




अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की चमक एक बार फिर बढ़ गई है। शुक्रवार को सोने की कीमतों ने इतिहास रचते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है। सोना 1 औंस के भाव से 4,379.93 अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है। यह उछाल ऐसे समय में आया है जब वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और चिंता का माहौल गहराता जा रहा है। अमेरिका में ऋण संकट की आशंकाएं और चीन के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों ने निवेशकों को एक बार फिर “सेफ हेवन” यानी सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में सोने की ओर मोड़ दिया है।
बीते कुछ हफ्तों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ऋण सीमा को लेकर गहराते संकट ने डॉलर को कमजोर किया है, जबकि ब्याज दरों को लेकर फेडरल रिजर्व की अनिश्चित नीति ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक फिलहाल जोखिम से बचने की कोशिश में हैं और इसलिए वे सोने जैसे भरोसेमंद विकल्पों में पैसा लगा रहे हैं। इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की मांग अचानक तेज हुई है और कीमतों में यह ऐतिहासिक उछाल देखने को मिला है।
चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनावों ने भी बाजार की धारणा को प्रभावित किया है। एशिया में आर्थिक अनिश्चितता और सप्लाई चेन पर असर डालने वाले भू-राजनीतिक टकरावों ने निवेशकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आगे आने वाले महीनों में वैश्विक व्यापार पर इसका कितना गहरा असर पड़ेगा। इन हालातों में सोने जैसी सुरक्षित संपत्ति की ओर पूंजी का प्रवाह स्वाभाविक हो गया है।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, मौजूदा हालात केवल अस्थायी नहीं बल्कि एक लंबी अवधि का संकेत हो सकते हैं। यदि अमेरिका अपने ऋण संकट का समाधान जल्दी नहीं निकाल पाता और चीन-अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता है, तो सोने की कीमतों में आने वाले महीनों में और तेजी संभव है। कई विश्लेषकों ने यह अनुमान लगाया है कि यदि यही प्रवृत्ति बनी रही तो वर्ष के अंत तक सोना 5,000 डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा भी छू सकता है।
दूसरी ओर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों ने भी सोने को मजबूत आधार प्रदान किया है। जब ब्याज दरें घटती हैं, तो बांड्स और बैंक डिपॉजिट पर मिलने वाला रिटर्न कम हो जाता है, जिससे सोने की आकर्षण शक्ति और बढ़ जाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने में निवेश की नई लहर देखने को मिल रही है।
भारत जैसे देशों में भी इस वैश्विक रुझान का असर देखने को मिल रहा है। घरेलू बाजार में सोने की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तरों के करीब पहुंच चुकी हैं। मुंबई, दिल्ली और जयपुर जैसे प्रमुख बाजारों में सोने के भाव में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। त्योहारों के मौसम में भले ही खुदरा खरीदारी धीमी हो, लेकिन निवेशक वर्ग गोल्ड ETF और बुलियन मार्केट में बड़ी खरीदारी कर रहे हैं।
हालांकि, बाजार विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि सोने में निवेश करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। जिस तेजी से कीमतें बढ़ रही हैं, उसमें किसी भी तरह का सुधार (correction) अचानक देखने को मिल सकता है। यदि अमेरिका अपने ऋण संकट का समाधान कर लेता है या चीन-अमेरिका के बीच तनाव कम होता है, तो निवेशक अन्य जोखिमपूर्ण संपत्तियों जैसे शेयर बाजार या क्रिप्टोकरेंसी की ओर लौट सकते हैं, जिससे सोने की कीमतों में गिरावट संभव है।
इसके बावजूद, वर्तमान परिदृश्य में सोने की स्थिति मजबूत बनी हुई है। फेडरल रिजर्व की नीति, डॉलर इंडेक्स की दिशा और चीन-अमेरिका संबंधों की स्थिति आने वाले सप्ताहों में सोने के भविष्य का निर्धारण करेंगी। विश्वभर के केंद्रीय बैंक भी अपने भंडार में सोने का हिस्सा लगातार बढ़ा रहे हैं, जिससे बाजार को और समर्थन मिल रहा है।
समग्र रूप से देखा जाए तो 4,379.93 डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा केवल एक वित्तीय रिकॉर्ड नहीं बल्कि उस भरोसे की पुष्टि है जो सदियों से सोने को मिला है। जब भी वैश्विक अनिश्चितता बढ़ती है, निवेशक सोने की ओर लौटते हैं — और इस बार भी वही हुआ है। अमेरिका के ऋण संकट और चीन तनावों ने सोने को एक बार फिर “राजा” बना दिया है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सोना इस गति को बनाए रख पाता है या यह रिकॉर्ड स्तर किसी नई अस्थिरता का संकेत बनता है। फिलहाल, निवेशकों और विश्लेषकों दोनों के लिए यह स्पष्ट है कि सोने की चमक आने वाले समय में और भी तेज होने वाली है।