




बिहार विधानसभा चुनावों में अब माहौल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है, और इस बार भाजपा ने अपने सबसे प्रभावशाली प्रचारक — उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ — को मैदान में उतारने का फैसला किया है। योगी आदित्यनाथ आज बिहार के दो अहम क्षेत्रों में जनसभाएं करेंगे, जहां वे भाजपा के दो प्रमुख उम्मीदवारों के समर्थन में वोट मांगेंगे।
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि बिहार चुनाव में भाजपा अपने स्टार प्रचारकों पर दांव खेल रही है, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ प्रमुख हैं। खास बात यह है कि योगी की ‘हिंदुत्व की पहचान’ और ‘आक्रामक भाषण शैली’ भाजपा को उन क्षेत्रों में वोट दिला सकती है, जहां जातिगत समीकरण अब तक अन्य दलों के पक्ष में रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ आज जिन दो सीटों पर जनसभाएं करने जा रहे हैं, उनमें भागलपुर और मुजफ्फरपुर क्षेत्र शामिल हैं। इन दोनों क्षेत्रों को भाजपा के लिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि यहां पिछले चुनावों में पार्टी को कड़ी टक्कर मिली थी। भाजपा का मकसद इस बार इन सीटों को अपने पाले में करना है, और इसके लिए योगी को “हिंदू वोट समेकन” के लिए उतारा गया है।
योगी की सभाओं की तैयारी को लेकर भाजपा संगठन ने व्यापक व्यवस्था की है। पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने प्रचार के लिए ‘अबकी बार मोदी-योगी सरकार’ और ‘हिंदू गौरव यात्रा’ जैसे नारे दिए हैं, जो खासकर युवाओं और पारंपरिक मतदाताओं में उत्साह पैदा कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ के चुनावी भाषणों की खासियत यह है कि वे हिंदुत्व के साथ-साथ विकास की बात को जोड़ते हैं। वे आम तौर पर अपने संबोधन में कानून-व्यवस्था, राम मंदिर, कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और गरीबों के लिए कल्याण योजनाओं को प्रमुखता से रखते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उनकी यह दोहरी रणनीति — “धार्मिक पहचान + विकास एजेंडा” — भाजपा के लिए डबल एडवांटेज साबित हो सकती है।
राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. संजीव सिंह का कहना है, “योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए सबसे ऊर्जावान प्रचारक हैं। उनका करिश्माई नेतृत्व और सशक्त वक्तृत्व कला निचले स्तर तक कार्यकर्ताओं को प्रेरित करती है। वे बिहार जैसे राज्यों में हिंदुत्व की विचारधारा को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करते हैं, जिससे पार्टी को ध्रुवीकृत वोटों का लाभ मिलता है।”
वहीं विपक्षी दल, विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जेडीयू (JDU), योगी के प्रचार को भाजपा की “ध्रुवीकरण राजनीति” का हिस्सा बता रहे हैं। आरजेडी के प्रवक्ता ने कहा है कि “योगी आदित्यनाथ की राजनीति उत्तर प्रदेश तक सीमित है, बिहार में लोग मुद्दों पर वोट देंगे, मठवाद पर नहीं।”
हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है कि योगी का आगमन केवल धार्मिक नहीं बल्कि प्रशासनिक छवि के कारण भी असर डालता है।
योगी को एक “कठोर प्रशासक” और “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” का प्रतीक माना जाता है, जो मतदाताओं को भरोसे का संदेश देता है।
योगी आदित्यनाथ की रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए स्थानीय भाजपा यूनिट्स ने पूरा जोर लगाया है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर विशेष अभियान चलाया है, जिसमें योगी के वीडियो संदेश और उनके पिछले चुनावी भाषणों के अंश साझा किए जा रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा की रणनीति स्पष्ट है — मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता, अमित शाह की संगठनात्मक मजबूती, और योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व ब्रांड मिलकर एक मजबूत तिकड़ी तैयार करते हैं, जो विपक्ष के लिए चुनौती है।
इस बीच, चुनावी मैदान में बढ़ती गर्मी के बीच जनता की नजरें योगी की सभाओं पर हैं। माना जा रहा है कि उनकी सभाओं से भाजपा के समर्थकों में नई ऊर्जा का संचार होगा, खासकर उन इलाकों में जहाँ भाजपा को सीटें बचानी हैं या नया जनाधार खड़ा करना है।
राजनीतिक समीक्षक अभिषेक झा कहते हैं, “योगी का भाषण केवल चुनावी रैली नहीं, बल्कि एक विचारधारा का विस्तार होता है। वे जनता से सीधे भावनात्मक जुड़ाव बनाते हैं। यह भाजपा की बड़ी चुनावी पूंजी है।”
दूसरी ओर, विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि भाजपा विकास के मुद्दों से ध्यान हटाकर धार्मिक भावनाओं को उभारने का प्रयास कर रही है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “बिहार को रोजगार चाहिए, न कि भाषण।”
फिर भी, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि योगी आदित्यनाथ का करिश्मा भाजपा के लिए एक बूस्टर डोज़ साबित होता है। उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ और “जय श्रीराम” के नारे यह संकेत दे रहे हैं कि भाजपा का कोर वोट बैंक अब भी सक्रिय है।
विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बिहार की राजनीति अब पारंपरिक जातीय समीकरणों से आगे बढ़ रही है, और योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं की “राष्ट्रीय पहचान” इन समीकरणों को तोड़ने में अहम भूमिका निभा सकती है।
आज योगी की रैली के बाद भाजपा के प्रचार अभियान को और रफ्तार मिलने की उम्मीद है। पार्टी की योजना है कि आने वाले हफ्तों में योगी आदित्यनाथ की 15 से अधिक रैलियां और रोड शो आयोजित किए जाएंगे, जो बिहार के सीमांचल, मिथिलांचल और मगध क्षेत्रों में होंगे।
फिलहाल, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या योगी आदित्यनाथ की यह चुनावी एंट्री भाजपा के लिए निर्णायक बढ़त साबित होगी या विपक्ष इसे अपनी रणनीति से काट पाएगा।
लेकिन इतना तो तय है कि योगी के आगमन से बिहार का चुनावी समर और भी ज्यादा गर्म हो गया है।