




मंगोलिया की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा बदलाव देखा गया जब प्रधानमंत्री गोम्बोजाव ज़ंदंशटर को सत्ता में आने के केवल चार महीने बाद ही संसद ने अविश्वास प्रस्ताव पारित कर पद से हटा दिया।
इस निर्णय के पीछे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, बढ़ती महंगाई और आर्थिक असंतोष को मुख्य कारण बताया गया है। इस घटनाक्रम ने मंगोलिया में राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री गोम्बोजाव ज़ंदंशटर को 2025 की गर्मियों में उस समय सत्ता सौंपी गई थी जब मंगोलिया युवाओं के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों से जूझ रहा था। जनता को उनसे नई उम्मीदें थीं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार इन समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रख सकी।
सांसदों ने आरोप लगाया कि:
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उनकी नीतियां गैर-पारदर्शी थीं,
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जनता की अपेक्षाओं को नजरअंदाज़ किया गया,
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और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
मंगोलिया की संसद में शुक्रवार को आपात सत्र बुलाया गया। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान हुआ, जिसमें 76 में से 68 सांसदों ने ज़ंदंशटर के खिलाफ वोट दिया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति उखना खुरेलसुख ने प्रधानमंत्री को पद से हटाने की अधिसूचना जारी की।
मंगोलिया वर्तमान में एक राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है:
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भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें राजनेताओं और नौकरशाहों की मिलीभगत की बात सामने आई।
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महंगाई दर 9% के आसपास पहुंच चुकी है, जिससे आम जनता की जीवनशैली प्रभावित हो रही है।
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रोज़गार के अवसरों की कमी और खनिज निर्यात में गिरावट ने अर्थव्यवस्था को झटका दिया है।
गोम्बोजाव ज़ंदंशटर का कार्यकाल बहुत संक्षिप्त रहा, लेकिन विवादों से भरा रहा:
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उन्होंने कुछ नीतिगत बदलाव किए जिनका संसद और जनता ने विरोध किया।
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एक वरिष्ठ नौकरशाह की नियुक्ति को लेकर संवैधानिक विवाद खड़ा हुआ।
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मीडिया स्वतंत्रता को लेकर भी उनकी सरकार पर सवाल उठे।
ज़ंदंशटर की सरकार से युवाओं को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उन पर खरा उतरने में असफल रहने पर सोशल मीडिया और सड़कों पर विरोध शुरू हो गया। एक छात्र नेता ने कहा:
“हमने उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने का मौका दिया, लेकिन वे भी उसी व्यवस्था का हिस्सा बन गए।”
राष्ट्रपति खुरेलसुख को अब संसद में बहुमत प्राप्त एक नए प्रधानमंत्री को नियुक्त करना होगा। सूत्रों के अनुसार, संभावित नामों में शामिल हैं:
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संसद अध्यक्ष अमरबायसगलन डैशज़ेवे,
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और पूर्व वित्त मंत्री बत-एर्डेने नारनबातर।
जब तक नया प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं हो जाता, तब तक ज़ंदंशटर कार्यवाहक पीएम बने रहेंगे।
मंगोलिया की राजनीतिक अस्थिरता ने चीन और रूस जैसे पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ा दी है, जो इस देश के साथ व्यापार और सुरक्षा मामलों में गहराई से जुड़े हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक ने भी मंगोलिया में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बनाए रखने की अपील की है।
गोम्बोजाव ज़ंदंशटर का पदच्युत होना एक बार फिर दर्शाता है कि जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में विफल रहने पर सरकार को कितनी जल्दी जवाब देना पड़ सकता है।
मंगोलिया अब एक स्थिर और जवाबदेह नेतृत्व की तलाश में है जो देश को इस संकट से उबार सके।