




गुजरात की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा फेरबदल देखने को मिला। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए कई नए चेहरों को मौका दिया है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों की तैयारियों के लिहाज से अहम माना जा रहा है। इस विस्तार के साथ ही राज्य में मंत्रियों की कुल संख्या 16 से बढ़कर 25 हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा कैबिनेट से केवल छह मंत्रियों को दोबारा मौका दिया गया है, जबकि बाकी सभी नए चेहरे हैं।
इस मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे ज्यादा चर्चा क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को मंत्री बनाए जाने को लेकर हो रही है। रिवाबा, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में जामनगर (उत्तर) सीट से जीत दर्ज की थी, अब पहली बार मंत्री बनी हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने रिवाबा को प्रमोट कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं — महिलाओं को प्रतिनिधित्व देना, सौराष्ट्र क्षेत्र में राजनीतिक संतुलन बनाना और जडेजा परिवार की लोकप्रियता को भुनाना।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में हुए इस मंत्रिमंडल विस्तार में पार्टी ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का खास ध्यान रखा है। सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात — सभी क्षेत्रों से चेहरों को शामिल किया गया है। वहीं, ओबीसी, पाटीदार, ठाकोर, राजपूत और अनुसूचित जाति समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।
नई कैबिनेट में शामिल मंत्रियों में कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्होंने संगठन स्तर पर बीजेपी के लिए लंबे समय तक काम किया है और अब उन्हें प्रशासनिक जिम्मेदारी दी गई है। सूत्रों के अनुसार, इस फेरबदल में प्रदर्शन, जनता से जुड़ाव और संगठन के प्रति निष्ठा को प्राथमिकता दी गई है।
गुजरात में पिछले कुछ महीनों से लगातार अटकलें लग रही थीं कि भूपेंद्र पटेल जल्द ही अपनी कैबिनेट में बदलाव करेंगे। पार्टी हाईकमान की अनुमति के बाद आखिरकार इस विस्तार को हरी झंडी मिल गई। मुख्यमंत्री के साथ नए मंत्रियों ने गांधीनगर स्थित राजभवन में शपथ ग्रहण की। इस मौके पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीआर पाटिल और प्रदेश संगठन के कई नेता मौजूद रहे।
राज्य की राजनीति में यह विस्तार कई मायनों में अहम है। एक तो गुजरात जैसे राज्य में बीजेपी लगभग तीन दशकों से सत्ता में है और संगठन को नई ऊर्जा देने के लिए नए चेहरों की जरूरत महसूस की जा रही थी। दूसरा, लोकसभा चुनाव 2026 से पहले पार्टी अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है।
रिवाबा जडेजा के अलावा जिन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, उनमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और भावनगर जैसे शहरी क्षेत्रों से आने वाले विधायकों का नाम भी शामिल है। इन इलाकों में बीजेपी ने पारंपरिक रूप से मजबूत स्थिति बनाई रखी है, लेकिन संगठन इन सीटों को और सुदृढ़ करना चाहता है।
छह पुराने मंत्रियों में जिनको दोबारा शामिल किया गया है, उनमें वरिष्ठ नेता कनुभाई देसाई, राघवजी पटेल, मनीषा वकील, हर्ष संघवी, जितेंद्र वाघाणी, और कीर्ति सिंह वाघेला के नाम प्रमुख हैं। इनके अलावा कई नए नाम भी हैं जिन्हें पहली बार मंत्री पद का दायित्व सौंपा गया है।
भूपेंद्र पटेल सरकार ने अपने विस्तार के जरिए यह स्पष्ट संकेत दिया है कि पार्टी “युवा और अनुभव का संतुलन” बनाए रखना चाहती है। नए मंत्रियों में युवा चेहरों की संख्या अधिक है, जिससे सरकार की छवि ‘डायनेमिक’ और ‘ग्राउंड-कनेक्टेड’ दिखे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी का यह कदम विपक्ष के लिए भी एक चुनौती है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों ही गुजरात में संगठन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी ने समय रहते संगठन और सरकार दोनों में नया जोश भरने का काम किया है।
रिवाबा जडेजा का मंत्री बनना न केवल सौराष्ट्र बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर भी यह खबर वायरल हो रही है। लोग कह रहे हैं कि अब “मैदान में जडेजा और राजनीति में रिवाबा” दोनों मोर्चे पर एक ही परिवार से ताकतवर जोड़ी दिखेगी।
हालांकि विपक्ष ने इस मंत्रिमंडल विस्तार को ‘राजनीतिक स्टंट’ बताते हुए कहा है कि यह कदम जनता के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए उठाया गया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि “मंत्री बदलने से सरकार की नीतियां नहीं बदलेंगी। बीजेपी को जनता के असली मुद्दों पर काम करना चाहिए।”
दूसरी ओर, बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह विस्तार “नए गुजरात, नए विजन” की दिशा में एक कदम है। पार्टी का फोकस अब ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और उद्योगों में निवेश बढ़ाने पर है।
गुजरात के इस नए मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या भी पहले की तुलना में बढ़ी है। राज्य की राजनीति में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में बीजेपी लगातार आगे रही है और रिवाबा जडेजा की एंट्री इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
आगामी महीनों में जब गुजरात के नगर निकाय और जिला पंचायत चुनाव होंगे, तब इस नए मंत्रिमंडल की कार्यशैली बीजेपी के लिए बड़ी परीक्षा साबित होगी। पार्टी को उम्मीद है कि नए मंत्री संगठन के जनाधार को और मजबूत करेंगे तथा जनता के बीच सरकार की छवि को सुदृढ़ बनाएंगे।