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    IND vs AUS: वार्न से भी आगे निकले एडम जम्पा, क्या लेग स्पिन बनी टीम इंडिया की सबसे बड़ी कमजोरी? आंकड़े कह रहे हैं चौंकाने वाली बात

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    भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही वनडे सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई लेग स्पिनर एडम जम्पा एक बार फिर चर्चा में हैं। जम्पा ने अपने प्रदर्शन से न केवल भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया है, बल्कि महान लेग स्पिनर शेन वार्न के कुछ रेकॉर्ड्स को भी पीछे छोड़ दिया है। उनके लगातार शानदार स्पेल्स ने इस सवाल को जन्म दिया है कि क्या वाकई भारतीय बल्लेबाज अब लेग स्पिन के सामने संघर्ष करने लगे हैं?

    भारत को हमेशा से स्पिन खेलने में माहिर टीम माना जाता रहा है। दुनिया की कोई भी टीम स्पिन-फ्रेंडली पिचों पर भारतीय बल्लेबाजों के सामने संघर्ष करती रही है। लेकिन अब आंकड़े कुछ और कहानी कह रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में लेग स्पिन के सामने भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन लगातार गिरा है — खासकर लिमिटेड ओवर फॉर्मेट में।

    एडम जम्पा की बात करें तो उन्होंने हालिया कुछ वर्षों में टीम इंडिया के खिलाफ लगातार शानदार प्रदर्शन किया है। आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने भारत के खिलाफ अब तक 30 से अधिक वनडे विकेट झटके हैं — जो किसी भी ऑस्ट्रेलियाई लेग स्पिनर के लिए एक बड़ा आंकड़ा है। कई मौकों पर उन्होंने विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल और श्रेयस अय्यर जैसे अनुभवी बल्लेबाजों को अपनी विविधता भरी गेंदों से आउट किया है।

    दिलचस्प बात यह है कि जम्पा का भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ औसत और स्ट्राइक रेट दोनों ही वार्न से बेहतर हैं। शेन वार्न ने अपने करियर में भारत के खिलाफ वनडे में 43.11 की औसत से विकेट लिए थे, जबकि जम्पा का औसत 32 से भी कम है। यह दर्शाता है कि जम्पा न केवल विकेट निकाल रहे हैं, बल्कि भारतीय बल्लेबाजों को दबाव में डालने में भी सफल रहे हैं।

    तो आखिर क्यों भारतीय बल्लेबाज लेग स्पिन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं?

    विश्लेषकों का मानना है कि इसका प्रमुख कारण आधुनिक क्रिकेट का स्वरूप और बदलती बल्लेबाजी शैली है। टी20 क्रिकेट के युग में बल्लेबाज आक्रामक शॉट खेलने पर अधिक निर्भर हो गए हैं, जबकि पारंपरिक डिफेंसिव तकनीक कमजोर पड़ गई है। लेग स्पिनर्स, जो फ्लाइट, टर्न और गुगली का मिश्रण इस्तेमाल करते हैं, ऐसे बल्लेबाजों को फँसाने में माहिर होते हैं।

    इसके अलावा, वर्तमान भारतीय बल्लेबाजों में वे खिलाड़ी कम हैं जो स्पिन के खिलाफ “घुटनों के बल” खेलकर रन बनाते थे। अतीत में राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी स्पिनरों को पैर का इस्तेमाल करके खेलने में निपुण थे। आज की पीढ़ी अधिकतर बैकफुट से खेलने की कोशिश करती है, जिससे जम्पा जैसे गेंदबाजों को फायदा मिलता है।

    जम्पा की सफलता का एक और बड़ा कारण उनका लगातार एक ही लाइन पर गेंद डालना है। वे बल्लेबाज को रन लेने का मौका नहीं देते, जिससे दबाव बढ़ता है और गलती होती है। उनके ओवरों में अक्सर बल्लेबाज स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पाते, जिसके चलते गलत शॉट खेलकर आउट हो जाते हैं।

    हाल के मैचों में जम्पा ने भारत के शीर्ष क्रम को बार-बार परेशान किया है। चेन्नई, नागपुर और विशाखापट्टनम जैसे स्पिन-फ्रेंडली विकेटों पर भी उन्होंने अपनी गुगली और स्लाइडर से भारतीय बल्लेबाजों को धोखा दिया। कई मौकों पर भारतीय बल्लेबाज लाइन पढ़ ही नहीं पाए।

    आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में भारतीय बल्लेबाजों ने लेग स्पिन के खिलाफ औसतन हर 18 गेंद पर एक विकेट गंवाया है — जबकि ऑफ स्पिन या फास्ट बॉलिंग के खिलाफ यह आंकड़ा कहीं बेहतर है। यह ट्रेंड दर्शाता है कि टीम इंडिया को अपनी स्पिन खेलने की रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

    पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “लेग स्पिन को खेलने के लिए केवल तकनीक नहीं, बल्कि धैर्य भी चाहिए। भारतीय बल्लेबाज अब जल्दी रन बनाने की कोशिश में अक्सर गलती कर बैठते हैं।” वहीं, सुनील गावस्कर ने भी कहा कि “जम्पा को भारत के खिलाफ इतनी सफलता इसलिए मिल रही है क्योंकि वह हर ओवर में बल्लेबाज को सोचने पर मजबूर करते हैं। उनकी गेंदों में विविधता है और वे बल्लेबाज को जल्दी निर्णय लेने नहीं देते।”

    हालांकि, यह कहना गलत होगा कि भारतीय बल्लेबाज स्पिन खेलने में अब पूरी तरह कमजोर हो गए हैं। श्रेयस अय्यर, शुभमन गिल और सूर्यकुमार यादव जैसे युवा खिलाड़ी लेग स्पिन के खिलाफ सुधार दिखा रहे हैं। लेकिन शीर्ष क्रम के खिलाड़ियों में अभी भी स्थिरता की कमी दिखती है।

    टीम इंडिया के लिए यह एक चेतावनी हो सकती है। विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में विरोधी टीमें अब इस कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश करेंगी। विशेषकर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसी टीमें अपने लेग स्पिनर्स को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर सकती हैं।

    एडम जम्पा ने साबित किया है कि अगर धैर्य, सटीकता और रणनीति हो, तो भारतीय बल्लेबाजों को भी स्पिन जाल में फँसाया जा सकता है। वे आज ऑस्ट्रेलिया के लिए वही भूमिका निभा रहे हैं जो कभी शेन वार्न निभाते थे — विरोधी के मन में संदेह पैदा करना और खेल की दिशा बदल देना।

    फिलहाल, यह सीरीज भारत के लिए एक बड़ा सबक बनती जा रही है। अगर टीम इंडिया को भविष्य में बड़ी जीत हासिल करनी है, तो लेग स्पिन के खिलाफ अपनी कमजोरियों को सुधारना होगा। क्योंकि आंकड़े साफ कह रहे हैं — जम्पा जैसे गेंदबाजों के सामने अब भारतीय बल्लेबाजों के कदम डगमगाने लगे हैं।

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