




भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को नई ऊंचाई देने वाला तेजस मार्क-1A अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के इस उन्नत लड़ाकू विमान ने हाल ही में नासिक स्थित उत्पादन इकाई से अपनी पहली उड़ान भरी, जिसने भारत की वायुसेना के साथ-साथ विदेशी देशों का भी ध्यान खींच लिया है। HAL के चेयरमैन ने बताया कि कई देशों ने तेजस मार्क-1A को खरीदने में गहरी रुचि दिखाई है, जो भारत के लिए रक्षा निर्यात के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अवसर साबित हो सकता है।
तेजस मार्क-1A की उड़ान के साथ ही भारत की रक्षा स्वावलंबन नीति “आत्मनिर्भर भारत” को भी नया बल मिला है। यह विमान पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित है और इसमें कई अत्याधुनिक सुविधाएँ जोड़ी गई हैं, जो इसे आधुनिक युग की हवाई लड़ाइयों के लिए पूरी तरह सक्षम बनाती हैं। नासिक प्लांट से इसकी पहली उड़ान न केवल तकनीकी दृष्टि से सफल रही बल्कि इसने HAL की उत्पादन क्षमता को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया।
HAL के चेयरमैन सी.बी. अनंतकृष्णन ने बताया कि तेजस मार्क-1A को लेकर कई देशों से प्रस्ताव और प्रारंभिक चर्चाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल अपनी वायुसेना के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर रक्षा तकनीक के निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है। “कई देशों ने तेजस मार्क-1A की उड़ान क्षमता, हथियार प्रणाली और इसके इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम में रुचि दिखाई है। यह भारत की इंजीनियरिंग और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है,” उन्होंने कहा।
इस विमान की खासियत यह है कि यह हलकापन, गति और शक्ति का बेहतरीन संयोजन प्रस्तुत करता है। तेजस मार्क-1A को विशेष रूप से वायुसेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसमें अत्याधुनिक रडार प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर और बेहतर एवियोनिक्स सिस्टम लगाए गए हैं, जो इसे पुराने संस्करणों की तुलना में और अधिक घातक बनाते हैं।
जानकारी के अनुसार, HAL ने 2021 में भारतीय वायुसेना के साथ 83 तेजस मार्क-1A विमानों की आपूर्ति के लिए लगभग ₹48,000 करोड़ का अनुबंध किया था। अब कंपनी ने 2032-33 तक कुल 180 विमान बनाने का लक्ष्य तय किया है। इनमें से कुछ विमान मित्र देशों को निर्यात करने की भी योजना है। HAL के अनुसार, पहले चरण में उत्पादन दर धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी और फिर सालाना 16 से 24 विमानों के उत्पादन की क्षमता हासिल की जाएगी।
तेजस मार्क-1A की उड़ान के बाद रक्षा विशेषज्ञों ने भी इसकी खूबियों की सराहना की है। पूर्व एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने कहा कि “तेजस भारत की इंजीनियरिंग का नायाब उदाहरण है। अब जब यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश कर रहा है, तो यह न केवल भारत के लिए राजस्व का स्रोत बनेगा बल्कि देश की रणनीतिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।”
तेजस मार्क-1A में उपयोग की गई तकनीकें इसे एक 4.5 जेनरेशन फाइटर जेट के स्तर पर लाती हैं। इसमें इजराइल निर्मित EL/M-2052 AESA रडार, स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, और अत्याधुनिक हथियार प्रणाली लगाई गई हैं। यह विमान हवा में हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें दागने की क्षमता रखता है। साथ ही, इसका रखरखाव अपेक्षाकृत आसान है, जिससे इसकी परिचालन लागत भी कम रहती है।
HAL चेयरमैन ने यह भी कहा कि भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” नीति और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति ने इस विमान को वैश्विक बाजार में प्रस्तुत करने का अवसर दिया है। उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ देशों ने तेजस खरीदने में औपचारिक रुचि व्यक्त की है। यह भारत के लिए रक्षा कूटनीति का एक नया अध्याय हो सकता है।
नासिक प्लांट में इस विमान की पहली उड़ान को देखने के लिए HAL के वरिष्ठ अधिकारी, रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि और वायुसेना के अधिकारी मौजूद थे। सभी ने इस उपलब्धि को भारत की तकनीकी शक्ति और आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
भारत ने इससे पहले भी कई देशों को रक्षा उपकरण और हेलिकॉप्टर निर्यात किए हैं, लेकिन तेजस जैसे उच्च तकनीक वाले लड़ाकू विमान का निर्यात भारत को एक नए स्तर पर ले जाएगा। रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, यदि आने वाले महीनों में किसी देश के साथ तेजस मार्क-1A की बिक्री का समझौता होता है, तो यह भारत के रक्षा निर्यात इतिहास की सबसे बड़ी सफलता होगी।
2032-33 तक जब HAL इन विमानों का उत्पादन पूरा कर लेगा, तब भारत न केवल अपनी वायुसेना की जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय फाइटर जेट सप्लायर के रूप में भी उभरेगा। यह भारतीय इंजीनियरिंग, अनुसंधान और रक्षा नवाचार की एक नई पहचान होगी।
तेजस मार्क-1A का सफर भारत के आत्मनिर्भरता अभियान का प्रमाण है—जहां तकनीक, नवाचार और राष्ट्र की सुरक्षा का संगम दिखता है। आने वाले समय में जब यह विमान विदेशी आसमानों में उड़ान भरेगा, तब यह केवल भारत की शक्ति नहीं बल्कि उसकी तकनीकी आत्मनिर्भरता और गौरव का प्रतीक भी होगा।