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    समुद्र में छिपा है 20 करोड़ टन सोना, निकल जाए तो ढह जाएगी सोने की कीमत

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    25 अक्टूबर। सोने की कीमतों में इस साल रिकॉर्ड तेजी देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत पहली बार 4,300 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच चुकी है, जबकि भारतीय बाजार में भी सोने के दाम ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं। निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर मौजूदा रफ्तार बरकरार रही तो दिसंबर 2026 तक सोना 4,900 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। यह अब तक की सबसे ऊंची कीमत होगी।

    वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार, इस साल सोने की कीमत में अब तक 56 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। साल की शुरुआत से अब तक यह कीमती धातु 40 बार से ज्यादा ऑल-टाइम हाई स्तर को छू चुकी है। बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अस्थिरता और डॉलर की कमजोरी ने सोने को निवेशकों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बना दिया है।

    लेकिन इन सबके बीच एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है—दुनिया के समुद्रों की गहराइयों में करीब 20 करोड़ टन सोना छिपा है। वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिकों के अनुसार, यह सोना समुद्री जल में अत्यंत सूक्ष्म रूप में घुला हुआ है, जिसे तकनीकी सीमाओं के कारण अब तक निकाला नहीं जा सका है।

    वर्तमान में दुनिया में अब तक कुल 208,874 टन सोने का ही खनन किया जा सका है। यह सोना धरती की सतह, खदानों और पर्वतीय क्षेत्रों से निकाला गया है। लेकिन यदि समुद्र में मौजूद इस सोने को निकालना संभव हो जाए, तो विश्व बाजार में सोने की कीमतें बुरी तरह गिर सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उस विशाल मात्रा में सोना बाजार में आ गया, तो सोना आम धातुओं जैसे पीतल या तांबे की तरह सस्ता हो जाएगा।

    अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंक गोल्डमैन सैश की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक सोने की डिमांड इस समय 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। वहीं, सोने की सप्लाई सीमित है क्योंकि नई खदानों की खोज धीमी गति से हो रही है और खनन की लागत लगातार बढ़ रही है। इन कारणों से सोने की कीमतों में और उछाल की संभावना बनी हुई है।

    सोना हमेशा से ही आर्थिक स्थिरता और निवेश सुरक्षा का प्रतीक माना गया है। जब भी शेयर बाजार या मुद्रा बाजार में अस्थिरता बढ़ती है, निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं। यही कारण है कि हाल के महीनों में सोने की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

    हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार, समुद्र में मौजूद सोने को निकालना तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन है। समुद्री जल के हर एक अरब टन में लगभग एक टन सोना पाया जाता है। यानी, यदि इस सोने को निकालना है तो उसके लिए अत्यंत उन्नत तकनीक और अरबों डॉलर का निवेश आवश्यक होगा। वर्तमान में ऐसी कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है जो इतने बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से लाभदायक तरीके से सोना निकाल सके।

    विज्ञान जगत में यह भी चर्चा है कि आने वाले दशकों में नई तकनीकों के विकास के साथ इस सोने को निकालने की संभावना बढ़ सकती है। अगर ऐसा होता है, तो वैश्विक आर्थिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सोना, जो आज दुनिया की सबसे मूल्यवान धातुओं में गिना जाता है, उसकी कीमत में ऐतिहासिक गिरावट आ सकती है।

    बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना कम है क्योंकि मांग लगातार बढ़ रही है और सप्लाई सीमित है। भारत, चीन, अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में सोने की खरीदारी का रुझान बढ़ा है, खासकर त्योहारों और निवेश के मौसम में।

    भारत में सोना न केवल निवेश का माध्यम है बल्कि यह परंपरा और आस्था से भी जुड़ा हुआ है। भारतीय बाजार में सोने की बढ़ती कीमतों के बावजूद इसकी मांग में कमी नहीं आई है। शादी-ब्याह के मौसम और धनतेरस जैसे अवसरों पर सोने की बिक्री में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

    हालांकि, यदि भविष्य में समुद्र से सोना निकालने की प्रक्रिया व्यावहारिक हो जाती है, तो वैश्विक बाजार में सोने का मूल्यांकन पूरी तरह बदल सकता है। उस स्थिति में सोने की कीमतें ऐतिहासिक रूप से गिर सकती हैं, और यह निवेश की श्रेणी में अपनी विशेष स्थिति खो सकता है।

    फिलहाल, निवेशकों को यह जानना जरूरी है कि वर्तमान परिदृश्य में सोना अब भी सबसे सुरक्षित संपत्ति वर्गों में से एक है। लेकिन भविष्य में वैज्ञानिक प्रगति इस “सुरक्षित निवेश” की परिभाषा को बदल सकती है।

    इस रहस्यमय खोज ने दुनिया भर के निवेशकों, अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के बीच नई चर्चा छेड़ दी है — क्या समुद्र में छिपा यह 20 करोड़ टन सोना कभी धरती पर आ पाएगा? और अगर आया, तो क्या सोने की चमक उसी तरह बनी रहेगी?

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