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भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर जवानों की फेहरिस्त में अब एक नया नाम जुड़ गया है — कांस्टेबल शिवानी, जिन्होंने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के इतिहास में एक अनोखी मिसाल पेश की है। महज पांच महीने पहले बल में भर्ती हुई इस युवा महिला जवान ने इतनी कम अवधि में पदोन्नति प्राप्त कर न केवल रिकॉर्ड बनाया है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी कायम की है।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के दादरी की रहने वाली शिवानी एक साधारण परिवार से हैं। उनके पिता बढ़ई का काम करते हैं, जबकि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं रही। लेकिन शिवानी ने बचपन से ही अपने सपनों को पंख देने का निर्णय ले लिया था। सीमाओं की रक्षा करने का जज़्बा उन्हें हमेशा प्रेरित करता रहा। उनकी मेहनत, अनुशासन और देशसेवा की भावना ने उन्हें वह मुकाम दिलाया है, जिसका सपना हर जवान देखता है।
बीएसएफ के सूत्रों के मुताबिक, शिवानी ने भर्ती के बाद अपने प्रशिक्षण के दौरान असाधारण प्रदर्शन किया। उन्होंने न केवल शारीरिक दक्षता में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि फायरिंग, ड्रिल और नेतृत्व क्षमता में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने उनकी प्रतिबद्धता और योग्यता को देखते हुए उन्हें विशेष अनुशंसा के तहत प्रमोशन देने का निर्णय लिया। यह बीएसएफ के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी महिला कांस्टेबल को इतनी कम अवधि में यह सम्मान मिला हो।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शिवानी ने प्रशिक्षण के दौरान जो अनुशासन, तत्परता और नेतृत्व क्षमता दिखाई, वह दुर्लभ है। उन्होंने कहा, “शिवानी ने यह साबित किया है कि किसी की पृष्ठभूमि या आर्थिक स्थिति नहीं, बल्कि समर्पण और कड़ी मेहनत ही सफलता का असली पैमाना है।”
शिवानी की यह उपलब्धि न केवल बीएसएफ के लिए गौरव का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। दादरी के स्थानीय लोगों में गर्व की भावना है, और गांव में उनके परिवार के घर पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है। उनके पिता ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करेगी। उन्होंने गर्व से कहा, “शिवानी ने हमारे सपनों को साकार किया है। वह आज हर बेटी के लिए प्रेरणा बन गई है।”
शिवानी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए गर्व का क्षण है, लेकिन यह अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है। उन्होंने कहा, “मेरा सपना था कि मैं देश की सेवा करूं। बीएसएफ ने मुझे यह मौका दिया और अब मेरा लक्ष्य है कि मैं और बेहतर काम करूं ताकि देश का नाम रोशन कर सकूं।”
बीएसएफ, जो कि भारत की सीमाओं की सुरक्षा करने वाला सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है, अब धीरे-धीरे महिलाओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में बल में महिला सैनिकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। शिवानी की यह उपलब्धि इस दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिवानी जैसी कहानियां समाज में बदलाव की लहर ला रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली युवा महिलाएं अब खुद को किसी भी क्षेत्र में कम नहीं मान रहीं। चाहे वह सेना हो, पुलिस हो या फिर खेल का मैदान — महिलाएं अब हर मोर्चे पर अपनी पहचान बना रही हैं।
बीएसएफ के अधिकारियों के अनुसार, शिवानी को “आउटस्टैंडिंग ट्रेनी” के रूप में सम्मानित भी किया गया है। उन्होंने अपने बैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली प्रशिक्षु के रूप में कई पुरस्कार जीते। इतना ही नहीं, प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने कई बार पुरुष जवानों के बराबर फिजिकल टास्क पूरे कर यह साबित किया कि दृढ़ निश्चय और समर्पण से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।
शिवानी की इस कामयाबी से प्रेरित होकर बीएसएफ ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में महिला सैनिकों को और अधिक जिम्मेदार भूमिकाओं में लाने की योजना बनाई जा रही है। इसमें बॉर्डर पेट्रोलिंग, इंटेलिजेंस ऑपरेशंस और कमांडिंग रोल जैसी जिम्मेदारियाँ शामिल हैं।
गांव की महिलाएं भी शिवानी की इस सफलता से बेहद खुश हैं। वे कहती हैं कि शिवानी ने यह दिखा दिया कि बेटियाँ अगर ठान लें तो किसी भी कठिनाई को पार कर सकती हैं। उनके स्कूल और कॉलेज में भी छात्राओं के बीच अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि कैसे मेहनत और अनुशासन के दम पर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।
शिवानी की कहानी इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि सपने कितने भी बड़े क्यों न हों, उन्हें मेहनत और लगन से पूरा किया जा सकता है। बीएसएफ में केवल पांच महीने के भीतर प्रमोशन पाने वाली पहली महिला कांस्टेबल बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और दादरी के लिए गर्व का विषय है, बल्कि देशभर की उन बेटियों के लिए भी प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने की राह पर हैं। शिवानी ने यह साबित किया है कि सच्ची लगन और साहस के आगे कोई मंज़िल दूर नहीं।








