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बिहार के सीमावर्ती जिले सीतामढ़ी (Sitamarhi) से एक सनसनीखेज खुलासा सामने आया है, जिसने प्रशासन और जांच एजेंसियों को हिला कर रख दिया है। यहां पुलिस ने छापेमारी के दौरान नेपाल के नागरिकों के फर्जी पैन कार्ड (Fake PAN Card) बनवाने का बड़ा रैकेट पकड़ा है। बताया जा रहा है कि यह गिरोह लंबे समय से सीमा क्षेत्र में सक्रिय था और बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों के लिए फर्जी पहचान पत्र तैयार कर रहा था। इस खुलासे के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है।
घटना सीतामढ़ी के भिट्ठामोड़ थाना क्षेत्र की है, जो भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ इलाका है। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि सीमा क्षेत्र में कुछ साइबर दुकानों के माध्यम से नेपाल के लोगों के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए जा रहे हैं। जब पुलिस ने छापेमारी की तो एक दुकान से कई ऐसे सबूत मिले जो पूरे मामले की गंभीरता को दर्शाते हैं।
छापेमारी में मिले चौंकाने वाले सबूत
पुलिस टीम ने जब दुकान की तलाशी ली, तो वहां से कई बायोमेट्रिक मशीनें, फिंगरप्रिंट स्कैनर, प्रिंटर, फर्जी दस्तावेजों के फॉर्म, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव और अनेक पैन कार्ड की कॉपी बरामद की गईं। कई ऐसे आवेदन फॉर्म भी मिले जिनमें स्पष्ट रूप से नेपाल के नागरिकों का पता दर्ज था।
जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी दुकान संचालक फर्जी भारतीय पते का इस्तेमाल कर नेपालियों के लिए पैन कार्ड जारी करवा रहा था। यह पैन कार्ड बाद में बैंक खातों, सिम कार्ड और यहां तक कि भारतीय पहचान दस्तावेजों के रूप में भी इस्तेमाल किए जा रहे थे। इससे भारत की वित्तीय और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
सीमा पार नेटवर्क की संभावना
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह कोई साधारण स्थानीय स्तर का फर्जीवाड़ा नहीं है, बल्कि इसके तार सीमा पार नेपाल तक जुड़े हो सकते हैं। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि गिरोह के कुछ सदस्य नेपाल के वीरगंज और जनकपुर इलाके में सक्रिय हैं, जो यहां के भारतीय एजेंटों से संपर्क कर दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा कर रहे थे।
भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा का फायदा उठाते हुए यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था। अब इस मामले की जांच आयकर विभाग (Income Tax Department) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को भी सौंपी जा सकती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल किन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था।
आरोपियों की गिरफ्तारी और पूछताछ जारी
पुलिस ने इस मामले में दुकान संचालक सहित दो लोगों को हिरासत में लिया है। पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि वे हर पैन कार्ड बनाने के बदले दो से तीन हजार रुपये तक वसूलते थे। आरोपियों ने स्वीकार किया है कि अब तक सैकड़ों फर्जी पैन कार्ड बनाए जा चुके हैं।
सीतामढ़ी के एसपी ने मीडिया को बताया कि, “हमें यह भी जांच करनी है कि क्या इन फर्जी दस्तावेजों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग, तस्करी या सीमा पार हवाला कारोबार में किया जा रहा था। प्रारंभिक जांच में कई संदिग्ध लेन-देन के प्रमाण मिले हैं, जिनकी जानकारी आयकर विभाग को दी जा रही है।”
नेपाल नागरिकों के नाम पर भारतीय पहचान का खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, फर्जी भारतीय पहचान पत्र तैयार किए जाने से देश की आंतरिक सुरक्षा पर बड़ा खतरा उत्पन्न होता है। पैन कार्ड केवल कर प्रणाली का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह बैंक खातों, निवेश और कई सरकारी योजनाओं में उपयोग होने वाला प्रमुख दस्तावेज है। अगर विदेशी नागरिकों को इस तरह के फर्जी पहचान पत्र मिल जाते हैं, तो वे आसानी से अवैध वित्तीय गतिविधियों, संपत्ति खरीद और अपराध में शामिल हो सकते हैं।
भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां विदेशी नागरिकों ने फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड बनवाए थे। लेकिन इस बार मामला अलग है क्योंकि पैन कार्ड से जुड़ा फर्जीवाड़ा सीधे तौर पर राष्ट्रीय वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
प्रशासन सख्त, जांच एजेंसियां सतर्क
इस खुलासे के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने सीमा क्षेत्र की सभी साइबर कैफे और दस्तावेज केंद्रों की जांच शुरू कर दी है। पुलिस टीमों को निर्देश दिया गया है कि वे PAN, Aadhaar और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े सभी केंद्रों की नियमित निगरानी करें। साथ ही, टैक्स विभाग से यह भी कहा गया है कि हाल ही में बनाए गए सभी संदिग्ध पैन कार्डों की सूची तैयार की जाए और उनकी सत्यता की जांच हो।
स्थानीय लोगों में दहशत और चिंता
सीतामढ़ी और आसपास के इलाकों में इस खबर के बाद लोगों में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में इस तरह के फर्जीवाड़े जारी रहे, तो देश की सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। वहीं नेपाल के कुछ नागरिकों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि इससे दोनों देशों के रिश्तों पर अनावश्यक असर पड़ सकता है।
सीतामढ़ी में फर्जी पैन कार्ड रैकेट का खुलासा केवल एक अपराध नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय पारदर्शिता के लिए बड़ा खतरा है। यह मामला दिखाता है कि डिजिटल युग में अपराधी किस तरह सरकारी योजनाओं और तकनीकी व्यवस्थाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक कैसे पहुंचती हैं और इसमें कौन-कौन से बड़े नाम शामिल निकलते हैं। फिलहाल, इस मामले ने प्रशासन को चेतावनी दे दी है कि सीमा क्षेत्रों में पहचान से जुड़े अपराधों पर तत्काल और कड़ी निगरानी जरूरी है।








