• Create News
  • Nominate Now

    तेजस मार्क-1ए की पहली उड़ान आज, भारत की वायुशक्ति में नई छलांग; पाकिस्तान बॉर्डर के पास होगी तैनाती

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    भारत की रक्षा क्षमता आज एक और ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचने जा रही है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित ‘तेजस एलसीए मार्क-1ए’ (Tejas LCA Mark-1A) लड़ाकू विमान आज महाराष्ट्र के नासिक में अपनी पहली उड़ान (maiden flight) भरेगा। यह क्षण न केवल भारतीय वायुसेना बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। यह विमान हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा तैयार किया गया है और इसे पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ परियोजना के तहत विकसित किया गया है।

    इस ऐतिहासिक अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्वयं मौजूद रहेंगे। उनके साथ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और रक्षा उत्पादन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। यह उड़ान भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रत्यक्ष उदाहरण है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को और मजबूत बनाती है।

    तेजस मार्क-1ए को भारतीय वायुसेना में शामिल करने से देश की वायुशक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा। इस विमान के जरिए न केवल वायुसेना की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि यह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए अब किसी बाहरी शक्ति पर निर्भर नहीं है।

    तेजस मार्क-1ए को पुराने मिग-21 विमानों की जगह शामिल किया जा रहा है, जो दशकों से भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते थे लेकिन अब तकनीकी रूप से पुराने हो चुके हैं। मिग-21 के स्थान पर तेजस के आने से न केवल सुरक्षा स्तर में सुधार होगा बल्कि भारतीय पायलटों को आधुनिक तकनीक से लैस एक अत्याधुनिक विमान भी मिलेगा।

    हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के अनुसार, वायुसेना को कुल 97 तेजस मार्क-1ए विमान मिलने हैं। इनमें से पहले कुछ विमान अगले वर्ष तक वायुसेना को सौंपे जाएंगे। नासिक स्थित HAL प्लांट में फिलहाल तीन विमानों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिनका परीक्षण चरण चल रहा है।

    तेजस मार्क-1ए की खासियत यह है कि इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, AESA रडार (Active Electronically Scanned Array), और Beyond Visual Range (BVR) मिसाइल सिस्टम लगाया गया है। यह इसे दुनिया के किसी भी आधुनिक फाइटर जेट के मुकाबले सक्षम बनाता है। इसके अलावा, इसमें उन्नत एवियोनिक्स सिस्टम, हल्का कंपोजिट स्ट्रक्चर, और बेहतर सर्विसेबिलिटी जैसी खूबियाँ हैं, जो इसे तेज, चुस्त और सुरक्षित बनाती हैं।

    इस विमान की एक और बड़ी विशेषता यह है कि इसे पूरी तरह भारत में डिजाइन, डेवलप और निर्मित किया गया है। इसके अधिकांश पुर्जे और उपकरण भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए हैं, जिससे यह ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की सबसे बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

    सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना की योजना है कि इन विमानों को पाकिस्तान सीमा से सटे पश्चिमी सेक्टरों में तैनात किया जाएगा। यह तैनाती राजस्थान और पंजाब के हवाई ठिकानों पर की जा सकती है, जहां से भारत की सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा।

    रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि तेजस मार्क-1ए का इंडक्शन भारत के रक्षा ढांचे में एक निर्णायक परिवर्तन लाएगा। यह विमान न केवल मल्टीरोल मिशन को अंजाम देने में सक्षम है, बल्कि यह हवाई युद्ध, जमीनी हमले और टोही मिशन जैसी विभिन्न परिस्थितियों में भी प्रभावी है।

    HAL के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सीबी अनंतकृष्णन ने बताया कि “तेजस मार्क-1ए पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित एक ऐसा विमान है, जो आने वाले समय में भारत की हवाई सुरक्षा की रीढ़ बनेगा। हमें गर्व है कि यह विमान हमारे देश की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक है।”

    इस परियोजना के विकास में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और भारतीय वायुसेना का संयुक्त योगदान रहा है। इन संस्थाओं ने मिलकर इसे भारत के पहले आधुनिक हल्के बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान के रूप में तैयार किया है।

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “तेजस न केवल एक विमान है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, नवाचार और इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक है। इसकी पहली उड़ान हमारे देश के रक्षा इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय साबित होगी।”

    भारतीय वायुसेना में तेजस की तैनाती से भारत की स्ट्रैटेजिक डिफेंस पोजिशन और मजबूत होगी। विशेष रूप से पाकिस्तान सीमा के पास इसकी उपस्थिति भारत के दुश्मनों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी मानी जा रही है कि भारत अब किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

    रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, तेजस मार्क-1ए की लागत लगभग ₹550 करोड़ प्रति विमान है। हालांकि यह विदेशी विमानों जैसे राफेल या एफ-16 की तुलना में कहीं अधिक किफायती है, लेकिन प्रदर्शन और विश्वसनीयता के मामले में यह किसी से कम नहीं है।

    तेजस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1983 में “लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट” के रूप में हुई थी। चार दशक की मेहनत, परीक्षण और नवाचार के बाद अब भारत इस मुकाम पर पहुंचा है, जब वह अपनी जरूरत के हिसाब से उन्नत फाइटर जेट खुद बना सकता है।

    तेजस की पहली उड़ान भारत की वैज्ञानिक, तकनीकी और सैन्य क्षमताओं के संगम का प्रमाण है। यह सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के उस सपने की उड़ान है जो वर्षों से देखा जा रहा था।

    आज जब तेजस एलसीए मार्क-1ए नासिक की रनवे से उड़ान भरेगा, तो यह सिर्फ आसमान में नहीं, बल्कि भारत के गौरव और स्वाभिमान के इतिहास में भी ऊंची उड़ान भरेगा।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    हाथ में संविधान, जमीन पर गन… छत्तीसगढ़ में 210 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, इतिहास का सबसे बड़ा सरेंडर

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर इतिहास की गवाह बनी जब शुक्रवार को 210 नक्सलियों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया।…

    Continue reading
    एंटवर्प कोर्ट ने भगोड़े ज्वैलर मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को दी मंजूरी, भारत वापसी का रास्ता साफ

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से जुड़े ₹13,000 करोड़ के बहुचर्चित घोटाले में वांछित हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *