




राजधानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में शुक्रवार की सुबह उस समय अफरातफरी मच गई, जब स्कूल प्रशासन को एक ईमेल के माध्यम से बम धमकी मिली। स्कूल प्रशासन ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस को सूचित किया और बच्चों को स्कूल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
लेकिन जब दिल्ली पुलिस की जांच पूरी हुई, तो एक हैरान कर देने वाला सच सामने आया — यह ईमेल किसी आतंकी साजिश का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक नाबालिग छात्र द्वारा परीक्षा से बचने के लिए भेजा गया था।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
“हमें सुबह करीब 9 बजे स्कूल से सूचना मिली कि एक बम की धमकी वाला ईमेल आया है। टीमों को तुरंत मौके पर भेजा गया।”
बम निरोधक दस्ता (Bomb Squad) और डॉग स्क्वॉड ने स्कूल परिसर की गहन तलाशी ली, लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
इसके बाद पुलिस की साइबर टीम ने धमकी वाले ईमेल की तकनीकी जांच शुरू की और IP एड्रेस की ट्रेसिंग से पता चला कि यह मेल स्कूल के ही एक छात्र द्वारा भेजा गया था।
पूछताछ के दौरान 13 वर्षीय छात्र ने स्वीकार किया कि वह परीक्षा से डर रहा था और इसीलिए उसने यह फर्जी ईमेल भेजा ताकि स्कूल को बंद किया जा सके और परीक्षा टल जाए।
छात्र ने इंटरनेट पर फर्जी ईमेल भेजने के तरीके खोजे और स्कूल के आधिकारिक ईमेल पर बम की धमकी भेज दी।
यह घटना साइबर अपराध के मामलों में बच्चों की बढ़ती भागीदारी को उजागर करती है।
पुलिस ने छात्र के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) के तहत केस दर्ज किया है।
हालांकि उसकी उम्र को देखते हुए उसे गिरफ्तार नहीं किया गया, बल्कि सुधारात्मक उपायों के तहत काउंसलिंग दी जाएगी। परिवार को भी चेताया गया है।
स्कूल प्रबंधन ने एक आधिकारिक बयान में कहा:
“हम इस घटना से बेहद स्तब्ध हैं, लेकिन राहत की बात है कि यह कोई असली खतरा नहीं था। अब हम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर और ज़्यादा ध्यान देंगे।”
स्कूल में अब परीक्षा के पहले मानसिक स्वास्थ्य सत्र (Mental Health Workshops) आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है।
यह घटना एक बार फिर छात्रों पर बढ़ते शिक्षा और परीक्षा के दबाव की ओर इशारा करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि:
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बच्चों को असफलता का डर सताता है
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अभिभावकों की अत्यधिक अपेक्षाएं तनाव बढ़ाती हैं
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स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य पर कम ध्यान दिया जाता है
मनोवैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि शिक्षा प्रणाली में मानसिक स्वास्थ्य को मुख्यधारा में शामिल किया जाए।
दिल्ली सरकार और शिक्षा विभाग इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सभी स्कूलों को कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भेजने की योजना बना रही है, जैसे कि:
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स्कूलों में साइबर सुरक्षा सेमिनार कराना
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बच्चों की इंटरनेट गतिविधियों की मॉनिटरिंग
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परीक्षा से पहले छात्रों की काउंसलिंग सत्र
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फेक अलर्ट पर तुरंत कार्रवाई के लिए स्कूल स्टाफ को प्रशिक्षित करना
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों को केवल अकादमिक सफलता के लिए नहीं, बल्कि एक स्वस्थ मानसिक वातावरण के लिए भी समर्थन की आवश्यकता है।
यह केवल स्कूल या सरकार की नहीं, बल्कि हर माता-पिता, शिक्षक और समाज की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की चिंता, तनाव और डर को समझें और उन्हें नकारात्मक कदम उठाने से पहले रोकें।
दिल्ली के इस स्कूल में बम की धमकी जैसी घटना भले ही फर्जी निकली हो, लेकिन यह एक बड़ी चेतावनी है — हमारे बच्चे तनाव में हैं और उनकी मदद के लिए हमें अभी कदम उठाने होंगे।