी।
फिलहाल आरोपी को पुलिस हिरासत में रखकर आगे की जांच की जा रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह कार्य अकेले में किया गया था या इसके पीछे कोई संगठित समूह या उकसावा भी शामिल था।
मंत्री प्रियंक खड़गे ने इस मामले को लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। उन्होंने कहा:
“मैंने संविधान और सार्वजनिक हित में सवाल उठाए थे, लेकिन बदले में मुझे धमकियाँ मिल रही हैं। मैं डरने वाला नहीं हूं। यह लड़ाई अंधविश्वास और कट्टरता के खिलाफ है और मैं इसे जारी रखूंगा।”
खड़गे ने इस बात पर भी चिंता जताई कि राजनीति में असहमति को कुचलने के लिए अब सीधे धमकी दी जा रही है, जो कि लोकतंत्र की नींव के लिए खतरा है।
इस घटना के सामने आने के बाद कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे खड़गे परिवार को डराने की साजिश करार दिया है। वहीं भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खड़गे के बयानों की आलोचना जरूर की है।
मंत्री को धमकी देने की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया है। बेंगलुरु पुलिस ने सभी मंत्रियों की सुरक्षा की पुनर्समीक्षा शुरू कर दी है।
प्रियंक खड़गे ने कुछ दिन पहले सार्वजनिक मंच से कहा था कि आरएसएस जैसी संगठनों की सार्वजनिक जगहों पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे सामाजिक वैमनस्य फैलाते हैं।
इस बयान के बाद उन्हें लगातार ट्रोल किया जाने लगा। सोशल मीडिया से लेकर कॉल्स तक, उन्हें धमकी देने का सिलसिला शुरू हो गया था। खड़गे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था।
-
क्या आरोपी ने अकेले यह कॉल की थी या वह किसी संगठन से जुड़ा था?
-
आरोपी को किसी राजनीतिक या सामाजिक समूह ने उकसाया था या नहीं?
-
क्या यह कॉल योजनाबद्ध तरीके से की गई थी?
इन सभी पहलुओं की गहराई से जांच की जा रही है। पुलिस यह भी देख रही है कि इस तरह की धमकियाँ कोई ट्रेंड तो नहीं बनती जा रही हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो।
यह घटना यह दर्शाती है कि राजनीतिक असहमति की अभिव्यक्ति आज खतरे में है। मंत्री को धमकी देना न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों की सीधी अवहेलना है।