




केरल के प्रसिद्ध सबरीमला अय्यप्पा मंदिर से जुड़ी सोना चोरी की गूंज ने धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
केरल उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित विशेष जांच दल (SIT) ने इस संवेदनशील मामले में मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी को शुक्रवार सुबह गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी से पूर्व, SIT ने आरोपी पोट्टी को थिरुवनंतपुरम के जनरल अस्पताल में विस्तृत चिकित्सकीय परीक्षण के लिए भेजा, जो गिरफ्तारी प्रक्रिया का एक आवश्यक हिस्सा था।
यह मामला सबरीमला मंदिर के गर्भगृह और मुख्य संरचनाओं पर तांबे के साँचे (moulds) पर चढ़ाए गए सोने की परत से जुड़ा है। वर्ष 2019 में मंदिर की सजावट और संरक्षण के लिए इन ढाँचों पर सोना चढ़ाया गया था।
जांच में पाया गया कि:
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कुल करीब 500 ग्राम सोना इस कार्य के लिए उपलब्ध कराया गया था।
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परियोजना पूर्ण होने के बाद वापसी में सोने की मात्रा में भारी अंतर मिला।
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यह सोना वापस देवस्वम बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुआ।
इन आरोपों के केंद्र में उन्नीकृष्णन पोट्टी का नाम सामने आया, जिन्हें इस कार्य के प्रायोजक और समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था।
केरल हाई कोर्ट ने जुलाई 2025 में सबरीमला मंदिर में संभावित अनियमितताओं के मद्देनजर SIT का गठन किया था। आदेश में स्पष्ट किया गया:
“यह केवल एक प्रशासनिक नहीं, बल्कि एक धार्मिक आस्था से जुड़ा मामला है; इसलिए हर विवरण का सत्यापन जरूरी है।”
SIT द्वारा दर्ज FIR में उन्नीकृष्णन पोट्टी पर सोने की गायब सामग्री की जिम्मेदारी का आरोप है। रिपोर्ट्स के अनुसार:
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पोट्टी के बयान और रसीदों में गंभीर विरोधाभास पाए गए।
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उन्होंने सोने की वापसी को लेकर कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं दिए।
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अन्य कर्मियों के बयान में कहा गया कि पोट्टी ने “बचा हुआ सोना अपने पास ही रखा”।
SIT ने सभी साक्ष्य इकट्ठा कर पोट्टी को हिरासत में लिया और मेडिकल परीक्षण के बाद औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में पोट्टी अकेले नहीं हैं। जांच में यह भी सामने आया कि:
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देवस्वम बोर्ड के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी लापरवाही के आरोपी हैं।
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मंदिर के रिकॉर्ड विभाग, लेखा अनुभाग और भंडारण इकाई की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।
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SIT ने दो अलग-अलग FIR दर्ज की हैं — एक मूर्ति और द्वारपालक संरचना के लिए, और दूसरी लिंटल्स और साइड फ्रेम्स के लिए।
कुल मिलाकर 10 से अधिक लोग जांच के दायरे में हैं।
SIT ने मंदिर के स्ट्रॉन्गरूम, पुरालेख कक्ष और रिकॉर्डिंग बुक्स की बारीकी से समीक्षा की है। जांच में जो बातें सामने आईं:
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चढ़ाए गए सोने का कोई सटीक लेखा-जोखा मौजूद नहीं।
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सोने की आपूर्ति और वापसी के बीच 10 से 12 ग्राम प्रति साँचे का अंतर।
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देवस्वम बोर्ड की ओर से प्रमाणिक दस्तावेज अधूरे या गायब पाए गए।
यह भी सामने आया कि कुछ वस्तुएँ केवल “कॉपर प्लेटेड” के रूप में दर्ज की गईं, जिससे सोने के उपयोग की सटीकता की जांच नहीं हो सकी।
सबरीमला मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि करोड़ों अय्यप्पा भक्तों की आस्था का केंद्र है। इस तरह के मामले से:
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भक्तों में आक्रोश और निराशा फैल रही है।
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विहिप, भाजपा और अन्य संगठनों ने इस मामले को लेकर CBI जांच की मांग की है।
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विपक्ष ने केरल सरकार पर देवस्वम बोर्ड के प्रबंधन में भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा है।
अब SIT को यह जांच 6 हफ्तों में पूरी कर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपनी है। रिपोर्ट में यदि दोष सिद्ध होता है:
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पोट्टी पर IPC की विभिन्न धाराओं जैसे कि आपराधिक विश्वासघात, संपत्ति की हेराफेरी, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने आदि के तहत मुकदमा चल सकता है।
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देवस्वम बोर्ड के अन्य दोषियों पर कर्तव्य में लापरवाही और धोखाधड़ी के आरोप लग सकते हैं।
सबरीमला मंदिर का यह मामला केवल धार्मिक भावना से जुड़ा मामला नहीं, बल्कि जवाबदेही, पारदर्शिता और आस्था के विश्वास की परीक्षा भी है।