




महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के बाद उठ रहे चुनावी विवादों के बीच, एनसीपी और समाजवादी पार्टी (एसपी) के नेता रोहित पवार ने फर्जीवाड़े को लेकर एक बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि फर्जी आधार नंबरों का इस्तेमाल करके नकली वोटर आईडी बनाई जा रही हैं, जिससे वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई है।
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रोहित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की वोटर सूची में तकनीकी खामियां स्पष्ट रूप से दिख रही हैं। उन्होंने कहा,
“वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटर आईडी जोड़ी जा रही हैं। ये फर्जी आईडी फर्जी आधार नंबरों के सहारे बन रही हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है।”
रोहित पवार ने विशेष रूप से बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के कई जिलों में मतदाता सूची की गहराई से जांच की है। इस जांच में कई मामले सामने आए जहां एक ही नाम दो-तीन बार दर्ज था, कई मतदाता सूची से ग़ायब थे, और कई जगह फर्जी नाम जोड़े गए थे।
उन्होंने बताया कि इन गड़बड़ियों का जाल इतना बड़ा है कि इसे चुनाव आयोग और प्रशासन को गंभीरता से लेना होगा।
“यह केवल एक पार्टी का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे लोकतंत्र की सुरक्षा का सवाल है।”
फर्जी आधार नंबरों के इस्तेमाल को लेकर उन्होंने कहा कि आधार कार्ड, जो नागरिक की पहचान का आधार है, का दुरुपयोग कर नकली वोटर आईडी बनाई जा रही हैं। कई बार असली लोगों के आधार नंबरों को गलत तरीके से वोटर लिस्ट में शामिल किया जाता है, तो कभी पूरी तरह से फर्जी आधार नंबर बनाकर वोटर आईडी बनाई जाती है।
उन्होंने चेतावनी दी,
“अगर इस समस्या को नहीं रोका गया तो भविष्य के चुनाव पूरी तरह भ्रष्ट और अनैतिक हो सकते हैं।”
रोहित पवार ने चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन पर भी सवाल उठाए कि वे इस गंभीर समस्या पर नजर क्यों नहीं डाल रहे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को वोटर सूची को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
“निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आधार नंबरों और वोटर आईडी की जांच पूरी तरह से हो, ताकि फर्जीवाड़ा रोक सके।”
रोहित पवार के इस आरोप के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को चुनाव में धांधली और जालसाजी का बड़ा उदाहरण बताया है और चुनाव आयोग से तत्काल जांच की मांग की है।
वहीं, सत्ता पक्ष के नेता इसे राजनीतिक चालाकी करार देते हुए कह रहे हैं कि चुनाव आयोग स्वतंत्र है और सभी शिकायतों की जांच कर रहा है।
फर्जी आधार नंबरों के जरिये फर्जी वोटर आईडी बनाना लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। यह मुद्दा सिर्फ तकनीकी नहीं बल्कि कानूनी और नैतिक भी है। निर्वाचन आयोग, पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियों को मिलकर इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।