




केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों को एक बड़ा तोहफा देते हुए हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर जीएसटी को शून्य प्रतिशत (Zero GST) करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस फैसले ने आम जनता को राहत देने के साथ-साथ बीमा क्षेत्र में नई ऊर्जा भर दी है। अब तक इन बीमा योजनाओं पर 18% तक जीएसटी लागू होता था, जिसके कारण बीमा प्रीमियम महंगा हो जाता था और लोग इनसे दूरी बनाए रखते थे। लेकिन सरकार के इस कदम के बाद बीमा योजनाओं की लागत में सीधा असर दिखा है और लोगों में इन्हें खरीदने की होड़ मच गई है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस फैसले का उद्देश्य देश में “हर नागरिक को स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा” प्रदान करना है। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोग अपने और अपने परिवार के लिए बीमा सुरक्षा कवच चुनें। यह निर्णय न केवल सामाजिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य क्षेत्र दोनों के लिए सकारात्मक प्रभाव डालने वाला कदम साबित होगा।
पिछले कुछ वर्षों से देखा गया है कि भारत में बीमा क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार उम्मीद से कम थी। अब जीएसटी खत्म होने के बाद हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस की पॉलिसियों की बिक्री में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है। बीमा कंपनियों के आंकड़ों के मुताबिक, इस निर्णय के बाद कुछ ही हफ्तों में नए ग्राहकों की संख्या में 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सरकार का मानना है कि इस फैसले से मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास परिवारों को सबसे अधिक फायदा होगा। पहले कई लोग बीमा को महंगा समझकर उससे दूरी बनाए रखते थे, क्योंकि 18% जीएसटी के कारण प्रीमियम राशि काफी बढ़ जाती थी। अब टैक्स हटने से लोगों के पास सस्ता बीमा विकल्प उपलब्ध है, जिससे वे बिना झिझक हेल्थ या टर्म इंश्योरेंस लेने का निर्णय कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय बीमा क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा। वित्त विशेषज्ञ डॉ. आर. के. अग्रवाल का कहना है कि “यह कदम न केवल नागरिकों को राहत देगा बल्कि बीमा उद्योग की ग्रोथ को नई दिशा भी देगा। अब जब टैक्स का बोझ हटा दिया गया है, तो बीमा योजनाओं का दायरा बढ़ेगा और देश में वित्तीय सुरक्षा का दायरा मजबूत होगा।”
IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने भी सरकार के इस फैसले की सराहना की है। संस्था ने कहा कि इससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में बीमा की पैठ बढ़ेगी। पहले वहां लोग टैक्स के कारण प्रीमियम चुकाने में हिचकते थे, लेकिन अब सस्ती योजनाओं के चलते बीमा को लेकर जागरूकता और भागीदारी दोनों में वृद्धि होगी।
टर्म इंश्योरेंस में भी भारी उछाल देखने को मिला है। जिन लोगों ने पहले टर्म इंश्योरेंस को महंगा समझकर छोड़ दिया था, वे अब दोबारा इसे लेने में रुचि दिखा रहे हैं। बीमा एजेंट्स के अनुसार, बीते एक महीने में टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री में 25 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
बीमा कंपनियों का कहना है कि सरकार के इस कदम से ग्राहकों का भरोसा बढ़ा है। पहले जहां एक व्यक्ति को 10,000 रुपये के बीमा प्रीमियम पर 1,800 रुपये अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता था, वहीं अब उसे केवल 10,000 रुपये में ही पूरा कवरेज मिल जाएगा। इससे न केवल लोगों की जेब पर बोझ घटा है, बल्कि बीमा एक “आवश्यक निवेश” के रूप में स्थापित हुआ है।
वहीं, आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम सरकार की उस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत देश को “बीमा सर्वव्यापी भारत” की दिशा में ले जाया जा रहा है। इस कदम से भारत में बीमा क्षेत्र का आकार तेजी से बढ़ेगा और 2025 तक देश का बीमा बाजार 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है।
इस फैसले से छोटे उद्यमियों और स्वरोजगार करने वाले लोगों को भी बड़ी राहत मिली है। पहले वे ऊँचे टैक्स की वजह से परिवार के लिए बीमा पॉलिसी लेने से बचते थे, लेकिन अब यह उनके लिए एक सुलभ विकल्प बन गया है।
बीमा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इस कदम को स्थायी रूप से लागू रखती है, तो आने वाले वर्षों में भारत की बीमा पैठ (Insurance Penetration) जो फिलहाल GDP का लगभग 4 प्रतिशत है, वह बढ़कर 8 से 10 प्रतिशत तक पहुँच सकती है। इससे बीमा क्षेत्र में रोजगार और निवेश दोनों में वृद्धि होगी।
साथ ही, स्वास्थ्य क्षेत्र को भी इसका बड़ा लाभ मिलेगा। निजी अस्पतालों और हेल्थकेयर सेक्टर के जानकारों का कहना है कि जब अधिक लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेंगे, तो अस्पतालों में भुगतान की पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर मिल सकेंगी।
कुल मिलाकर, सरकार का यह निर्णय न केवल एक टैक्स राहत है बल्कि यह वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार है। हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर जीएसटी जीरो करने का यह कदम आम जनता को आत्मनिर्भर और सुरक्षित भारत की दिशा में प्रेरित करेगा।