




लोकायुक्त के सख्त अभियान के तहत तुमकुरु जिले के कोरटागरे तालुक के थुविनाकेरे ग्राम पंचायत के सचिव और बिल कलेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने एक 73 वर्षीय बुजुर्ग से ग्राम पंचायत की डिजिटल संपत्ति दस्तावेज़ ई-स्वातु जारी करने के नाम पर ₹8,000 की मांग की और उसे रिश्वत के तौर पर लिया।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, वृद्ध व्यक्ति ने अपनी संपत्ति का आधिकारिक डिजिटल प्रमाण पत्र यानी ई-स्वातु प्राप्त करने के लिए ग्राम पंचायत से संपर्क किया था। इस प्रक्रिया के दौरान सचिव और बिल कलेक्टर ने दस्तावेज़ जारी करने की शर्त पर अवैध रूप से रिश्वत मांगी। शिकायत मिलने पर लोकायुक्त अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू की और जाल बिछाकर आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ लिया।
ई-स्वातु ग्राम स्तर पर संपत्ति के स्वामित्व और उससे जुड़ी जानकारियों का डिजिटल रिकॉर्ड होता है। यह दस्तावेज़ ग्रामीणों को अपनी जमीन और अन्य संपत्तियों के वैध मालिक होने का प्रमाण प्रदान करता है, जिससे वे सरकारी योजनाओं, ऋण और अन्य अधिकारों का लाभ उठा सकते हैं। इस डिजिटल रिकॉर्ड के बिना ग्रामीणों को कई बार अपनी संपत्ति संबंधी सेवाओं के लिए परेशानी उठानी पड़ती है।
लोकायुक्त के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। “हमने शिकायत की गंभीरता को समझते हुए सचिव और बिल कलेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। यह स्पष्ट संकेत है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी मुहिम जारी रहेगी।” उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदारी से काम करना चाहिए।
स्थानीय ग्रामीणों ने इस कार्रवाई को स्वागतयोग्य बताया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण वे कई बार सरकारी सेवाओं से वंचित रह जाते थे। एक ग्रामीण ने कहा, “ई-स्वातु जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज के लिए रिश्वत मांगना हमारे अधिकारों का हनन है। लोकायुक्त की इस कार्रवाई से हमें उम्मीद है कि प्रशासन में सुधार आएगा।”
थुविनाकेरे ग्राम पंचायत के अधिकारियों ने अभी इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। वहीं जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहनता से जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाई जाएगी।
कर्नाटक के कई ग्रामीण इलाकों में भ्रष्टाचार की शिकायतें समय-समय पर सामने आती रही हैं, खासकर पंचायत स्तर पर। सरकारी सेवाओं और दस्तावेज़ों के लिए रिश्वतखोरी ग्रामीणों की जिंदगी को प्रभावित करती है। ई-स्वातु जैसे डिजिटल दस्तावेज़ों के मामले में भी कई बार रिश्वत की शिकायतें मिली हैं, जिससे डिजिटल इंडिया के सपने को खतरा पहुंचता है।
लोकायुक्त की इस कार्रवाई से यह उम्मीद जगती है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकेगी और ग्राम पंचायतें पारदर्शी और जवाबदेह बनेंगी।
थुविनाकेरे ग्राम पंचायत के सचिव और बिल कलेक्टर के खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला ग्राम स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने वाला कदम है। ई-स्वातु जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज के लिए रिश्वत लेना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम जनता के अधिकारों का भी हनन है। लोकायुक्त की इस कार्रवाई से उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी आएगी, जिससे ग्रामीणों को सस्ती और त्वरित सेवा मिलेगी।