




राजस्थान में जैसलमेर जिले में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद राज्य सरकार और परिवहन विभाग हरकत में आ गए हैं। इस हादसे में 22 लोगों की दर्दनाक मौत और कई यात्रियों के गंभीर रूप से घायल होने के बाद प्रदेशभर में एसी स्लीपर बसों की जांच अभियान शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में कई बसों में सुरक्षा मानकों और लाइसेंस शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा था।
राजस्थान परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में कुल 3200 एसी स्लीपर बसें पंजीकृत हैं, जिनमें से अब तक 1400 बसों की गहन जांच की जा चुकी है। इनमें से 162 बसों को जब्त किया गया है, क्योंकि या तो उनके पास वैध परमिट नहीं था या उनमें सुरक्षा उपकरण और तकनीकी मानक पूरे नहीं किए गए थे। यह कार्रवाई जैसलमेर हादसे के बाद तत्काल प्रभाव से शुरू की गई है और आने वाले दिनों में पूरे राज्य में जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा।
जैसलमेर में हुए हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। यह हादसा उस समय हुआ था जब एक निजी स्लीपर बस यात्रियों से भरी हुई थी और सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बस के परखच्चे उड़ गए और कई यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।
परिवहन आयुक्त की ओर से जारी आदेशों के अनुसार, राज्य के सभी जिलों में विशेष टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें बस स्टैंड, हाइवे और निजी डिपो में जाकर वाहनों की फिटनेस, फायर सेफ्टी, आपातकालीन दरवाजों की स्थिति और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम जैसी सुविधाओं की जांच कर रही हैं। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या ड्राइवरों और परिचालकों के पास वैध लाइसेंस और प्रशिक्षण प्रमाणपत्र हैं या नहीं।
जांच में यह भी सामने आया है कि कई बसें बिना अनुमति राज्य सीमाओं से बाहर संचालन कर रही थीं। कुछ बसों में सीटिंग और स्लीपर स्ट्रक्चर में आवश्यक सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी। परिवहन विभाग ने ऐसे सभी ऑपरेटरों के खिलाफ चालान दर्ज करते हुए लाइसेंस निरस्तीकरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
परिवहन मंत्री ने कहा है कि “राज्य सरकार किसी भी कीमत पर यात्रियों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी। जैसलमेर जैसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए विभाग को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सभी जिलों में बस ऑपरेटरों को स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि अगर उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
इस बीच, जैसलमेर हादसे में घायल यात्रियों का इलाज जोधपुर और जैसलमेर के अस्पतालों में चल रहा है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (या वर्तमान मुख्यमंत्री के नाम अनुसार) ने ट्वीट कर कहा कि “राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के साथ है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
राजस्थान परिवहन विभाग ने हाल ही में यह भी पाया है कि कुछ बस ऑपरेटर एसी स्लीपर बसों के नाम पर साधारण बसों में सीटें बदलकर संचालन कर रहे थे। इन वाहनों में न तो अग्निशमन उपकरण थे और न ही इमरजेंसी गेट कार्यशील थे। कई बसों में जीपीएस ट्रैकिंग और कैमरे भी निष्क्रिय पाए गए। विभाग ने ऐसे वाहनों को तुरंत सीज करने के आदेश दिए हैं।
यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब सभी निजी बस ऑपरेटरों को अपने वाहनों में नियमित फिटनेस सर्टिफिकेट अपडेट कराना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, बसों में स्पीड लिमिट डिवाइस, अग्निशमन सिलिंडर और प्राथमिक चिकित्सा किट रखना अब सख्ती से लागू होगा।
परिवहन विभाग ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाएगा ताकि हर बस की लोकेशन, स्पीड और तकनीकी स्थिति की वास्तविक समय पर निगरानी हो सके। इसके लिए विभाग ने राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाने की योजना तैयार की है।
राज्य सरकार के इस कदम का यात्रियों और सामाजिक संगठनों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि इस तरह की सख्ती पहले ही की जानी चाहिए थी ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। वहीं, कुछ बस ऑपरेटरों ने आरोप लगाया है कि विभाग अचानक अभियान चलाकर कई वैध बसों को भी जब्त कर रहा है, जिससे संचालन प्रभावित हुआ है।
कुल मिलाकर, जैसलमेर की त्रासदी ने राजस्थान में सड़क सुरक्षा और बस संचालन व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। सरकार की इस कार्रवाई से साफ संकेत मिल रहा है कि अब नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी बस ऑपरेटर को बख्शा नहीं जाएगा। यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “लापरवाही की बस अब नहीं चलेगी।”