




केंद्र सरकार ने विदेशों में छिपे हुए भगोड़े अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का ऐलान किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि आर्थिक अपराधियों, साइबर अपराधियों, आतंकवादी और अन्य सभी प्रकार के भगोड़े अपराधियों के खिलाफ रूढ़िवादी नहीं बल्कि कठोर, बेरहम रणनीति अपनाई जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये सभी दोषी भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष पेश हों और कोई भी अपराधी विदेशों से पनाह लेकर बच न सके।
अमित शाह ने कहा, “कोई भी अपराधी जो देश से भाग कर विदेशों में छिपता है, वह कानून से नहीं बच सकता। अब हमें ऐसी रणनीति अपनानी होगी जो अपराधियों को चाहे वे कहीं भी हों, भारत की अदालतों के सामने लाए।”
उन्होंने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे कम से कम एक ऐसी जेल स्थापित करें जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरे। इसका मकसद भगोड़े अपराधियों द्वारा ‘जेल की खराब स्थिति’ को लेकर विदेशों में बचाव की कोशिशों को नाकाम करना है।
विदेशों में छिपे भगोड़े अपराधी अक्सर विदेशी अदालतों में दावा करते हैं कि भारत की जेल व्यवस्था असुरक्षित और अमानवीय है, इसलिए उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए। अमित शाह ने इसे चुनौती बताते हुए कहा कि राज्यों को बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाली जेल सुविधाएं विकसित करनी होंगी ताकि यह दलील अदालतों में चले ही न।
इसके साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्री ने राष्ट्रीय जांच एजेंसियों (CBI, NIA) और खुफिया एजेंसियों को भगोड़े अपराधियों की पहचान कर, प्रत्यर्पण प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया है। उन्होंने एक मानकीकृत प्रक्रिया (SOP) तैयार करने के लिए भी कहा है ताकि विदेशी देश में छिपे अपराधियों को शीघ्र न्यायालय में पेश किया जा सके।
अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि इस नीति का दायरा केवल पारंपरिक अपराधों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें साइबर अपराध, धन शोधन, आतंकवादी गतिविधियां और संगठित अपराध भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तकनीकी और कूटनीतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए ऐसे अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शेगी नहीं।
यह नीति इस बात की भी गवाही देती है कि भारत आधुनिक और वैश्विक अपराधों से निपटने के लिए अपनी रणनीति को मजबूत कर रहा है।
अमित शाह ने सभी राज्यों से अपील की है कि वे अपने यहां कम से कम एक जेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाएँ। इसके तहत जेल की सुरक्षा, सुविधाएं, कैदियों के मानवाधिकार, स्वास्थ्य सेवाएं आदि का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
यह कदम भारत के विदेशों के साथ प्रत्यर्पण मामलों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। साथ ही, यह जेलों में सुधार की प्रक्रिया को भी गति देगा, जिससे सभी कैदियों को बेहतर जीवन स्तर प्राप्त होगा।
अमित शाह ने कहा कि अब तक भारत ने लगभग 137 भगोड़ों को विदेशों से प्रत्यर्पित किया है, लेकिन यह संख्या संतोषजनक नहीं है। सरकार ने तय किया है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए CBI, NIA और IB के बीच समन्वय बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत अब सभी देशों के साथ प्रत्यर्पण समझौतों को मजबूत करने, नई संधियां करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
अमित शाह ने स्वीकार किया कि इस प्रक्रिया में कई बाधाएं हैं। इनमें विदेशी देशों के कानून, प्रत्यर्पण संधि की अनुपस्थिति, मानवाधिकार संबंधी चिंताएं, और राजनीतिक जटिलताएं शामिल हैं।
लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत सरकार इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था, कूटनीति और तकनीक का प्रयोग कर इस समस्या को प्रभावी रूप से सुलझाया जाएगा।
यह नीति विपक्ष और आम जनता दोनों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रियाएं पा रही है। इसे कानून व्यवस्था मजबूत करने और अपराधियों के प्रति सख्ती बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है।
हालांकि कुछ वर्गों ने यह भी चिंता जताई है कि कहीं इस नीति का दुरुपयोग न हो और नागरिकों के अधिकारों का हनन न हो, ऐसे में सरकार से संतुलित और न्यायसंगत निर्णय लेने की अपील भी की गई है।
अमित शाह द्वारा घोषित यह ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति भारत की न्याय व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है। यह स्पष्ट करती है कि भारत विदेशों से अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शने वाला नहीं है और हर संभव संसाधन जुटाकर उन्हें न्याय के कटघरे में लाएगा।